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दक्षिण अफ्रीका में जलवायु परिवर्तन को काबू करने के लिए लोगों का विरोध प्रदर्शन

दक्षिण अफ्रिका के जोहान्सबर्ग में सोमवार को संयुक्तराष्ट्र अमेरिका में होने वाले शिखर सम्मेलन से पहले युवओं ने जलवायु परिवर्तन कि ओर सरकार ध्यान खींचने के लिए विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया.

जलवायु परिवर्तन को लेकर दक्षिण अफ्रीका में विरोध प्रदर्शन
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Published : Sep 21, 2019, 7:23 PM IST

Updated : Oct 1, 2019, 12:14 PM IST

जोहांसबर्ग: दक्षिण अफ्रीका के प्रदर्शनकारी शुक्रवार को प्रमुख वैश्विक जलवायु हड़ताल आंदोलन में शामिल हुए. इस हड़ताल में देश भर के 18 शहरों और कस्बों से हजारों लोग सड़कों पर उतर आए. इनका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण परिवर्तन के बुरे प्रभावों से पृथ्वी की सुरक्षा के लिए प्रयास करना है.

प्रचंड गर्मी का सामना करते हुए, हजारों दक्षिण अफ्रीकी लोगों ने दुनिया भर में मार्च में भाग लिया और संयुक्त राष्ट्र के एक बड़े शिखर सम्मेलन से पहले जलवायु परिवर्तन के बारे में अपनी चिंताओं को जोर-शोर से उठाया.

आपको बता दें कि सोमवार को संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में आयोजित शिखर सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन एक प्रमुख मुद्दा होने वाला है.

जलवायु परिवर्तन को लेकर दक्षिण अफ्रीका में विरोध प्रदर्शन

जोहान्सबर्ग के एक प्रदर्शनकारी कोवानिया ने बताया कि,'हम मार्च कर रहे हैं क्योंकि हम जलवायु परिवर्तन को रोकना चाहते हैं, हम ग्रह को बचाना चाहते हैं. इसके हम फासिल फ्यूल के इस्तेमाल में कम कर रहे हैं, जिससे हमारा पर्यावरण साफ रह सके. हमारे यहां कि कंपनियां ज्यादा से ज्यादा अक्षय ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल कर रहीं हैं जिससे हम पर्यावरण को साफ रख पाएंगे.'

एक अन्य कार्यकर्ता ने कहा, 'हम अपनी आवाज उठाने के लिए यहां हैं. हम जानते हैं कि जलवायु परिवर्तन पहले ही शुरू हो चुका है, और यह हमें मार रहा है. हम, हमारे नेताओं को बताना चाह रहे हैं कि, जलवायु परिवर्तन पर गंभीर कार्रवाई करने की जरूरत है.

ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री तक सीमित करने की दुनिया भर के देशो की कोशिश विफल रही है, पिछली सदी की तुलना में पृथ्वी का तापमान पहले से 1.42 डिग्रीव ज्यादा गर्म हो गया है. पिछले 1000 सालों में साल 2019 के सबसे गर्म वर्ष होने की उम्मीद है, और इसे लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं.

पढ़ें-शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य उत्तम रखने का गांधी फॉर्मूला

एक्सटिंक्शन रिबेलियन गौतेंग कार्यकर्ता समूह के प्रवक्ता' रेहाद देसाई ने कहा कि अगर हम तापमान को कम नहीं रह सकते हैं, तो हम पूरी जनसंख्या को खतरे में डाल रहे हैं, क्यूंकि हम सब को पता है कि आर्कटिक कि समुद्री बर्फ के साथ क्या हुआ है. अगले 3 से 5 साल में कुछ भी नहीं बचेगा. दुनिया लागातार गर्म होती जा रही है और अगर तापमान ज्यादा बढ़ता है तो समुद्रों के भीतर, आर्कटिक और अंटार्कटिक के नीचे दबी मीथेन गैस पर्यावरण में फैल जाएगी,जो CO2 की तुलना में 87 गुना अधिक शक्तिशाली है.

