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Big B Birthday Special: जब बड़े पर्दे पर अमिताभ की खामोशी ने जीत लिया दर्शकों का दिल, यहां देखिए

सदी के महानायक अमिताभ ने फिल्म इंडस्ट्री को एक से बढ़कर एक फिल्में दी हैं, उनकी फिल्मों जब शानदार और दमदार उनकी आवाज गुंजती थी स्टोरी की ताकत और भी बढ़ जाती थी. मगर बड़े पर्दे पर कई ऐसे पल आएं जब उनकी खामोशी ने दर्शकों का दिल जीत लिया. शानदार फिल्मों पर उनके बर्थडे के मौके पर डालिए एक नजर.

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Big B Bithday Special
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Published : Oct 9, 2022, 1:20 PM IST

Updated : Oct 9, 2022, 4:05 PM IST

मुंबई: अमिताभ बच्चन के हाव-भाव और रंग-ढंग के साथ उनकी आवाज भी उनको एक सफल एक्टर के रुप में स्थापित करती है. कई बार फिल्म यह मांग कर सकती है कि कलाकार बिना किसी शब्द के सिर्फ चेहरे के भाव और शरीर की भाषा का इस्तेमाल कर अपनी एक अलग छाप छोड़े. ऐसे दृश्य अक्सर दर्शकों की दिलों में उतर जाते हैं. ऐसे में दमदार आवाज के मालिक अमिताभ बच्चन कैसे पीछे रह सकते हैं. सदी के महानायक ने हमेशा ही शानदार प्रदर्शन देकर सबको खुश किया है. उनके जन्मदिन के अवसर पर देखिए बड़े पर्दे पर अमिताभ की खामोशी के वह पल बिना कहे बहुत कुछ कह गए.

1 आनंद (1971)- फिल्म में अमिताभ ने एक डॉक्टर की भूमिका निभाई थी, जो बीमार राजेश खन्ना का इलाज करते हैं. फिल्म का वह दृश्य जब खन्ना अपने घर की बालकनी पर, 'कहीं दूर जब दिन ढल जाए', गाते हैं और उसी समय बच्चन प्रवेश करते हैं, कमरे की बत्ती बुझाते हैं और फिर, खड़े हो जाते हैं, बिना कुछ कहे.

2 जंजीर (1973)- यह वह फिल्म थी जिसने बच्चन को हर घर में पहचान दिलाई और एंग्री यंग मैन शब्द को चलन में ला दिया, जबकि फिल्म के संवाद, विशेष रूप से पुलिस स्टेशन मुठभेड़ शानदार रहा. अब फिल्म के उस दृश्य पर नजर डालिए, जहां इंस्पेक्टर विजय खन्ना थोड़ी तरलता दिखाते हैं और उनमें रोमांस पनपता है. क्योंकि जया भादुड़ी को सुरक्षा मुहैया करते हैं और खिड़की पर खड़े होकर भोलापन दिखाते हुए गाना सुनते हैं 'दीवाने है, दीवानों को न घर चाहिए.

3 दीवार (1975)- जहां 'जंजीर' ने बच्चन को नाम दिया, वहीं 'दीवार' ने उनकी साख को बढ़ा दिया. डायलॉग से भरी फिल्म में फिर से एक दृश्य है, जब बच्चन को उनके गुरु, डावर (इफ्तेहर) आमंत्रित करते हैं. बच्चेन धीरे-धीरे आगे बढ़ते हैं डेस्क के चारों ओर चलते हैं और मेज पर पैर रख कर बिना कुछ कहे बहुत कुछ कह जाते हैं.

4 शोले (1975)- जहां बच्चन को उस सीन के लिए सबसे ज्यादा याद किया जाता है, जब वो अपने दोस्त वीरू (धर्मेंद्र) के लिए मैचमेकर की भूमिका निभाते हैं, लेकिन फिल्म में कई सीन हैं, जिसमें वो बिना कुछ कहे शानदार अभिनय से चुपचाप अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं.

5 कालिया (1981)- परवीन बाबी को साड़ी पहनना सिखाने के बाद अमिताभ उसे अपनी भाभी (आशा पारेख) से मिलवाने के लिए घर ले आते हैं. वह तुरंत बाबी को खाना पकाने के काम में लगा देती हैं और खुद को रसोई में समेट लेती हैं, बच्चन अंडे को कैसे फोड़ना है, इस बारे में ईशारा कर उनकी मदद करने की कोशिश करते हैं.

