अमृतसर : मशहूर पंजाबी लोक गायक सुरिंदर शिंदा का निधन हो गया. सिंगर ने 64 साल की उम्र में आखिरी सांस ली. हाल ही में उनका अस्पताल में फूड पाइप का ऑपरेशन हुआ था. ऑपरेशन के बाद सिंगर के शरीर में इंफेक्शन बढ़ने लगा और आज 26 जुलाई को उनका निधन हो गया. सुरिंदर को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. इलाज के लिए सुरिंदर 20 दिनों से अस्पताल में भर्ती भी रहे थे. सुरिंदर को अस्पताल में वेंटिलेटर पर रखा गया था. हालत बिगड़ने के बाद उन्हें शहर के डीएमसीएच अस्पताल में भर्ती कराया गया था. शिंदा के जाने से पंजाबी इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गई है. शिंदा के परिवार में पत्नी जोगिंदर कौर और बेटे मनिंदर शिंदा और बेटी सिमरन शिंदा है.
सुरिंदर शिंदा पंजाब के लुधियाना में गांव अयाली में जन्मे थे. सुरिंदर को संगीत विरासत में मिला. शिंदा के माता-पिता (बचन राम और विदेवती) संगीत से जुड़ थे. ऐसे में चार साल की उम्र में ही शिंदा ने संगीत को गले लगा लिया था.
शिंदा का करियर
सुरिंदर का असली नाम सुरिंदर पाल धम्मी था. गौरतलब है कि शिंदा ने उस्ताद मिस्तारी बचन राम के यहां गायकी के गुण सीखे. वहीं, संगीत के साथ-साथ शिंदा ने सरकारी स्कूल से अपनी प्राइमरी की पढ़ाई पूरी की थी. गौरतलब है कि उन्हें एक सरकारी जॉब भी मिली थी. स्कूल पूरा करने के बाद शिंदा एसआईएस लुधियाना में एडमिशन लिया और शॉर्ट इंजीनियरिंग में मैकेनकिल की पढ़ाई की. सिंगर बनने से पहले शिंदा ने बतौर मैकेनिकल इंजीनियर लुधियाना ही में नौकरी भी की थी, लेकिन शिंदा का जुनून एक सिंगर बनने का का था. फिर क्या था शिंदा ने नौकरी छोड़ी और सिंगिंग में हाथ आजमाया.
शिंदा का पहला गाना
शिंदा ने उस्ताद जसवंत भामरा का दामन पकड़ा और सिंगिंग सीखने लगे. बता दें, शिंदा 165 गानों की कैसेट रिलीज कर चुके हैं. शिंदा का पहला गाना 'उच्चा बुर्ज लाहौर' था. शिंदा डेब्यू सॉन्ग सुपरहिट साबित हुआ. इसके बाद सॉन्ग रख ले क्लियंदर यारा एलबम रिलीज की.
फिल्में और अवार्ड्स
बतौर एक्टर शिंदा ने पुत्त जट्टा दे, ऊंचा दर बाबे नानक दा, अंख जट्टा दी, जट्ट जियोणा मौड़, बदला जट्टी दा, पटोला में काम किया. गौरतलब है कि शिंदा को सिंगिंग और एक्टिंग में 26 स्वर्ण पदक और ढाई हजार ट्रॉफी मिली हैं. वहीं, कला कॉउंसिल ने उन्हें पंजाब के गौरव रत्न पुरस्कार से भी नवाजा है. इसक अलावा शिंदा को शिरोमणि गायक पुरस्कार और यूके में पंजाबी लोक पुरस्कार मिले हैं.