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जिस VVIP नंबर की लगी साढ़े 5 लाख बोली, वो बिका सिर्फ 35.5 हजार में

0001 नंबर प्लैट की पहली बोली 5.5 लाख लगी और दूसरी बोली 5 लाख की लगी और तीसरी बोली 35.5 हज़ार की लगी, लेकिन नंबर 35.5 हज़ार वाले व्यक्ति को अलॉट किया गया. पढ़े पूरी खबर...

एके पांडे, ARTO अधिकारी etv bharat
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Published : Jul 24, 2019, 1:12 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा: वीवीआईपी नंबर को लेकर अक्सर वाहन चालकों में उत्साह देखा जाता है. परिवहन विभाग VVIP नंबर की बोली अब ऑनलाइन करती है. गौतमबुद्ध नगर में 0001 नंबर प्लैट की ऑनलाइन बोली लगी.

0001 नंबर प्लैट की पहली बोली 5.5 लाख लगी और दूसरी बोली 5 लाख की लगी और तीसरी बोली 35.5 हज़ार की लगी, लेकिन नंबर 35.5 हज़ार वाले व्यक्ति को अलॉट किया गया.

VVIP नंबर की हुई नीलामी

नहीं जमा की सिक्योरिटी मनी
परिवहन विभाग ने 346 नंबरों को वीआईपी नंबर की लिस्ट में शामिल किया हुआ है. इनसे करीब 22 लाख रुपए के राजस्व प्राप्ति होती है. गौतम बुद्ध नगर एआरटीओ प्रशासन एके पांडे ने बताया कि ई-नीलामी प्रक्रिया में पहली और दूसरी बोली लगाने वाले ने सिक्योरिटी मनी जमा नहीं की ऐसे में तीसरे बोली लगाने वाले को नंबर अलॉट हो गया.

भविष्य में अगर कोई ऐसी गड़बड़ी पकड़ी जाएगी जिसमें ये लगे कि VVIP नंबर पाने के लिए ज़्यादा बोली लगाकर पैसा जमा नहीं किया गया तो मामले में सख्त कार्रवाई की जाएगी.

वीवीआईपी नंबरों की होती है नीलामी
गौतमबुद्ध नगर और लखनऊ में वीवीआईपी नंबरों की नीलामी प्रक्रिया शुरू की गई है. जिसमें 0001 नंबर पौने 4 लाख में बिका था दूसरी बार प्रक्रिया शुरू हुई तो नियमानुसार बोली लगाई गई और 0001 नंबर पर एक खरीददार ने साढ़े 5.5 लाख की बोली लगाई और दूसरे ने 5 लाख की जबकि तीसरे ने मात्र 35 हज़ार पांच सौ की बोली लगाई. बोली लगाने के पहले और दूसरे कस्टमर ने सिक्योरिटी मनी नहीं जमा कराई, इस वजह से नंबर तीसरे खरीदार नंबर स्वतः अलॉट हो गया.

नई दिल्ली/नोएडा: वीवीआईपी नंबर को लेकर अक्सर वाहन चालकों में उत्साह देखा जाता है. परिवहन विभाग VVIP नंबर की बोली अब ऑनलाइन करती है. गौतमबुद्ध नगर में 0001 नंबर प्लैट की ऑनलाइन बोली लगी.

0001 नंबर प्लैट की पहली बोली 5.5 लाख लगी और दूसरी बोली 5 लाख की लगी और तीसरी बोली 35.5 हज़ार की लगी, लेकिन नंबर 35.5 हज़ार वाले व्यक्ति को अलॉट किया गया.

VVIP नंबर की हुई नीलामी

नहीं जमा की सिक्योरिटी मनी
परिवहन विभाग ने 346 नंबरों को वीआईपी नंबर की लिस्ट में शामिल किया हुआ है. इनसे करीब 22 लाख रुपए के राजस्व प्राप्ति होती है. गौतम बुद्ध नगर एआरटीओ प्रशासन एके पांडे ने बताया कि ई-नीलामी प्रक्रिया में पहली और दूसरी बोली लगाने वाले ने सिक्योरिटी मनी जमा नहीं की ऐसे में तीसरे बोली लगाने वाले को नंबर अलॉट हो गया.

भविष्य में अगर कोई ऐसी गड़बड़ी पकड़ी जाएगी जिसमें ये लगे कि VVIP नंबर पाने के लिए ज़्यादा बोली लगाकर पैसा जमा नहीं किया गया तो मामले में सख्त कार्रवाई की जाएगी.

वीवीआईपी नंबरों की होती है नीलामी
गौतमबुद्ध नगर और लखनऊ में वीवीआईपी नंबरों की नीलामी प्रक्रिया शुरू की गई है. जिसमें 0001 नंबर पौने 4 लाख में बिका था दूसरी बार प्रक्रिया शुरू हुई तो नियमानुसार बोली लगाई गई और 0001 नंबर पर एक खरीददार ने साढ़े 5.5 लाख की बोली लगाई और दूसरे ने 5 लाख की जबकि तीसरे ने मात्र 35 हज़ार पांच सौ की बोली लगाई. बोली लगाने के पहले और दूसरे कस्टमर ने सिक्योरिटी मनी नहीं जमा कराई, इस वजह से नंबर तीसरे खरीदार नंबर स्वतः अलॉट हो गया.

Intro:वीवीआईपी नंबर को लेकर अक्सर वाहन चालकों में उत्साह देखा जाता है। परिवहन विभाग ने VVIP नंबर की बोली अब ऑनलाइन की जाती है। ऐसे में गौतमबुद्ध नगर में 0001 नंबर की ऑनलाइन बोली 5.5 लाख की लगी और दूसरी बोली 5 लाख की लगी और तीसरी बोली 35.5 हज़ार की लगी। लेकिन नंबर 35.5 हज़ार वाले व्यक्ति को अलॉट किया गया। ऐसे क्यों हुआ जानने के लिए पढ़े पूरी खबर।


Body:परिवहन विभाग ने 346 नंबरों को भी वीआईपी नंबर की लिस्ट में शामिल किया हुआ है। इनसे करीब 22 लाख रुपए के राजस्व प्राप्ति होती है।

गौतम बुद्ध नगर एआरटीओ प्रशासन एके पांडे ने बताया कि एक इ नीलामी की प्रक्रिया है। उन्होंने बताया कि पहली और दूसरी बोली लगाने वाले ने सिक्योरिटी नहीं जमा की ऐसे में तीसरे बोली लगाने वाले को नंबर अलॉट हो गया। भविष्य में अगर कोई ऐसी गड़बड़ी पकड़ी जाएगी जिसमें ये लगे कि VVIP नंबर पाने के लिए ज़्यादा बोली लगा पैसा नहीं जमा किया जा रहा है तो इसपर शासन को लिखा जाएगा और कार्रवाई की जाएगी।


Conclusion:बता दें कि गौतमबुद्ध नगर और लखनऊ में वीवीआईपी नंबरों की नीलामी प्रक्रिया शुरू की गई है। जिसमें 0001 नंबर पौने 4 लाख में बिका था दूसरी बार प्रक्रिया शुरू हुई तो नियमानुसार बोली लगाई गई और 0001 नंबर पर एक खरीददार ने साढ़े 5 लाख की बोली लगाई थी तो वहीं दूसरे से 5 लाख की। जबकि तीसरे ने मात्र 35 हज़ार पांच सौ की बोली लगाई थी। बोली लगाने के पहले और दूसरे खरीदा ने पैसा नहीं जमा किया इस वजह से नंबर तीसरे खरीदार को स्वतःअलॉट हो गया।
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