नई दिल्ली/नोएडाः आम आदमी के लिए त्योहार खुशियां लेकर आता है. वहीं, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिनके लिये त्योहार आमदनी का स्रोत होता है. उन्हें दुख और परेशानी का सामना, तब करना पड़ता है, जब आमदनी नहीं हो पाती है. नोएडा को उत्तर प्रदेश का शो विंडो कहा जाता है. यहां कुछ ऐसे परिवार हैं, जो राजस्थान से आकर मूर्ति बनाने और बेचने का काम करते हैं. इस बार कोरोना महामारी का ऐसा दौर चला कि ये मूर्तिकर दाने-दाने को तरस रहे हैं. ब्याज पर पैसे लेकर बच्चों का भरण पोषण करने को मजबूर हैं. इस बार त्योहारों में इनकी मूर्तियां उम्मीद से भी कम बिकी और आमदनी भी न के बराबर हुई.
नोएडा में मूर्ति बनाने वाले बहुत सीमित परिवार हैं. इनके आमदनी का जरिया केवल मूर्तियां हैं. उनका कहना है कि आज तक शासन व प्रशासन की तरफ से कोई आर्थिक मदद नहीं मिली. सेक्टर-20/ 21 में सड़क किनारे वर्षों से मूर्ति बनाने वाले परिवार का कहना है कि त्योहारों पर हर वर्ष मूर्तियों को बनाने का ऑर्डर काफी संख्या में मिलता था. कोरोना महामारी का दौर जब से शुरू हुआ है, तब से स्थिति यह है कि मूर्तियां बनाते जरूर हैं, पर खरीदने वाला कोई नहीं होता है. केवल गिने-चुने ऑर्डर ही आते हैं. इसके चलते आमदनी नहीं होती है और परिवार का भरण पोषण करना बड़ी समस्या बन गया है. दुर्गा पूजा से पूर्व गणेश पूजा में उम्मीद थी कि मूर्तियां बिकेंगी, पर मूर्तियां रखी रह गईं और उन्हें खरीदने कोई नहीं आया.
मूर्ति बनाने वाले भंवर सिंह और उनकी पत्नी कमला का कहना है कि ब्याज देने वाले से 50 हजार रुपये ब्याज पर लेकर मूर्ति बनाने का काम गणेश पूजा और दुर्गा पूजा में शुरू किया था. मूर्तियां न बिकने के चलते आमदनी नहीं हुई और ब्याज चुकाना अब भारी पड़ रहा है. गणेश पूजा में काफी मूर्तियां बनाई गईं और उम्मीद थी कि ज्यादा मूर्तियां बिक जाएंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. गणेश पूजा के बाद दुर्गा पूजा में मूर्तियों का ऑर्डर न के बराबर आया.
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