जोहांसबर्ग: दक्षिण अफ्रीका के प्रदर्शनकारी शुक्रवार को प्रमुख वैश्विक जलवायु हड़ताल आंदोलन में शामिल हुए. इस हड़ताल में देश भर के 18 शहरों और कस्बों से हजारों लोग सड़कों पर उतर आए. इनका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण परिवर्तन के बुरे प्रभावों से पृथ्वी की सुरक्षा के लिए प्रयास करना है.
प्रचंड गर्मी का सामना करते हुए, हजारों दक्षिण अफ्रीकी लोगों ने दुनिया भर में मार्च में भाग लिया और संयुक्त राष्ट्र के एक बड़े शिखर सम्मेलन से पहले जलवायु परिवर्तन के बारे में अपनी चिंताओं को जोर-शोर से उठाया.
आपको बता दें कि सोमवार को संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में आयोजित शिखर सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन एक प्रमुख मुद्दा होने वाला है.
जोहान्सबर्ग के एक प्रदर्शनकारी कोवानिया ने बताया कि,'हम मार्च कर रहे हैं क्योंकि हम जलवायु परिवर्तन को रोकना चाहते हैं, हम ग्रह को बचाना चाहते हैं. इसके हम फासिल फ्यूल के इस्तेमाल में कम कर रहे हैं, जिससे हमारा पर्यावरण साफ रह सके. हमारे यहां कि कंपनियां ज्यादा से ज्यादा अक्षय ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल कर रहीं हैं जिससे हम पर्यावरण को साफ रख पाएंगे.'
एक अन्य कार्यकर्ता ने कहा, 'हम अपनी आवाज उठाने के लिए यहां हैं. हम जानते हैं कि जलवायु परिवर्तन पहले ही शुरू हो चुका है, और यह हमें मार रहा है. हम, हमारे नेताओं को बताना चाह रहे हैं कि, जलवायु परिवर्तन पर गंभीर कार्रवाई करने की जरूरत है.
ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री तक सीमित करने की दुनिया भर के देशो की कोशिश विफल रही है, पिछली सदी की तुलना में पृथ्वी का तापमान पहले से 1.42 डिग्रीव ज्यादा गर्म हो गया है. पिछले 1000 सालों में साल 2019 के सबसे गर्म वर्ष होने की उम्मीद है, और इसे लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं.
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एक्सटिंक्शन रिबेलियन गौतेंग कार्यकर्ता समूह के प्रवक्ता' रेहाद देसाई ने कहा कि अगर हम तापमान को कम नहीं रह सकते हैं, तो हम पूरी जनसंख्या को खतरे में डाल रहे हैं, क्यूंकि हम सब को पता है कि आर्कटिक कि समुद्री बर्फ के साथ क्या हुआ है. अगले 3 से 5 साल में कुछ भी नहीं बचेगा. दुनिया लागातार गर्म होती जा रही है और अगर तापमान ज्यादा बढ़ता है तो समुद्रों के भीतर, आर्कटिक और अंटार्कटिक के नीचे दबी मीथेन गैस पर्यावरण में फैल जाएगी,जो CO2 की तुलना में 87 गुना अधिक शक्तिशाली है.
एक अन्य कार्यकर्ता जस्टिन फ्राइडमैन ने कहा, चाहे अमीर या गरीब जलवायु परिवर्तन से हर कोई प्रभावित होगा. कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कौन हैं, आप दुनिया में कहां हैं, यह आपको प्रभावित करने वाला है. इसलिए हमें एक साथ काम करने के की जरूरत है क्योंकि अगर हम एक साथ काम नहीं करते हैं और यदि हम प्रकृति के नियमों का पालन नहीं करते हैं, तो हम से कोइ नहीं बचेगा.
दुनिया भर के 160 देशों के युवा इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए हैं. उनका कहना है किड हमें जलवायु आपातकाल घोषित करने कि आवश्यकता है इससे पहले कि बहुत देर हो जाए.