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60 से ज्यादा आयु के लोगों पर कोविशील्ड की पहली खुराक का असर 16 हफ्तों में हो जाता है कम

60 से अधिक आयु के लोगों पर कोविशील्ड की पहली खुराक का असर 16 हफ्तों में हो कम हो जाता है. श्रीलंका में एक विश्वविद्यालय द्वारा किए गए अध्ययन में यह बात समाने आई है.

कोविशील्ड
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Published : Jul 30, 2021, 4:16 AM IST

कोलंबो : श्रीलंका में एक विश्वविद्यालय द्वारा किये गए अध्ययन में पता चला है कि ऑक्सफॉर्ड-एस्ट्राजेनेका के कोविड-19 टीके कोविशील्ड की पहली खुराक लेने वाले 60 साल से अधिक आयु के लोगों पर इसका असर 16 हफ्तों में गिर गया जबकि दूसरी ओर इसी अवधि के दौरान युवा आबादी पर इसका अच्छा असर दिखा.

टीके का निर्माण ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और ब्रिटिश-स्वीडिश बहुराष्ट्रीय दवा एवं जैव प्रौद्योगिकी कंपनी एस्ट्राजेनेका ने किया है. दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने कोविशील्ड के निर्माण के लिए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और एस्ट्राजेनेका के साथ करार किया है.

यह भी पढ़ें- जानिए, किस कोरोना टीके की तीसरी खुराक से ज्यादा बढ़ सकती है एंटीबॉडी

श्री जयवर्धनेपुरा विश्वविद्यालय के इम्यूनोलॉजी और आणविक विज्ञान विभाग की प्रोफेसर नीलिका मालविगे ने एक ट्वीट में कहा कि हमारे अध्यनन के अनुसार बुजुर्ग व्यक्तियों में पहली खुराक के बाद टीके की प्रभावकारिता 16 हफ्ते में गिर गई. इस दौरान उनमें एंटीबॉडी भी खत्म हो गई. हालांकि 60 वर्ष से कम उम्र के लोगों पर टीके का अच्छा असर दिखा. 16 सप्ताह बाद भी उनमें एंटीबॉडी मौजूद रही.

उन्होंने कहा कि कोविशील्ड वैक्सीन की पहली खुराक के असर के बारे में हमारा शोध नेचर कॉम्स में प्रकाशित हुआ है.

(पीटीआई भाषा)

कोलंबो : श्रीलंका में एक विश्वविद्यालय द्वारा किये गए अध्ययन में पता चला है कि ऑक्सफॉर्ड-एस्ट्राजेनेका के कोविड-19 टीके कोविशील्ड की पहली खुराक लेने वाले 60 साल से अधिक आयु के लोगों पर इसका असर 16 हफ्तों में गिर गया जबकि दूसरी ओर इसी अवधि के दौरान युवा आबादी पर इसका अच्छा असर दिखा.

टीके का निर्माण ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और ब्रिटिश-स्वीडिश बहुराष्ट्रीय दवा एवं जैव प्रौद्योगिकी कंपनी एस्ट्राजेनेका ने किया है. दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने कोविशील्ड के निर्माण के लिए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और एस्ट्राजेनेका के साथ करार किया है.

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श्री जयवर्धनेपुरा विश्वविद्यालय के इम्यूनोलॉजी और आणविक विज्ञान विभाग की प्रोफेसर नीलिका मालविगे ने एक ट्वीट में कहा कि हमारे अध्यनन के अनुसार बुजुर्ग व्यक्तियों में पहली खुराक के बाद टीके की प्रभावकारिता 16 हफ्ते में गिर गई. इस दौरान उनमें एंटीबॉडी भी खत्म हो गई. हालांकि 60 वर्ष से कम उम्र के लोगों पर टीके का अच्छा असर दिखा. 16 सप्ताह बाद भी उनमें एंटीबॉडी मौजूद रही.

उन्होंने कहा कि कोविशील्ड वैक्सीन की पहली खुराक के असर के बारे में हमारा शोध नेचर कॉम्स में प्रकाशित हुआ है.

(पीटीआई भाषा)

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