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Guthlee Ladoo : गुजरात HC ने सेंसर बोर्ड को दिया 'गुठली लड्डू' से आपत्तिजनक शब्द हटाने संबंधी याचिका पर फैसला लेने का निर्देश - गुठली लड्डू सेंसर बोर्ड

गुजरात हाई कोर्ट ने हिंदी फिल्म 'गुठली लड्डू' से वाल्मिकी समाज के लिए आपत्तिजनक शब्दों को हटाने का फैसला लेने के लिए केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) को 24 घंटे का समय दिया है. यहां पढ़ें पूरी खबर.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 13, 2023, 7:24 PM IST

अहमदाबाद : गुजरात हाई कोर्ट ने शुक्रवार को रिलीज होने वाली हिंदी फिल्म 'गुठली लड्डू' में वाल्मिकी समुदाय के लिए इस्तेमाल किए गए आपत्तिजनक शब्दों के मामले में सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन को फैसला लेने के लिए 24 घंटे का समय दिया है. न्यायमूर्ति वैभवी नानावटी ने सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 की धारा 6 के प्रावधानों के तहत आपत्तिजनक शब्दों पर निर्णय लेने के लिए सीबीएफसी को 24 घंटे का समय दिया.

बता दें कि यह फिल्म आज शुक्रवार 13 अक्टूबर को रिलीज हो चुकी है. उच्च न्यायालय के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल देवांग व्यास की सिफारिश पर उपस्थित अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे को अदालत के आदेश से सीबीएफसी को अवगत कराने का निर्देश दिया गया था. मामले में फिल्म के निर्माताओं में से एक, यूवी फिल्म्स ने तर्क दिया कि फिल्म को कई फिल्म समारोहों में प्रदर्शित किया गया है. सीबीएफसी ने इस फिल्म को यू सर्टिफिकेट दिया है. यू सर्टिफिकेट वाली मूवीज सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित की जा सकेंगी, जिसे परिवार भी एक साथ बैठकर देख सकता है.

इससे पहले 9 अक्टूबर को जस्टिस नानावटी ने वाल्मिकी समुदाय के खिलाफ इस्तेमाल किए गए आपत्तिजनक शब्दों को लेकर सीबीएफसी और हिंदी फिल्म 'गुठली लड्डू' के निर्माताओं को नोटिस जारी किया था. यह नोटिस निमेश वाघेला द्वारा किए गए एक आवेदन के संबंध में जारी किया गया था. फिल्म से आपत्तिजनक शब्दों को हटाने के अलावा इसका सर्टिफिकेट रद्द करने की भी मांग की गई. निर्माताओं ने फिल्म का ट्रेलर जारी किया तो निमेश वाघेला ने यहां तक ​​मांग की कि जब तक फिल्म से आपत्तिजनक शब्द नहीं हटा दिए जाते, तब तक फिल्म रिलीज न की जाए. फिल्म के आपत्तिजनक शब्द सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 के साथ-साथ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति संदर्भ अधिनियम, 1989 का उल्लंघन करते हैं. इस याचिका में दावा किया गया है कि वाल्मिकी ने समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है.

यह भी पढ़ें: Sanjay Mishra : फिल्मों की महत्व पर बोले इंडस्ट्री के वर्सेटाइल एक्टर संजय मिश्रा- 'किताबों की तरह काम करती हैं फिल्में'

अहमदाबाद : गुजरात हाई कोर्ट ने शुक्रवार को रिलीज होने वाली हिंदी फिल्म 'गुठली लड्डू' में वाल्मिकी समुदाय के लिए इस्तेमाल किए गए आपत्तिजनक शब्दों के मामले में सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन को फैसला लेने के लिए 24 घंटे का समय दिया है. न्यायमूर्ति वैभवी नानावटी ने सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 की धारा 6 के प्रावधानों के तहत आपत्तिजनक शब्दों पर निर्णय लेने के लिए सीबीएफसी को 24 घंटे का समय दिया.

बता दें कि यह फिल्म आज शुक्रवार 13 अक्टूबर को रिलीज हो चुकी है. उच्च न्यायालय के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल देवांग व्यास की सिफारिश पर उपस्थित अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे को अदालत के आदेश से सीबीएफसी को अवगत कराने का निर्देश दिया गया था. मामले में फिल्म के निर्माताओं में से एक, यूवी फिल्म्स ने तर्क दिया कि फिल्म को कई फिल्म समारोहों में प्रदर्शित किया गया है. सीबीएफसी ने इस फिल्म को यू सर्टिफिकेट दिया है. यू सर्टिफिकेट वाली मूवीज सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित की जा सकेंगी, जिसे परिवार भी एक साथ बैठकर देख सकता है.

इससे पहले 9 अक्टूबर को जस्टिस नानावटी ने वाल्मिकी समुदाय के खिलाफ इस्तेमाल किए गए आपत्तिजनक शब्दों को लेकर सीबीएफसी और हिंदी फिल्म 'गुठली लड्डू' के निर्माताओं को नोटिस जारी किया था. यह नोटिस निमेश वाघेला द्वारा किए गए एक आवेदन के संबंध में जारी किया गया था. फिल्म से आपत्तिजनक शब्दों को हटाने के अलावा इसका सर्टिफिकेट रद्द करने की भी मांग की गई. निर्माताओं ने फिल्म का ट्रेलर जारी किया तो निमेश वाघेला ने यहां तक ​​मांग की कि जब तक फिल्म से आपत्तिजनक शब्द नहीं हटा दिए जाते, तब तक फिल्म रिलीज न की जाए. फिल्म के आपत्तिजनक शब्द सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 के साथ-साथ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति संदर्भ अधिनियम, 1989 का उल्लंघन करते हैं. इस याचिका में दावा किया गया है कि वाल्मिकी ने समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है.

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