एक अन्य कार्यकर्ता जस्टिन फ्राइडमैन ने कहा, चाहे अमीर या गरीब जलवायु परिवर्तन से हर कोई प्रभावित होगा. कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कौन हैं, आप दुनिया में कहां हैं, यह आपको प्रभावित करने वाला है. इसलिए हमें एक साथ काम करने के की जरूरत है क्योंकि अगर हम एक साथ काम नहीं करते हैं और यदि हम प्रकृति के नियमों का पालन नहीं करते हैं, तो हम से कोइ नहीं बचेगा.

दुनिया भर के 160 देशों के युवा इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए हैं. उनका कहना है किड हमें जलवायु आपातकाल घोषित करने कि आवश्यकता है इससे पहले कि बहुत देर हो जाए.

जोहांसबर्ग: दक्षिण अफ्रीका के प्रदर्शनकारी शुक्रवार को प्रमुख वैश्विक जलवायु हड़ताल आंदोलन में शामिल हुए. इस हड़ताल में देश भर के 18 शहरों और कस्बों से हजारों लोग सड़कों पर उतर आए. इनका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण परिवर्तन के बुरे प्रभावों से पृथ्वी की सुरक्षा के लिए प्रयास करना है.

प्रचंड गर्मी का सामना करते हुए, हजारों दक्षिण अफ्रीकी लोगों ने दुनिया भर में मार्च में भाग लिया और संयुक्त राष्ट्र के एक बड़े शिखर सम्मेलन से पहले जलवायु परिवर्तन के बारे में अपनी चिंताओं को जोर-शोर से उठाया.

आपको बता दें कि सोमवार को संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में आयोजित शिखर सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन एक प्रमुख मुद्दा होने वाला है.

जलवायु परिवर्तन को लेकर दक्षिण अफ्रीका में विरोध प्रदर्शन

जोहान्सबर्ग के एक प्रदर्शनकारी कोवानिया ने बताया कि,'हम मार्च कर रहे हैं क्योंकि हम जलवायु परिवर्तन को रोकना चाहते हैं, हम ग्रह को बचाना चाहते हैं. इसके हम फासिल फ्यूल के इस्तेमाल में कम कर रहे हैं, जिससे हमारा पर्यावरण साफ रह सके. हमारे यहां कि कंपनियां ज्यादा से ज्यादा अक्षय ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल कर रहीं हैं जिससे हम पर्यावरण को साफ रख पाएंगे.'

एक अन्य कार्यकर्ता ने कहा, 'हम अपनी आवाज उठाने के लिए यहां हैं. हम जानते हैं कि जलवायु परिवर्तन पहले ही शुरू हो चुका है, और यह हमें मार रहा है. हम, हमारे नेताओं को बताना चाह रहे हैं कि, जलवायु परिवर्तन पर गंभीर कार्रवाई करने की जरूरत है.

ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री तक सीमित करने की दुनिया भर के देशो की कोशिश विफल रही है, पिछली सदी की तुलना में पृथ्वी का तापमान पहले से 1.42 डिग्रीव ज्यादा गर्म हो गया है. पिछले 1000 सालों में साल 2019 के सबसे गर्म वर्ष होने की उम्मीद है, और इसे लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं.

पढ़ें-शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य उत्तम रखने का गांधी फॉर्मूला

एक्सटिंक्शन रिबेलियन गौतेंग कार्यकर्ता समूह के प्रवक्ता' रेहाद देसाई ने कहा कि अगर हम तापमान को कम नहीं रह सकते हैं, तो हम पूरी जनसंख्या को खतरे में डाल रहे हैं, क्यूंकि हम सब को पता है कि आर्कटिक कि समुद्री बर्फ के साथ क्या हुआ है. अगले 3 से 5 साल में कुछ भी नहीं बचेगा. दुनिया लागातार गर्म होती जा रही है और अगर तापमान ज्यादा बढ़ता है तो समुद्रों के भीतर, आर्कटिक और अंटार्कटिक के नीचे दबी मीथेन गैस पर्यावरण में फैल जाएगी,जो CO2 की तुलना में 87 गुना अधिक शक्तिशाली है.

