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लाइट को मोहताज है नोएडा का ये पोस्टमार्टम हाउस, पढ़िए स्पेशल रिपोर्ट...

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Published : Sep 4, 2020, 6:38 PM IST

Updated : Sep 4, 2020, 6:45 PM IST

नोएडा के पोस्टमार्टम हाउस में लाखों रुपये का लगा ऑटोमेटिक जनरेटर पिछले 1 साल से खराब चल रहा है. उसे न ही कोई ठीक करवा रहा है और न ही उस तरफ किसी का ध्यान जा रहा है. डॉक्टर से लेकर वहां के कर्मचारी दिन हो या रात लाइट न रहने पर बॉडी रखकर लाइट आने का इंतजार करते हैं. यह हाल उस जिले के पोस्टमार्टम हाउस का है, जो उत्तर प्रदेश का शो विंडो कहा जाता है. पढ़िए स्पेशल रिपोर्ट...

Noida post-mortem house generator has malfunctioned for over a year
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नई दिल्ली/नोएडा: गौतमबुद्ध नगर जिले के सेक्टर 94 स्थित पोस्टमार्टम हाउस में पूरे जिले से डेड बॉडी आती हैं. वहां पर पोस्टमार्टम किया जाता है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता और अधिकारियों की लापरवाही के कारण वहां पर लाखों रुपये का लगा जनरेटर खराब पड़ा है. करीब 1 साल से खराब जनरेटर होने के कारण लाइट कटने पर पोस्टमार्टम का काम रुक जाता है.

सालभर से खराब है पड़ा पोस्टमार्टम हाउस का जरनेटर

डॉक्टर से लेकर वहां के कर्मचारी दिन हो या रात लाइट न रहने पर बॉडी रखकर लाइट आने का इंतजार करते हैं. यह हाल उस जिले के पोस्टमार्टम हाउस का है, जो उत्तर प्रदेश का शो विंडो कहा जाता है. जनरेटर खराब होने की जानकारी स्वास्थ विभाग के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को है, लेकिन किसी के भी कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है.


सालभर से खराब पड़ा पोस्टमार्टम हाउस का जरनेटर

नोएडा के पोस्टमार्टम हाउस में लाखों रुपये का लगा ऑटोमेटिक जनरेटर पिछले 1 साल से खराब चल रहा है. उसे न ही कोई ठीक करवा रहा है और न ही उस तरफ किसी का ध्यान जा रहा है. जबकि अधिकारियों द्वारा पोस्टमार्टम किए जाने का जब आदेश किया जाता है तो उसमें साफ लिखा जाता है कि पर्याप्त रोशनी में ही पोस्टमार्टम किया जाए. लेकिन लाइट कटने के बाद पोस्टमार्टम की प्रक्रिया रुक जाती है. फिर डॉक्टर से लेकर वहां के अन्य कर्मचारी बॉडी रखकर लाइट आने का इंतजार करने लगते हैं कि जब लाइट आएगी तो पोस्टमार्टम शुरू होगा.

जनरेटर खराब होने की जानकारी स्वास्थ विभाग के सीएमओ से लेकर अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों के संज्ञान में है. लेकिन कोई जहमत उठाने को तैयार नहीं है. जिसे में 1 साल में कई सीएमओ बदल गए, लेकिन किसी ने भी जानकारी होने के बावजूद इस तरफ ध्यान नहीं दिया है.


पोस्टमार्ट हाउस में लाइट की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं

डॉक्टर द्वारा पोस्टमार्टम दिन में किया जाए या रात में, दोनों ही समय उसे पर्याप्त उजाले की जरूरत पड़ती है. खासकर उस समय सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है, जब अधिकारियों द्वारा रात में पोस्टमार्टम किए जाने का आदेश किया जाता है और लाइट नहीं रहती है. तब एक बॉडी के पोस्टमार्टम करने के लिए डॉक्टर को घंटों लाइट का इंतजार करना पड़ता है, क्योंकि पोस्टमार्टम हाउस में लाइट की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है.



'अधिकारी इस समस्या पर नहीं दे रहे ध्यान'

इस बारे में पोस्टमार्टम हाउस के कर्मचारी दिनेश ने ईटीवी भारत को बताया कि करीब 1 साल से पोस्टमार्टम हाउस का जनरेटर खराब है और इस संबंध में सीएमओ से लेकर तमाम अधिकारियों को बताया गया है. लेकिन कोई भी अधिकारी इस तरफ ध्यान नहीं दे रहा है. इसकी वजह से पोस्टमार्टम करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. वहीं लाइट न रहने पर घंटों बॉडी रखकर लाइट आने का इंतजार करना पड़ता है. दिनेश ने आगे बताया कि पोस्टमार्टम हाउस में पर्याप्त लाइट होने पर ही बॉडी का पोस्टमार्टम किया जाता है. लेकिन यहां पर लाइट की और कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है, जिसके कारण काफी दिक्कतें आती है.

