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सुप्रीम कोर्ट से सुपरटेक को झटका, गिराए जाएंगे 40 मंजिला 2 टॉवर्स

सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला देते हुए नोएडा में मौजूद सुपरटेक के दो टॉवर्स को गिराने का आदेश दिया है. सुपरटेक के ये दोनों ही टॉवर 40-40 मंजिला हैं. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ये टॉवर नोएडा अथॉरिटी और सुपटेक की मिलीभगत से बने थे. कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा है कि सुपरटेक अपने ही पैसों से इनको तीन महीने के अंदर-अंदर तोड़े.

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Published : Aug 31, 2021, 12:56 PM IST

Updated : Aug 31, 2021, 1:24 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें नोएडा में सुपरटेक बिल्डर्स की एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट में भवन मानदंडों के उल्लंघन के लिए दो 40 मंजिला टावरों को ध्वस्त करने का निर्देश दिया गया था. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि इसका निर्माण नोएडा प्राधिकरण और सुपरटेक के अधिकारियों के बीच मिलीभगत का परिणाम था.

उच्चतम न्यायालय ने सुपरटेक के 40 मंजिला दो टावरों को नोएडा प्राधिकरण की निगरानी में तीन माह के भीतर तोड़ने के निर्देश दिए. ध्वस्त करने का काम सुपरटेक को अपने खर्चे पर करना होगा. सुरक्षित डिमोलेशन के लिये ध्वस्तीकरण का कार्य CBRI (central building research institute) की देखरेख में किया जाएगा. इसके साथ ही सुपरटेक को खरीददारों का पूरा पैसा 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष की ब्याज सहित दो महीने के भीतर वापस करना होगा, इसके साथ ही कोर्ट ने ये भी निर्देश दिये हैं कि वह RWA (resident welfare association) को 2 करोड़ रुपये का भुगतान करे.

40-40 मंजिला इन सुपरटेक के टॉवर्स में 1-1 हजार फ्लैट्स हैं. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये फ्लैट्स बिल्डर और नोएडा अथॉरिटी की 'नापाक' मिलीभगत की वजह से बने हैं, जिनकी मंजूरी योजना का RWA तक को नहीं पता था. कोर्ट ने कहा कि सुपरटेक के T16 और T 17 टॉवर्स को बनाने से पहले फ्लैट मालिक और RWA की मंजूरी ली जानी जरूरी थी. साथ ही जब इस नोटिस निकाला गया कि न्यूनतम दूरी की आवश्यकताओं के नियम को तोड़ा गया है तो भी कोई एक्शन नहीं लिया गया. कोर्ट ने माना कि बिल्डर ने मंजूरी मिलने से पहले ही काम शुरू कर दिया था, लेकिन फिर भी नोएडा अथॉरिटी ने कोई एक्शन नहीं लिया.

कोर्ट ने कहा कि बिल्डर और अथॉरिटी में साठगांठ थी. 'प्रक्रिया के हर स्तर पर भ्रष्टाचार था. शहर में रिहायश की जरूरत है लेकिन पर्यावरण के साथ तालमेल बनाकर यह होना चाहिए.'

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें नोएडा में सुपरटेक बिल्डर्स की एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट में भवन मानदंडों के उल्लंघन के लिए दो 40 मंजिला टावरों को ध्वस्त करने का निर्देश दिया गया था. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि इसका निर्माण नोएडा प्राधिकरण और सुपरटेक के अधिकारियों के बीच मिलीभगत का परिणाम था.

उच्चतम न्यायालय ने सुपरटेक के 40 मंजिला दो टावरों को नोएडा प्राधिकरण की निगरानी में तीन माह के भीतर तोड़ने के निर्देश दिए. ध्वस्त करने का काम सुपरटेक को अपने खर्चे पर करना होगा. सुरक्षित डिमोलेशन के लिये ध्वस्तीकरण का कार्य CBRI (central building research institute) की देखरेख में किया जाएगा. इसके साथ ही सुपरटेक को खरीददारों का पूरा पैसा 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष की ब्याज सहित दो महीने के भीतर वापस करना होगा, इसके साथ ही कोर्ट ने ये भी निर्देश दिये हैं कि वह RWA (resident welfare association) को 2 करोड़ रुपये का भुगतान करे.

40-40 मंजिला इन सुपरटेक के टॉवर्स में 1-1 हजार फ्लैट्स हैं. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये फ्लैट्स बिल्डर और नोएडा अथॉरिटी की 'नापाक' मिलीभगत की वजह से बने हैं, जिनकी मंजूरी योजना का RWA तक को नहीं पता था. कोर्ट ने कहा कि सुपरटेक के T16 और T 17 टॉवर्स को बनाने से पहले फ्लैट मालिक और RWA की मंजूरी ली जानी जरूरी थी. साथ ही जब इस नोटिस निकाला गया कि न्यूनतम दूरी की आवश्यकताओं के नियम को तोड़ा गया है तो भी कोई एक्शन नहीं लिया गया. कोर्ट ने माना कि बिल्डर ने मंजूरी मिलने से पहले ही काम शुरू कर दिया था, लेकिन फिर भी नोएडा अथॉरिटी ने कोई एक्शन नहीं लिया.

कोर्ट ने कहा कि बिल्डर और अथॉरिटी में साठगांठ थी. 'प्रक्रिया के हर स्तर पर भ्रष्टाचार था. शहर में रिहायश की जरूरत है लेकिन पर्यावरण के साथ तालमेल बनाकर यह होना चाहिए.'

Last Updated : Aug 31, 2021, 1:24 PM IST

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