एक अन्य कार्यकर्ता जस्टिन फ्राइडमैन ने कहा, चाहे अमीर या गरीब जलवायु परिवर्तन से हर कोई प्रभावित होगा. कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कौन हैं, आप दुनिया में कहां हैं, यह आपको प्रभावित करने वाला है. इसलिए हमें एक साथ काम करने के की जरूरत है क्योंकि अगर हम एक साथ काम नहीं करते हैं और यदि हम प्रकृति के नियमों का पालन नहीं करते हैं, तो हम से कोइ नहीं बचेगा.

दुनिया भर के 160 देशों के युवा इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए हैं. उनका कहना है किड हमें जलवायु आपातकाल घोषित करने कि आवश्यकता है इससे पहले कि बहुत देर हो जाए.

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Johannesburg, South Africa - Sept 20, 2019 (CGTN - No access Chinese mainland)
1. Various of protesters marching
2. SOUNDBITE (English) Covania, protester (full name not given) (starting with shot 1, ending with shot 3):
"We're marching because we are wanting to stop climate change, we're wanting to save the planet. We're going to do that by reducing our fossil fuels and helping our environment and our companies in South Africa to clean and [use] renewable energy sources."
3. Protesters holding placards
4. SOUNDBITE (English) protester (name not given) (starting with shot 3):
"We're here to raise our voices. We know that climate change has already started, and it's killing us. We are here to tell them, our leaders, to take serious action."
5. Various of protesters holding placards, banners; protesting against climate change
6. SOUNDBITE (English) Rehad Desai, spokesman of Extinction Rebellion Gauteng (starting with shot 5, ending with shot 7):
"If we cannot stay beneath that, then we are threatening to trigger a whole number of tipping points, we've seen what's happened with the Arctic sea ice - within three to five years, there will be none left, that will make the world a lot hotter place. If the world gets hotter, the methane from underneath the sea and trapped in Antarctica and the Arctic [will be released, which is] 87 times more powerful than CO2."
7. Various of protesters holding placards, protesting against climate change
8. SOUNDBITE (English) Justin Friedman, activist (starting with shot 7, ending with shot 9):
"It's going to affect everybody rich or poor. Doesn't matter who you are, where you are in the world, it's going to influence you. So it's going to force us to work together, if we don't work together, we won't survive. And if we don't abide by the rules of nature, we also won't survive."
9. Various of protesters holding placards, protesting against climate change
Protesters in South Africa joined the major global climate strike movement on Friday, with thousands taking to the streets in 18 cities and towns across the country calling for efforts to save the planet from climate catastrophe.
Braving the sweltering heat, thousands of South Africans took part in the worldwide march and loudly voiced their concerns about climate change ahead of a major United Nations summit which will be held in New York on Monday.
"We're marching because we are wanting to stop climate change, we're wanting to save the planet. We're going to do that by reducing our fossil fuels and helping our environment and our companies in South Africa to clean and [use] renewable energy sources," said a protester in Johannesburg named Covania.
"We're here to raise our voices. We know that climate change has already started, and it's killing us. We are here to tell them, our leaders, to take serious action," said another activist.
Commitments by world leaders to limit global warming to 1.5 degrees are falling short of the mark, with the earth's temperature already being 1.42 degrees warmer than last century. As 2019 is expected to be the hottest year since the turn of the millennium, worries are growing.
"If we cannot stay beneath that, then we are threatening to trigger a whole number of tipping points, we've seen what's happened with the Arctic sea ice - within three to five years, there will be none left, that will make the world a lot hotter place. If the world gets hotter, the methane from underneath the sea and trapped in Antarctica and the Arctic [will be released, which is] 87 times more powerful than CO2," said Rehad Desai, a spokesman for the Extinction Rebellion Gauteng activist group.
"It's going to affect everybody rich or poor. Doesn't matter who you are, where you are in the world, it's going to influence you. So it's going to force us to work together, if we don't work together, we won't survive. And if we don't abide by the rules of nature, we also won't survive," said Justin Friedman, another activist.
Young people in 160 countries around the world joined the protests, calling for a climate emergency to be declared before it's too late.
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Last Updated : Oct 1, 2019, 12:14 PM IST
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