नई दिल्ली/नोएडा : यमुना विकास प्राधिकरण की 74वीं बोर्ड बैठक में फ्लैटेड फैक्ट्री बनाने की योजना का प्रस्ताव पास किया गया है. वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के तीन जिला गोरखपुर, कानपुर और आगरा में स्थापित किया जा चुका है. प्राधिकरण के सेक्टर-29 अपैरल पार्क में आठ भूखंड बचे हुए हैं. इसमें दो फ्लैटेड फैक्ट्री बनाने का निर्णय लिया गया है. दो फ्लैटेड फैक्ट्री 20 हजार वर्ग मीटर व 18 हजार वर्ग मीटर में प्राधिकरण आठ माह में बनाकर तैयार करेगा. इसके बाद यमुना प्राधिकरण इन दोनों फ्लैटेड फैक्ट्री को किराए पर देने की योजना है.
इन दोनों फैक्ट्रियों को स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य स्थानीय छोटे-बड़े औद्योगिक इकाइयों व माइक्रो, स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइज (एमएसएमई) इकाइयों को स्थापित करना है. इन इकाइयों में मुख्य रूप से बाउंड्री वॉल, सडकों का निर्माण, जल व्यवस्था, रेन वॉटर, जल निकासी व्यवस्था के साथ लाइट की व्यवस्था की जाएगी. साथ ही प्राथमिक चिकित्सा केंद्र, सुरक्षा, टेलिकॉम, साईबर सुविधा, कॉन्फ्रेंस हॉल, एक्सीबिशन सेंटर, बैंक, पोस्ट ऑफिस, पुलिस चौकी व कैंटीन सहित अन्या सुविध दी जाएगी.
फ्लैटेड फैक्ट्री परिसर प्रदूषण से रहित होगा. प्राधिकरण के बायॅलांज के अनुसार भूखंड के लिए अधिकतम 35 प्रतिशत ग्राउंड कवरेज, 1.40 एफएआर व 24 मीटर ऊंचाई रहेगी. इसमें दो-तीन फ्लोर के परिसर का निर्माण किया जाएगा, जो 50-60 इकाईयों के लिए कमरे व हॉल की अतिरिक्त सामान्य सुविधाओं के साथ प्रशासनिक कार्यालय बनाए जाने का प्रस्ताव पास किया गया है. जानकारों की मानें तो फ्लैटेड फैक्ट्री का कॅन्सेप्ट विदेशी है. इसके तहत फ्लैटनुमा बहुमंजिला इमारतों का निर्माण किया जाता है.
इमारत के हर फ्लोर पर काम के हिसाब से स्ट्राक्चर तैयार किया जाता है. जहां छोटे व बडे़ उद्योग स्थापित किए जाते हैं. जैसे जूता सिलाई, रेडिमेड गारमेंट, इलेक्ट्रॉनिक-इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट, हैंडीक्राफ्ट व फैशन डिजाइन आदि छोटे उद्योग लगाए जा सकते हैं. इस तरह की फ्लैटेड फैक्ट्रियों में काम से जुड़े जरूरी संसाधन पहले से ही स्थापित होते हैं. इस योजना का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसके तहत न तो लम्बी-चौड़ी जमीन की जरूरत पड़ती है और न ही जमीन खरीदकर फैक्ट्री बनवाने का झंझट, मतलब अपने कारोबार के हिसाब से सभी संसाधन वाली फैक्ट्री किराए पर लेकर अपना काम शुरू कर सकते हैं.