नई दिल्लीः जेल में बंद एक कैदी पर व्हाट्सएप कॉल कर, कारोबारी से एक करोड़ रुपये की रंगदारी मांगने का आरोप लगा है. पुलिस ने जेल जाकर, उसकी गिरफ्तारी कर ली, लेकिन छानबीन के दौरान उसके पास से मोबाइल बरामद नहीं कर सकी. इसके अलावा व्हाट्सएप कॉल की डिटेल भी पुलिस को नहीं मिल सकी. इस मामले में अदालत ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद आरोपी को जमानत दे दी है.
जानकारी के अनुसार, 23 जून को नरेला औद्योगिक क्षेत्र थाने (Narela Industrial Area Police Station) में जबरन उगाही की एफआईआर दर्ज की गई थी. पीड़ित ने पुलिस को दी गई शिकायत में बताया कि वह घर पर मौजूद थे. उसी समय 25 से 30 साल के दो युवक, उनके पास आए और उन्हें एक पर्ची देकर रुपये तैयार करने के लिए कहा. वह जेब से कुछ निकालने लगे, तो डरकर दरवाजा बंद कर दिया. बदमाशों ने उनके घर के बाहर चार से पांच राउंड गोलियां चलाई और फरार हो गए. पीड़ित, जब बाहर निकले, तो गोली के खाली खोल, वहां पड़े हुए थे. बाइक सवार बदमाश फरार हो चुके थे.
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व्हाट्सएप कॉल पर एक करोड़ की रंगदारी मांगी
इसके बाद, उनके भाई के मोबाइल पर एक अज्ञात नंबर से व्हाट्सएप कॉल आई, जिसमें एक करोड़ रुपये की रंगदारी मांगी गई. उन्होंने पीसीआर के नंबर पर पूरे मामले की शिकायत की, जिस पर यह एफआईआर दर्ज हुई थी. पीड़ित कारोबारी को, जो पर्ची दी गई थी, उसमें संजीव उर्फ भांजा और भाई सेठी का नाम लिखा हुआ था. इस मामले में पुलिस ने, जब आरोपियों को गिरफ्तार किया, तो उन्होंने बताया कि जेल से सोनू उर्फ अक्षय ने यह कॉल की थी. 25 जून को वह भोंडसी जेल में बंद था. वहां पर उससे पूछताछ की गई, उसका डिस्क्लोजर स्टेटमेंट रिकॉर्ड करने के बाद, उसे गिरफ्तार कर लिया गया.
न मोबाइल मिला और न व्हाट्सएप डिटेल
आरोपी सोनू के अधिवक्ता रवि दराल ने अदालत को बताया कि शिकायतकर्ता को जब धमकी दी गई, तो वहां सोनू मौजूद नहीं था. धमकी के लिए, जो पर्ची दी गई, उसमें भी सोनू का नाम नहीं था. केवल गिरफ्तार आरोपियों द्वारा नाम लेने के चलते सोनू को गिरफ्तार किया गया. जेल में न तो सोनू के पास मोबाइल मिला और ना ही व्हाट्सएप कॉल में, उसके शामिल होने की बात साबित हुई. इसके साथ ही पुलिस जांच पूरी कर, अदालत के समक्ष आरोपपत्र दायर कर चुकी है. इस मामले में सोनू लगभग एक साल से न्यायिक हिरासत में है, इसलिए उसे जमानत दी जाए.
अदालत ने आरोपी सोनू को दी जमानत
जांच अधिकारी की तरफ से अदालत को बताया गया कि, जो कॉल की गई थी वह ऑडियो कॉल थी. वीडियो कॉल नहीं होने के चलते आरोपी का चेहरा नहीं देखा गया. व्हाट्सएप ने कॉल से संबंधित कोई जानकारी देने से इनकार कर दिया है. अदालत ने आदेश में कहा कि 25 जून से आरोपी इस मामले में न्यायिक हिरासत में है. जांच पूरी हो चुकी है और आरोपपत्र दाखिल हो चुका है. इस मामले में आरोपी को जेल में रखना आवश्यक नहीं है. इसके चलते उसे 15,000 रुपये के बांड पर जमानत दी जाती है.