नई दिल्ली/ नोएडा: न बिल का झंझट और न बिजली का इंतजार. कुछ घंटों में मिल जाता है ठंडा पानी. मिट्टी के घड़े बनाने वाली राजकुमारी बताती हैं कि घड़े के पानी से न तो जुकाम होता है न ही गला पकड़ता है.
गर्मी बढ़ने के साथ ही देसी फ्रिज की दुकानें नोएडा के बिहार चौराहे पर सज गईं हैं. नोएडा के सेक्टर-12, सेक्टर-22, सेक्टर-27 और अट्टा मार्केट में मिट्टी के मटके और सुराही बनाने का काम तेज हो गया है.
राजकुमारी बताती हैं कि वो बुलंदशहर से यहां आई हैं. यह काम मार्च महीने से तेजी पकड़ता है. चिकनी मिट्टी और रेतीली मिट्टी को मिक्स करके सुराही और घड़ा तैयार किया जाता है.
'काली मिट्टी बहुत महंगी'
राजकुमारी ने आगे बताया कि पहले मटका और सुराही नदी किनारे से लाई जाने वाली काली मिट्टी से बनाया जाता था. काली मिट्टी अब बहुत महंगी हो गई है. जिसके चलते रेत और चिकनी मिट्टी को मिलाकर घड़े और सुराही बनाए जाते हैं.
काली मिट्टी से बनने वाले बर्तन काफी मजबूत होते हैं. उन बर्तनों में पानी भरने पर पानी में एक अलग-सी सौंधी खुशबू आती है. लेकिन अब ज्यादातर बर्तन पीली मिट्टी से ही बनाए जाते हैं.
तपती गर्मी में घड़ा और सुराही के दाम भी आसमानी हो चुके हैं. घड़े और सुराही की कीमत तकरीबन 150 रुपये से लेकर 250 रुपये तक है.