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फ्रांसीसी राष्ट्रपति मौक्रों ने ली रवांडा नरसंहार की जिम्मेदारी

फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने मध्य अफ्रीकी देश रवांडा में 1994 में हुए नरसंहार के लिए फ्रांस को जिम्मेदार ठहराया है. रवांडा की राजधानी किगाली में उन्होंने कहा कि फ्रांस ने रवांडा के 'नरसंहार शासन' का पक्ष लिया, इसलिए उस पर इसकी भारी जिम्मेदारी है.

इमैनुएल मैक्रों
इमैनुएल मैक्रों
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Published : May 27, 2021, 6:47 PM IST

किगाली : रवांडा की यात्रा पर अहम भाषण देते हुए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि मध्य अफ्रीकी देश में 1994 के नरसंहार में फ्रांस की भारी जिम्मेदारी है. फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने रवांडा की राजधानी किगाली में नरसंहार स्मारक पर गुरुवार को कहा कि फ्रांस नरसंहार में 'साथी नहीं था', लेकिन उसने रवांडा के 'नरसंहार शासन' का पक्ष लिया और इसलिए उस पर इसकी भारी जिम्मेदारी है.

मैक्रों ने कहा, 'फ्रांस की रवांडा में एक भूमिका, एक इतिहास और एक राजनीतिक जिम्मेदारी है. सच जानने के बावजूद लंबे वक्त तक चुप रहकर रवांडा के लोगों को दी पीड़ा को पहचानना भी एक कर्तव्य है.'

उन्होंने कहा, 'जब नरसंहार शुरू हुआ तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस पर प्रतिक्रिया देने के लिए तीन महीने का वक्त लगा और हम सभी ने हजारों पीड़ितों को बेसहारा छोड़ दिया.'

यह भी पढ़ें- टूटे मनोबल, भ्रष्टाचार में बढ़ोतरी से जूझ रही है अफगान सेना

उन्होंने कहा कि फ्रांस की नाकामी से दोनों देशों के बीच '27 साल तक दूरियां' रही. मैक्रों ने कहा, 'मुझे हमारी जिम्मेदारी लेने के लिए आना पड़ा.'

फ्रांसीसी राष्ट्रपति गुरुवार तड़के किगाली पहुंचे और उन्होंने राष्ट्रपति आवास में राष्ट्रपति पॉल कगामे से मुलाकात की.

(पीटीआई- भाषा)

किगाली : रवांडा की यात्रा पर अहम भाषण देते हुए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि मध्य अफ्रीकी देश में 1994 के नरसंहार में फ्रांस की भारी जिम्मेदारी है. फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने रवांडा की राजधानी किगाली में नरसंहार स्मारक पर गुरुवार को कहा कि फ्रांस नरसंहार में 'साथी नहीं था', लेकिन उसने रवांडा के 'नरसंहार शासन' का पक्ष लिया और इसलिए उस पर इसकी भारी जिम्मेदारी है.

मैक्रों ने कहा, 'फ्रांस की रवांडा में एक भूमिका, एक इतिहास और एक राजनीतिक जिम्मेदारी है. सच जानने के बावजूद लंबे वक्त तक चुप रहकर रवांडा के लोगों को दी पीड़ा को पहचानना भी एक कर्तव्य है.'

उन्होंने कहा, 'जब नरसंहार शुरू हुआ तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस पर प्रतिक्रिया देने के लिए तीन महीने का वक्त लगा और हम सभी ने हजारों पीड़ितों को बेसहारा छोड़ दिया.'

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उन्होंने कहा कि फ्रांस की नाकामी से दोनों देशों के बीच '27 साल तक दूरियां' रही. मैक्रों ने कहा, 'मुझे हमारी जिम्मेदारी लेने के लिए आना पड़ा.'

फ्रांसीसी राष्ट्रपति गुरुवार तड़के किगाली पहुंचे और उन्होंने राष्ट्रपति आवास में राष्ट्रपति पॉल कगामे से मुलाकात की.

(पीटीआई- भाषा)

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