नई दिल्ली/नोएडा: शासन के आदेश पर गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन की तरफ से पहली बार वीकेंड कर्फ्यू रविवार को लगाया गया. लॉकडाउन रविवार को लगाए जाने से किस वर्ग को कितना नुकसान और कितना प्रभाव पड़ा है. इसकी पड़ताल करने जब नोएडा के सेक्टर 8 स्थित बांस बल्ली और वहां की झुग्गी में ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो लोगों से बात करने के बाद पता चला कि दिहाड़ी मजदूर और छोटे फर्नीचर की दुकान करने वालों पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ रहा है. इनका कहना है कि रविवार के दिन ही उनकी दुकान सबसे ज्यादा चलती है और इसी दिन छुट्टी होने के चलते ग्राहक सबसे ज्यादा आते हैं. लेकिन रविवार के दिन लॉकडाउन होने के चलते दुकान भी बंद है और ग्राहक भी नहीं आ रहे हैं. जिसके चलते स्थिति काफी खराब है. वहीं लॉकडाउन कहीं लंबा न खींचे यह सोचकर भी लोग चिंतित हैं.
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दिहाड़ी मजदूरी वाले साप्ताहिक लॉकडाउन से परेशान
नोएडा के सेक्टर 8 स्थित बांस बल्ली मार्केट पर साप्ताहिक लॉकडाउन के चलते रविवार की स्थिति यह रही कि पूरा रोड सन्नाटे में तब्दील है. लोग अपनी झुग्गियों में दुबके हुए हैं. वहीं रोजमर्रा का सामान बेचने वाले छोटे दुकानदार झुग्गियों में अपनी दुकान खोल रखे हैं. जहां से लोग अपनी जरूरत की चीजें ले सकते हैं. बांस बल्ली वह इलाका है, जहां दिहाड़ी मजदूर से लेकर छोटे दुकानदार और लकड़ियों से संबंधित सामान मिलते हैं. सबसे ज्यादा बांस-बल्ली में खरीदारों की भीड़ रविवार को होती है. लेकिन साप्ताहिक लॉकडाउन लगने के चलते दुकानदार और दिहाड़ी मजदूरी करने वाले उदास हैं.
रिक्शा चालक और दिहाड़ी मजदूर का घटना
रविवार को लगे साप्ताहिक लॉकडाउन के संबंध में रिक्शा चलाने वाले और दिहाड़ी मजदूरी करने वाले लोगों का कहना है कि लोग अपने घरों से जब नहीं निकल रहे तो हमारा काम भी बंद चल रहा है. जिसके चलते हमारी प्रति दिन की कमाई पर असर पड़ा है. हम लोग प्रतिदिन कमाने और खाने वाले लोग हैं. एक दिन आमदनी न होने से हमारे परिवार और जीवन पर काफी प्रभाव पड़ता है.
लॉकडाउन ने जिंदगी बदल कर रख दी
रविवार को लगे लॉकडाउन ने हमारी जिंदगी को बदल कर रख दिया है. वहीं जब शाम को लोग अपने घरों से बाहर निकलते हैं और सवारियां मिलती हैं. उसी दौरान नाइट कर्फ्यू हो जाने के चलते भी आमदनी पर प्रभाव पड़ रहा है. नाइट कर्फ्यू हो या फिर साप्ताहिक लॉकडाउन दोनों ही रोजमर्रा की जिंदगी पर बुरा प्रभाव डाल रही हैं. वहीं कोरोना महामारी भी एक बड़ी समस्या बनकर हमारे सामने खड़ी है.