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नोएडा: किसानों के धरने में पुलिस क्षेत्र खाली, किसानों ने भी साधी चुप्पी

नोएडा के सेक्टर 6 स्थित प्राधिकरण पर किसानों के प्रदर्शन के लिए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किए जाते हैं. जहां 200 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे. जिसकी वजह से पुलिसकर्मी के क्षेत्र खाली हो गए हैं.

Police area vacant in farmers' strike
किसानों के धरने में पुलिस क्षेत्र खाली
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Published : Feb 19, 2020, 1:00 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा: राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा के सेक्टर-6 स्थित प्राधिकरण पर आए दिन किसानों का प्रदर्शन देखा जा सकता है. किसानों के प्रदर्शन को शांतिपूर्वक कराने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किए जाते हैं. जिसका जीता जागता उदाहरण सोमवार और मंगलवार को देखने को मिला.

किसानों के धरने में पुलिस क्षेत्र खाली

जहां 200 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे, जिसमें तीन थानों की पुलिस लगाई गई थी. थाना प्रभारी सहित सभी पर यह बड़ा सवाल खड़ा होता है कि शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन कराने में लगे पुलिसकर्मी के क्षेत्र में अगर कोई बड़ी वारदात होती है तो उसका जिम्मेदार किसे माना जाए? इस पर न पुलिस अधिकारी कुछ कहने को तैयार है और ना ही किसानों की तरफ से कोई कुछ बोल रहा है.

धरने में लगाये गए पुलिसकर्मी

किसानों का धरना शांतिपूर्ण तरीके से चले इसके लिए करीब दो सौ पुलिसकर्मी लगाए गए थे, जिसमें डीसीपी, एसीपी, तीन थाना प्रभारी, अट्ठारह उप निरीक्षक, 16 हेड कांस्टेबल, 38 सिपाही , इसके अतिरिक्त पीएसी और नोएडा प्राधिकरण की पुलिस भी धरने पर मौजूद रही.

कौन रोकेगा घटना

इस धरना प्रदर्शन में अट्ठारह उप निरीक्षक में कई ऐसे उप निरीक्षक थे, जो चौकी प्रभारी भी हैं, थाना प्रभारी और चौकी प्रभारी के साथ ही उनकी पुलिस भी उनके साथ तैनात है, उनके क्षेत्र में होने वाली किसी भी बड़ी वारदात को बदमाश आसानी से अंजाम देकर फरार हो सकते हैं क्योंकि उन्हें मौके पर रोकने वाला कोई नहीं है और इस संबंध में अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं.

क्षेत्र या थाना छोड़ने से आने वाली समस्या

थाना प्रभारी या उपनिरीक्षक के अपने क्षेत्र को छोड़ने से क्षेत्र में होने वाली किसी भी घटना को रोक पाने में वह सक्षम नहीं होगा, क्योंकि जब तक वह जाएगा तब तक अपराधी फरार हो चुका होगा. वहीं किसी भी पीड़ित को अपनी समस्या कहनी होगी तो यहां वहां भटकने के सिवा उसे कुछ नहीं मिलेगा.

वहीं सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि नए नियम के अनुसार किसी भी मुकदमे की एफ आई आर और मूल प्रार्थना पत्र उसी दिन पेशी से होते हुए न्यायालय नहीं पहुंच पाएगी, क्योंकि एफ आईआर में पहला पर्चा काटना अनिवार्य कर दिया गया है और उपनिरीक्षक या निरीक्षक जब थाना या चौकी पर मौजूद नहीं होगा तो पर्चा काटने में उसे समस्या का सामना करना पड़ेगा , जिसके चलते मामला आगे बढ़ने की जगह पीछे चला जाएगा.

नई दिल्ली/नोएडा: राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा के सेक्टर-6 स्थित प्राधिकरण पर आए दिन किसानों का प्रदर्शन देखा जा सकता है. किसानों के प्रदर्शन को शांतिपूर्वक कराने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किए जाते हैं. जिसका जीता जागता उदाहरण सोमवार और मंगलवार को देखने को मिला.

किसानों के धरने में पुलिस क्षेत्र खाली

जहां 200 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे, जिसमें तीन थानों की पुलिस लगाई गई थी. थाना प्रभारी सहित सभी पर यह बड़ा सवाल खड़ा होता है कि शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन कराने में लगे पुलिसकर्मी के क्षेत्र में अगर कोई बड़ी वारदात होती है तो उसका जिम्मेदार किसे माना जाए? इस पर न पुलिस अधिकारी कुछ कहने को तैयार है और ना ही किसानों की तरफ से कोई कुछ बोल रहा है.

धरने में लगाये गए पुलिसकर्मी

किसानों का धरना शांतिपूर्ण तरीके से चले इसके लिए करीब दो सौ पुलिसकर्मी लगाए गए थे, जिसमें डीसीपी, एसीपी, तीन थाना प्रभारी, अट्ठारह उप निरीक्षक, 16 हेड कांस्टेबल, 38 सिपाही , इसके अतिरिक्त पीएसी और नोएडा प्राधिकरण की पुलिस भी धरने पर मौजूद रही.

कौन रोकेगा घटना

इस धरना प्रदर्शन में अट्ठारह उप निरीक्षक में कई ऐसे उप निरीक्षक थे, जो चौकी प्रभारी भी हैं, थाना प्रभारी और चौकी प्रभारी के साथ ही उनकी पुलिस भी उनके साथ तैनात है, उनके क्षेत्र में होने वाली किसी भी बड़ी वारदात को बदमाश आसानी से अंजाम देकर फरार हो सकते हैं क्योंकि उन्हें मौके पर रोकने वाला कोई नहीं है और इस संबंध में अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं.

क्षेत्र या थाना छोड़ने से आने वाली समस्या

थाना प्रभारी या उपनिरीक्षक के अपने क्षेत्र को छोड़ने से क्षेत्र में होने वाली किसी भी घटना को रोक पाने में वह सक्षम नहीं होगा, क्योंकि जब तक वह जाएगा तब तक अपराधी फरार हो चुका होगा. वहीं किसी भी पीड़ित को अपनी समस्या कहनी होगी तो यहां वहां भटकने के सिवा उसे कुछ नहीं मिलेगा.

वहीं सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि नए नियम के अनुसार किसी भी मुकदमे की एफ आई आर और मूल प्रार्थना पत्र उसी दिन पेशी से होते हुए न्यायालय नहीं पहुंच पाएगी, क्योंकि एफ आईआर में पहला पर्चा काटना अनिवार्य कर दिया गया है और उपनिरीक्षक या निरीक्षक जब थाना या चौकी पर मौजूद नहीं होगा तो पर्चा काटने में उसे समस्या का सामना करना पड़ेगा , जिसके चलते मामला आगे बढ़ने की जगह पीछे चला जाएगा.

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