नई दिल्ली: दुनिया भर में जारी वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट 2020 की रिपोर्ट चिंताजनक है. दिल्ली सबसे प्रदूषित सूची में 10वें नंबर पर है तो वहीं दिल्ली से सटे नोएडा और ग्रेटर नोएडा भी सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों की कतार में शामिल हैं. प्रदूषण के मामले में भारत के लिए चिंता की बात यह भी है कि यहां पर सबसे प्रदूषित 30 शहरों की लिस्ट में 22 शहर भारत के हैं.
इनमें सभी 10 शहर शीर्ष उत्तर प्रदेश के हैं. उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नोएडा क्षेत्राधिकारी प्रवीण कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि नोएडा प्राधिकरण, एआरटीओ विभाग और डीसीपी ट्रैफिक सेल के नेतृत्व में लगातार कार्रवाई की जा रही है.
'सभी विभाग सयुंक्त रूप से कर रहे काम'
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नोएडा क्षेत्राधिकारी प्रवीण कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि जिलाधिकारी के नेतृत्व में यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, एआरटीओ विभाग, ट्रैफिक विभाग और डीएफओ की सयुंक्त टीम प्रदूषण नियंत्रण पर काम कर रही है.
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प्राधिकरण नाईट स्वीपिंग, मुख्य मार्गों की धुलाई और मकैनिकल स्वीपिंग की मदद से प्रदूषण की रोकथाम की जा रही है. वहीं ARTO विभाग और ट्रैफिक विभाग की तरफ से प्रदूषण की रोकथाम को लेकर कार्रवाई की जा रही है. करीब 44 हजार वाहनों पर कार्रवाई की जा चुकी है और 10 साल डीजल और 15 साल पेट्रोल के वाहनों पर नजर रखी जा रही है और कार्रवाई प्रशस्त है.
'AQI बेहद खराब श्रेणी में दर्ज'
CPCB की वेबसाइट के मुताबिक नोएडा और ग्रेटर नोएडा का एयर बेहद खराब श्रेणी में पहुंच गया है. नोएडा का एयर क्वालिटी इंडेक्स 340 दर्ज किया गया तो वहीं ग्रेटर नोएडा का एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 के पार दर्ज किया गया है जो बेहद चिंताजनक है.
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'डस्ट एप से रखते हैं नजर'
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से 'डस्ट एप' बनाई गई है. डस्ट एप की मदद से जिले की सभी निर्माणाधीन इकाइयों पर नजर रखी जाती है. निर्माणाधीन इकाई सेल्फ ऑडिट रिपोर्ट जमाकर पीटीजेड कैमरे इंस्टॉल करने होते हैं. जो भी इकाई नियमों के विरुद्ध कार्य करती हैं. मिलती है तो कार्रवाई निश्चित की जाती है. वहीं लखनऊ की विशेष पर्यावरण अदालत में 3 इकाइयों के खिलाफ केस भी दर्ज कराया गया है.