नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: जब भारत का झंडा किसी दूसरे मुल्क में लहरता है तो हर देशवासी को बड़ी खुशी होती है. उससे भी बड़े फक्र की बात तब हो जाती है जब हमारा तिरंगा ओलंपिक में लहराता है. जहां विभिन्न देशों के खिलाड़ी अपनी जी जान लगाकर देश के लिए मेडल जीतते हैं और हमारे देश की आन बान शान बढ़ाते हैं. मेडल जीतते ही पूरा देश जश्न मनाता है. तिरेंगे की शान बढ़ाने वाले उस खिलाड़ी का गुणगान करता है.
लेकिन जब समय बीतता है तो खिलाड़ी को भुला दिया जाता है. उसके लिए की गई इनाम की राशि की घोषणा महज घोषणा बन जाती है. ऐसे ही एक खिलाड़ी हैं जो सरकार की उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं. रियो पैरा ओलम्पिक-2016 में खिलाड़ी वरुण सिंह भाटी ने हाई जम्प में ब्रॉन्ज मैडल जीतकर देश का नाम रोशन किया था. उस दौरान केंद्र व राज्य सरकार ने कई तरीके की घोषणा की थी लेकिन राज्य सरकार आज तक उन घोषणाओं को पूरा नहीं कर सकी है. अर्जुन अवार्ड प्राप्त कर चुके है वरुण भाटी आज भी अपने हक के लिए लखनऊ जाते हैं पर सिर्फ आश्वासन लेकर ही उन्हें लौटना पड़ता है.
सरकार बदली और घोषणा पर फिरा पानी
बता दें कि जब रियो पैरा ओलम्पिक-2016 में उत्तर प्रदेश के नोएडा के रहने वाले वरुण भाटी ने हाई जम्प में ब्रॉन्ज मैडल जीता था तो तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने वरुण के लिए एक करोड़ रुपये व सरकारी नौकारी की घोषणा की थी. पर 2017 में चुनाव हुए और सत्ता परिवर्तन हो गया. भाजपा की सरकार सूबे में आ गई और योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बन गए और वरुण के लिए की गई घोषणा महज घोषणा ही रह गई. वरुण के पिता कई बार लखनऊ जा चुके हैं लेकिन हर बार उन्हें पॉलिसी बनने की बात कहकर टरका दिया जाता है. बड़ी बात तो ये है कि उनकी अर्जुन अवार्ड की पेंशन भी अभी तक उन्हें नहीं मिली है.
टूट रहा है सब्र का बांध, लेकिन हिम्मत नहीं टूटी
अर्जुन अवार्ड प्राप्त कर चुके वरुण भाटी का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार खिलाड़ियों से भेदभाव कर रही है. पैरा एथलीट के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है. इसी को लेकर वरुण भाटी काफी दुखी हैं लेकिन सरकार ने अभी तक वरुण की कोई सुध तक नहीं ली है. वरुण का कहना है कि इतनी मेहनत के बाद भी सरकार ने हमारे विषय में कुछ नहीं सोचा. खेल मंत्रालय भी चुप्पी साधे हुए है तो ऐसे में खिलाड़ियों का हौसला टूट रहा है और उस हौसले को सरकार ही तोड़ रही है.