यह भी पढ़ें- अमिताभ बच्चन के बर्थडे पर दर्शकों को मिलेगा तोहफा, फिल्म फेस्टिवल में देख सकेंगे बिग बी की यह फिल्में

मुंबई: अमिताभ बच्चन के हाव-भाव और रंग-ढंग के साथ उनकी आवाज भी उनको एक सफल एक्टर के रुप में स्थापित करती है. कई बार फिल्म यह मांग कर सकती है कि कलाकार बिना किसी शब्द के सिर्फ चेहरे के भाव और शरीर की भाषा का इस्तेमाल कर अपनी एक अलग छाप छोड़े. ऐसे दृश्य अक्सर दर्शकों की दिलों में उतर जाते हैं. ऐसे में दमदार आवाज के मालिक अमिताभ बच्चन कैसे पीछे रह सकते हैं. सदी के महानायक ने हमेशा ही शानदार प्रदर्शन देकर सबको खुश किया है. उनके जन्मदिन के अवसर पर देखिए बड़े पर्दे पर अमिताभ की खामोशी के वह पल बिना कहे बहुत कुछ कह गए.

1 आनंद (1971)- फिल्म में अमिताभ ने एक डॉक्टर की भूमिका निभाई थी, जो बीमार राजेश खन्ना का इलाज करते हैं. फिल्म का वह दृश्य जब खन्ना अपने घर की बालकनी पर, 'कहीं दूर जब दिन ढल जाए', गाते हैं और उसी समय बच्चन प्रवेश करते हैं, कमरे की बत्ती बुझाते हैं और फिर, खड़े हो जाते हैं, बिना कुछ कहे.

2 जंजीर (1973)- यह वह फिल्म थी जिसने बच्चन को हर घर में पहचान दिलाई और एंग्री यंग मैन शब्द को चलन में ला दिया, जबकि फिल्म के संवाद, विशेष रूप से पुलिस स्टेशन मुठभेड़ शानदार रहा. अब फिल्म के उस दृश्य पर नजर डालिए, जहां इंस्पेक्टर विजय खन्ना थोड़ी तरलता दिखाते हैं और उनमें रोमांस पनपता है. क्योंकि जया भादुड़ी को सुरक्षा मुहैया करते हैं और खिड़की पर खड़े होकर भोलापन दिखाते हुए गाना सुनते हैं 'दीवाने है, दीवानों को न घर चाहिए.

3 दीवार (1975)- जहां 'जंजीर' ने बच्चन को नाम दिया, वहीं 'दीवार' ने उनकी साख को बढ़ा दिया. डायलॉग से भरी फिल्म में फिर से एक दृश्य है, जब बच्चन को उनके गुरु, डावर (इफ्तेहर) आमंत्रित करते हैं. बच्चेन धीरे-धीरे आगे बढ़ते हैं डेस्क के चारों ओर चलते हैं और मेज पर पैर रख कर बिना कुछ कहे बहुत कुछ कह जाते हैं.

4 शोले (1975)- जहां बच्चन को उस सीन के लिए सबसे ज्यादा याद किया जाता है, जब वो अपने दोस्त वीरू (धर्मेंद्र) के लिए मैचमेकर की भूमिका निभाते हैं, लेकिन फिल्म में कई सीन हैं, जिसमें वो बिना कुछ कहे शानदार अभिनय से चुपचाप अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं.

5 कालिया (1981)- परवीन बाबी को साड़ी पहनना सिखाने के बाद अमिताभ उसे अपनी भाभी (आशा पारेख) से मिलवाने के लिए घर ले आते हैं. वह तुरंत बाबी को खाना पकाने के काम में लगा देती हैं और खुद को रसोई में समेट लेती हैं, बच्चन अंडे को कैसे फोड़ना है, इस बारे में ईशारा कर उनकी मदद करने की कोशिश करते हैं.

यह भी पढ़ें- अमिताभ बच्चन के बर्थडे पर दर्शकों को मिलेगा तोहफा, फिल्म फेस्टिवल में देख सकेंगे बिग बी की यह फिल्में

Last Updated : Oct 9, 2022, 4:05 PM IST
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