हैदराबाद: 74 वर्ष की जीवनकाल में एसपी बालासुब्रमण्यम की शानदार सिनेमाई जर्नी ने इंडस्ट्री को एक नई जान दी. 1965 में पहली बार गाने के लिए माइक थामने से लेकर अपनी आखिरी सांस तक, उन्होंने अपना जीवन कला की जननी को समर्पित कर दिया थ. उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर बेस्ट प्ले बैक के रूप में छह पुरस्कार मिल चुका है. तेलुगु, कन्नड़, तमिल और हिंदी में वह अपनी आवाज की दम पर बेहद फेमस हुए. 25 सितंबर 2020 को उनका निधन हो गया था.
सुपरहिट तेलुगू हिट फिल्म 'शंकरा भारणम' में गाने गाकर उन्होंने इस अफवाह पर विराम लगा दिया कि उन्हें शास्त्रीय संगीत का ज्ञान नहीं है. 'शंकरा भरणम' और 'सागरसंगमम' जैसी तेलुगू फिल्मों के लिए गाने के अलावा, 'एक दूजे के लिए' जैसी हिंदी फिल्मों में गाए उनके गाने सुपरहिट हो गए हैं. इसके अलावा उन्होंने तमिल, कन्नड़ जैसी दक्षिण-भारतीय भाषाओं की कई फिल्मों के लिए प्ले बैक सिंगर भी रहे हैं, जिसके लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला. एक प्ले एक पार्श्व गायक होने के अलावा बाला सुब्रमण्यम ने एक अभिनेता, डबिंग कलाकार, संगीत निर्देशक और अन्य की विभिन्न भूमिकाएं भी निभाईं, जिनमें से कई ने उन्हें इस बहुमुखी प्रतिभा के लिए आंध्र प्रदेश राज्य सरकार के प्रतिष्ठित नंदी पुरस्कार से सम्मानित किया.
एसपी बालू द्वारा जीते गए पुरस्कारों और खिताबों को गिनना आकाश में तारों की संख्या गिनने जैसा है. जहां उनकी उत्कृष्ट और सुरीली आवाज ने उन्हें लगभग 6 बार राष्ट्रीय पुरस्कार दिलाया, वहीं उन्हें लगभग 25 बार आंध्र प्रदेश राज्य सरकार की ओर से 'बेस्ट प्ले बैक सिंगर' की श्रेणी के लिए प्रतिष्ठित नंदी पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इस प्रकार एसपी बालू ने 16 भाषाओं और लगभग 40,000 गानों में गायन के क्षेत्र में अपनी छाप छोड़कर अपने लिए 'वॉकिंग यूनिवर्सिटी ऑफ म्यूजिक' का नाम कमाया.
बॉलीवुड में फिल्मफेयर पुरस्कार मिलने के साथ-साथ एस पी बालू ने दक्षिण भारत फिल्म उद्योग में 6 फिल्मफेयर पुरस्कार जीते। भारतीय सिनेमा में उनके योगदान को सम्मान देते हुए, बालू को वर्ष 2012 में एनटीआर राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वर्ष 2016 में, उन्हें सिल्वर पीकॉक मेडल से सम्मानित किया गया था और उन्होंने देश के इतिहास में अपने लिए एक विशेष स्थान अर्जित किया था. सिनेमा सरकार द्वारा भी उन्हें लगभग सभी सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार देकर उचित सम्मान दिया गया. उन्हें भारत सरकार द्वारा 2001 में पद्म श्री पुरस्कार और 2011 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. वर्ष 1999 में तेलंगाना राज्य के पोट्टी श्रीरामुलु विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया.