जोहानिसबर्ग : महात्मा गांधी द्वारा एक सदी पहले जोहानिसबर्ग में अपने प्रवास के दौरान बनाए गए टॉलस्टॉय फार्म के पुनरुद्धार को उनके 152वें जन्मदिन पर भारत सरकार के योगदान से और बढ़ावा मिला है. पिछले कई दशकों में टॉलस्टाय फार्म की हालत खस्ता हो चुकी है और यहां अब केवल गांधी के मूल घर की नींव शेष थी, लेकिन अब इसके पुनरुद्धार का काम आरंभ हो चुका है. कभी संपन्न एवं आत्मनिर्भर रहे प्रतिष्ठान में आयोजित एक कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि भारत के उच्चायुक्त जयदीप सरकार और महावाणिज्यदूत अंजू रंजन टॉलस्टॉय फार्म के पुनरुद्धार के बारे में जानकारी दी.
गांधीवादी अनुयायी मोहन हीरा द्वारा शुरू किए गए महात्मा गांधी स्मरण संगठन (एमजीआरओ) के प्रयासों ने मुख्य रूप से भारत सरकार और प्रवासी भारतीय समुदाय से मिले चंदे की मदद से पर्यटक स्थल को आकर्षण के रूप में पुनर्जीवित करने के लिए धीरे-धीरे कदम उठाए है. जिसमें पहले चरण में बादाम, पीकन नट (एक प्रकार का अखरोट) और जैतून के पेड़ लगाकर उपवन को फिर से दुरुस्त किया गया.
यह उपवन एक वक्त में टॉलस्टॉय फार्म और आसपास के क्षेत्रों में लोगों को इन सामाग्रियों की आपूर्ति करता था. भारतीय दूतावासों ने भी बिजली प्रदान करने के लिए एक जनरेटर दान किया, जबकि इंडिया क्लब सुरक्षा और रखरखाव के लिए मासिक योगदान दे रहा है.
इसे भी पढ़ें-गांधी जयंती : इन 5 फिल्मों में देखें महात्मा गांधी का आजादी के लिए संघर्ष और जीवन दर्शन
उच्चायुक्त ने भारत सरकार के निरंतर समर्थन का वादा करते हुए टॉलस्टॉय फार्म को एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण में बदलने का आह्वान किया, जो दुनिया भर से आगंतुकों को आकर्षित करेगा. रंजन ने टॉलस्टॉय फार्म पर गांधी के मूल घर, संग्रहालय और पुस्तकालय की प्रतिकृति विकसित करने के लिए एक मास्टर प्लान तैयार करने के लिए एमजीआरओ की सराहना की. उन्होंने इन प्रयासों का समर्थन करने के लिए दक्षिण अफ्रीकी भारतीय समुदाय से भी अनुरोध किया.
रंजन ने जोहानिसबर्ग, डरबन और केप टाउन में उच्चायोग और वाणिज्य दूतावासों द्वारा भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए 75 लोगों द्वारा गांधी मार्ग दौरे के साथ एक सप्ताह के लंबे कार्यक्रम की घोषणा की है जो रविवार को टॉलस्टॉय फार्म में शुरू होगा और डरबन के पास फीनिक्स बस्ती पर समाप्त होगा.
(पीटीआई-भाषा)