नई दिल्लीः ट्रांसपोर्टरों को फर्जी नो एंट्री परमिशन देने वाले एक गैंग का पुलिस ने पर्दाफाश किया है. क्राइम ब्रांच ने इस गैंग के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया है. इनके पास से फर्जी नो एंट्री परमिशन बनाने वाला लैपटॉप भी पुलिस ने जब्त किया है. आरोपियों ने बीते एक साल में 40 से ज्यादा लोगों को फर्जी नो एंट्री परमिशन बेची थी.
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शिकायतकर्ता ने मिली थी जानकारी
संयुक्त आयुक्त बीके सिंह के अनुसार, 15 दिसंबर 2020 को टोडापुर स्थित ट्रैफिक दफ्तर में एक शिकायत मिली थी. इसमें बताया गया कि एक गैंग फर्जी नो एंट्री परमिशन (एनईपी) जारी कर रहा है. इन शिकायतों की जांच क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर की गई. इनमें से एक शिकायतकर्ता जितेंद्र प्रधान ने पुलिस को बताया कि वह ट्रांसपोर्टर है और उसके पास दो गाड़ियां हैं. नवंबर 2020 में उसकी मुलाकात उपदेश नामक युवक से हुई, जो पांच हजार रुपये में नो एंट्री परमिशन देने को तैयार हो गया. उन्होंने यह रुपये देकर दोनों गाड़ियों के लिए दो नो एंट्री परमिशन ले ली.
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दोनों एनईपी निकले फर्जी
शिकायतकर्ता को बाद में पता चला कि है दोनों ही नो एंट्री परमिशन फर्जी हैं. इसके बाद उन्होंने पूरे मामले की शिकायत ट्रैफिक पुलिस के दफ्तर में की और इसकी जांच करवाई. ट्रैफिक पुलिस ने इस बात की पुष्टि की कि यह नो एंट्री परमिशन फर्जी है. उसकी शिकायत पर ही क्राइम ब्रांच में मामला दर्ज किया गया. एसीपी मनोज दीक्षित की देखरेख में इंस्पेक्टर गगन भास्कर, राजीव कुमार और एसआई संदीप यादव की टीम ने जांच शुरू की. उन्होंने छानबीन करते हुए 4 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया.
40 से ज्यादा फर्जी एनईपी बेचे
पूछताछ में पता चला कि उपदेश और आजाद ड्राइवर हैं. उन्हें पता था कि सभी ट्रांसपोर्ट नो एंट्री परमीशन चाहते हैं. इसके लिए वह अच्छी रकम भी दे देंगे. उन्होंने अपने दोस्तों शादाब और आशीष को गैंग में मिलाया. आशीष ने फर्जी नो एंट्री परमिशन बनाई. वहीं, उपदेश और आजाद लोगों को इसे बेचने का काम करते थे. बीते 1 साल में वह ऐसे 40 से ज्यादा फर्जी नो एंट्री बेच चुके थे. इनकी वैलिडिटी कुछ दिनों से लेकर महीनों की होती थी. गिरफ्तार किया गया उपदेश पहले भी लूट की एक वारदात में शामिल रहा है. इनके पास से एक लैपटॉप, 5 मोबाइल और एक पिकअप वैन बरामद की गई है.