नई दिल्ली/नोएडा: लॉकडाउन से अगर कोई प्रभावित सबसे ज्यादा हुआ है तो वे मजदूरी कर रोजी रोटी कमाने वाले लोग हैं. उनका काम ठप पड़ा हुआ है और आर्थिक तंगी से जूझने के लिए मजदूर मजबूर हो गए हैं. ऐसे ही करीब 300 मजदूरों की नोएडा पुलिस ने शेल्टर होम ठहरने की व्यवस्था की. सरकार ने इन लोगों के लिए खाने और सोने की व्यवस्थी की.
प्रशासन की लापरवाही
हाल ये है कि शेल्टर होम में सोए मजदूरों को गहरी नींद में सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान नहीं रहता है. वहीं प्रशासन की बड़ी लापरवाही भी सामने आई है. पूरे शेल्टर होम में कहीं पर भी सोशल डिस्टेंसिंग नहीं दिखीं, हर जगह इसकी धज्जियां उड़ती हुई दिखाई दी. कोरोना को रोकने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग को सबसे ज्यादा कारगार उपाय बताया जाता है. लेकिन प्रशासन के लोग सिर्फ मूकदर्शक बने रहे और प्रवासी मजदूरों को जो सुविधा दी जा रही है, वह महज खानापूर्ति के रूप में है.
सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन
एनसीआर सहित तमाम राज्यों से निकलकर अपने घर को जाने के लिए पैदल चल रहे प्रवासी मजदूरों को नोएडा की सीमा में आते ही प्रशासन के जरिए शेल्टर होम में रखा गया है. इसी बीच नोएडा के सेक्टर-19 स्थित शेल्टर होम में रखे गए प्रवासी मजदूरों का हाल जानने जब ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो देखा कि प्रशासन के जरिए दिए गए रूखे-सूखे भोजन को करने के बाद प्रवासी मजदूर जहां जगह मिली, वहीं गहरी नींद में सोए हुए हैं. वहीं नोएडा प्राधिकरण के कर्मचारी मौके पर मौजूद होने के बावजूद भी उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग का पाठ नहीं पढ़ा पा रहे हैं.