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Yash Chopra Birth Anniversary: लम्हा-लम्हा चला किये बस सफलता के सिलसिले

हिंदी फिल्म जगत को सिलसिला, चांदनी जैसी शानदार फिल्में देने वाले दिग्गज फिल्म मेकर और निर्देशक यश चोपड़ा का आज बर्थ एनिवर्सरी है. आइए एक नजर डालते हैं उनकी जिंदगी के कुछ पहलुओं पर.

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Yash Chopra Birth Anniversary
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Published : Sep 27, 2022, 1:29 PM IST

मुंबई: हिंदी फिल्म जगत के दिग्गज फिल्ममेकर यश चोपड़ा का नाम लेते ही उनकी शानदार फिल्में आंखों के सामने छा जाती हैं. आज 27 सितंबर 1932 को जन्में दिग्गज निर्देशक और फिल्ममेकर का (Yash Chopra Birth Anniversary) आज 90वां बर्थ एनिवर्सरी है. ऐसे में आइए जानते हैं उनकी लाइफ और कुछ स्पेशल किस्सों के बारे में.

यश चोपड़ा का जन्म 27 सितम्बर 1932 को पाकिस्तान के लाहौर में हुआ था. उनका पूरा नाम यश राज था जिसमें से उन्होंने यश अपना लिया और राज को हटा दिया. उन्होंने बम्बई आकर एक सहायक निर्देशक के रूप में अपना करियर शुरू किया. यह काम उन्होंने आईएस जौहर के साथ बतौर उनके सहायक बनकर किया था. 1959 में उन्होंने अपनी पहली फिल्म 'धूल का फूल' बनायी थी. उसके बाद 1961 में 'धर्मपुत्र' आयी. हालांकि, 1965 में बनी फिल्म वक़्त से उन्हें शोहरत मिली.

बॉलीवुड में अमिताभ बच्चन को शहंशाह भी उन्होंने ही बनाया. 1973 में 'दाग' फिल्म बनाने के दो साल बाद ही 1975 में 'दीवार', 1976 में 'कभी कभी' और 1978 में 'त्रिशूल' जैसी फिल्में बनाकर उन्होंने बिग बी को बॉलीवुड में स्थापित किया. 1981 में 'सिलसिला', 1984 में 'मशाल' और 1988 में बनी 'विजय' उनकी यादगार फिल्मों के रूप में हैं. 1989 में उन्होंने वाणिज्यिक और समीक्षकों की दृष्टि में सफल फिल्म 'चांदनी' का निर्माण किया, जिसने बॉलीवुड में हिंसा के युग के अन्त और हिन्दी फिल्मों में संगीत की वापसी में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी.

इसके बाद उन्होंने 1991 में क्लासिकल फिल्म 'लम्हे' बनायी, जिसे फिल्म जगत के समस्त आलोचकों द्वारा और स्वयं चोपड़ा की दृष्टि में उनके सबसे अच्छे काम के रूप में स्वीकार किया गया. 1993 में शाहरुख खान को लेकर बनायी गयी फिल्म 'डर' ने उनका सारा डर दूर कर दिया. 1997 में 'दिल तो पागल है', 2004 में 'वीरजारा' और 2012 में 'जब तक है जान' का निर्माण करके 2012 में ही उन्होंने फिल्म-निर्देशन से अपने संन्यास की घोषणा भी कर दी थी.

यश चोपड़ा को फिल्म मेकिंग के क्षेत्र में कई पुरस्कार व सम्मान प्राप्त हुए. बॉलीवुड जगत से फिल्म फेयर पुरस्कार, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार के अतिरिक्त भारत सरकार ने उन्हें 2005 में भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया था. 21 अक्टूबर 2012 को उन्होंने इस जगत को अलविदा कह दिया. हालांकि, वह अपनी शानदार, अमर फिल्मों के जरिए हमेशा जिंदा रहेंगे.

यह भी पढ़ें- KWK-7: करण जौहर कर रहे वरुण धवन के पिता डेविड धवन को डेट? आलिया भट्ट पर भी हुए ट्रोल

मुंबई: हिंदी फिल्म जगत के दिग्गज फिल्ममेकर यश चोपड़ा का नाम लेते ही उनकी शानदार फिल्में आंखों के सामने छा जाती हैं. आज 27 सितंबर 1932 को जन्में दिग्गज निर्देशक और फिल्ममेकर का (Yash Chopra Birth Anniversary) आज 90वां बर्थ एनिवर्सरी है. ऐसे में आइए जानते हैं उनकी लाइफ और कुछ स्पेशल किस्सों के बारे में.

यश चोपड़ा का जन्म 27 सितम्बर 1932 को पाकिस्तान के लाहौर में हुआ था. उनका पूरा नाम यश राज था जिसमें से उन्होंने यश अपना लिया और राज को हटा दिया. उन्होंने बम्बई आकर एक सहायक निर्देशक के रूप में अपना करियर शुरू किया. यह काम उन्होंने आईएस जौहर के साथ बतौर उनके सहायक बनकर किया था. 1959 में उन्होंने अपनी पहली फिल्म 'धूल का फूल' बनायी थी. उसके बाद 1961 में 'धर्मपुत्र' आयी. हालांकि, 1965 में बनी फिल्म वक़्त से उन्हें शोहरत मिली.

बॉलीवुड में अमिताभ बच्चन को शहंशाह भी उन्होंने ही बनाया. 1973 में 'दाग' फिल्म बनाने के दो साल बाद ही 1975 में 'दीवार', 1976 में 'कभी कभी' और 1978 में 'त्रिशूल' जैसी फिल्में बनाकर उन्होंने बिग बी को बॉलीवुड में स्थापित किया. 1981 में 'सिलसिला', 1984 में 'मशाल' और 1988 में बनी 'विजय' उनकी यादगार फिल्मों के रूप में हैं. 1989 में उन्होंने वाणिज्यिक और समीक्षकों की दृष्टि में सफल फिल्म 'चांदनी' का निर्माण किया, जिसने बॉलीवुड में हिंसा के युग के अन्त और हिन्दी फिल्मों में संगीत की वापसी में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी.

इसके बाद उन्होंने 1991 में क्लासिकल फिल्म 'लम्हे' बनायी, जिसे फिल्म जगत के समस्त आलोचकों द्वारा और स्वयं चोपड़ा की दृष्टि में उनके सबसे अच्छे काम के रूप में स्वीकार किया गया. 1993 में शाहरुख खान को लेकर बनायी गयी फिल्म 'डर' ने उनका सारा डर दूर कर दिया. 1997 में 'दिल तो पागल है', 2004 में 'वीरजारा' और 2012 में 'जब तक है जान' का निर्माण करके 2012 में ही उन्होंने फिल्म-निर्देशन से अपने संन्यास की घोषणा भी कर दी थी.

यश चोपड़ा को फिल्म मेकिंग के क्षेत्र में कई पुरस्कार व सम्मान प्राप्त हुए. बॉलीवुड जगत से फिल्म फेयर पुरस्कार, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार के अतिरिक्त भारत सरकार ने उन्हें 2005 में भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया था. 21 अक्टूबर 2012 को उन्होंने इस जगत को अलविदा कह दिया. हालांकि, वह अपनी शानदार, अमर फिल्मों के जरिए हमेशा जिंदा रहेंगे.

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