नई दिल्ली/नोएडा: गौतमबुद्ध नगर जिले के सेक्टर 94 स्थित पोस्टमार्टम हाउस में पूरे जिले से डेड बॉडी आती हैं. वहां पर पोस्टमार्टम किया जाता है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता और अधिकारियों की लापरवाही के कारण वहां पर लाखों रुपये का लगा जनरेटर खराब पड़ा है. करीब 1 साल से खराब जनरेटर होने के कारण लाइट कटने पर पोस्टमार्टम का काम रुक जाता है.

सालभर से खराब है पड़ा पोस्टमार्टम हाउस का जरनेटर

डॉक्टर से लेकर वहां के कर्मचारी दिन हो या रात लाइट न रहने पर बॉडी रखकर लाइट आने का इंतजार करते हैं. यह हाल उस जिले के पोस्टमार्टम हाउस का है, जो उत्तर प्रदेश का शो विंडो कहा जाता है. जनरेटर खराब होने की जानकारी स्वास्थ विभाग के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को है, लेकिन किसी के भी कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है.


सालभर से खराब पड़ा पोस्टमार्टम हाउस का जरनेटर

नोएडा के पोस्टमार्टम हाउस में लाखों रुपये का लगा ऑटोमेटिक जनरेटर पिछले 1 साल से खराब चल रहा है. उसे न ही कोई ठीक करवा रहा है और न ही उस तरफ किसी का ध्यान जा रहा है. जबकि अधिकारियों द्वारा पोस्टमार्टम किए जाने का जब आदेश किया जाता है तो उसमें साफ लिखा जाता है कि पर्याप्त रोशनी में ही पोस्टमार्टम किया जाए. लेकिन लाइट कटने के बाद पोस्टमार्टम की प्रक्रिया रुक जाती है. फिर डॉक्टर से लेकर वहां के अन्य कर्मचारी बॉडी रखकर लाइट आने का इंतजार करने लगते हैं कि जब लाइट आएगी तो पोस्टमार्टम शुरू होगा.

जनरेटर खराब होने की जानकारी स्वास्थ विभाग के सीएमओ से लेकर अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों के संज्ञान में है. लेकिन कोई जहमत उठाने को तैयार नहीं है. जिसे में 1 साल में कई सीएमओ बदल गए, लेकिन किसी ने भी जानकारी होने के बावजूद इस तरफ ध्यान नहीं दिया है.


पोस्टमार्ट हाउस में लाइट की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं

डॉक्टर द्वारा पोस्टमार्टम दिन में किया जाए या रात में, दोनों ही समय उसे पर्याप्त उजाले की जरूरत पड़ती है. खासकर उस समय सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है, जब अधिकारियों द्वारा रात में पोस्टमार्टम किए जाने का आदेश किया जाता है और लाइट नहीं रहती है. तब एक बॉडी के पोस्टमार्टम करने के लिए डॉक्टर को घंटों लाइट का इंतजार करना पड़ता है, क्योंकि पोस्टमार्टम हाउस में लाइट की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है.



'अधिकारी इस समस्या पर नहीं दे रहे ध्यान'

इस बारे में पोस्टमार्टम हाउस के कर्मचारी दिनेश ने ईटीवी भारत को बताया कि करीब 1 साल से पोस्टमार्टम हाउस का जनरेटर खराब है और इस संबंध में सीएमओ से लेकर तमाम अधिकारियों को बताया गया है. लेकिन कोई भी अधिकारी इस तरफ ध्यान नहीं दे रहा है. इसकी वजह से पोस्टमार्टम करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. वहीं लाइट न रहने पर घंटों बॉडी रखकर लाइट आने का इंतजार करना पड़ता है. दिनेश ने आगे बताया कि पोस्टमार्टम हाउस में पर्याप्त लाइट होने पर ही बॉडी का पोस्टमार्टम किया जाता है. लेकिन यहां पर लाइट की और कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है, जिसके कारण काफी दिक्कतें आती है.

Last Updated : Sep 4, 2020, 6:45 PM IST
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