नई दिल्ली/नोएडा: नोएडा और ग्रेटर नोएडा की हवा में ज़हर घुलता जा रहा है. प्रदूषण स्तर ख़तरनाक श्रेणी में पहुंच गया है. नोएडा का एयर क्वालिटी इंडेक्स 379 और ग्रेटर नोएडा का एयर क्वालिटी इंडेक्स 374 दर्ज़ किया गया है.
ज़िले में 15 अक्टूबर से ग्रेप (ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान) लागू है. आकंड़े सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की वेबसाइट से लिए गए हैं. बर्फीली हवाओं की रफ्तार थमने से प्रदूषण का ग्राफ बढ़ा है.
फिर बढ़ा AQI
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) की वेबसाइट के मुताबिक दिल्ली से भी ज़्यादा प्रदूषित ग्रेटर नोएडा है. ग्रेटर नोएडा में दो स्टेशन यूपीपीसीबी (उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड) ने लगाए हैं, जिसमें नॉलेज पार्क-III में एयर क्वालिटी इंडेक्स 381 और नॉलेज पार्क-V का एयर क्वालिटी इंडेक्स 368 दर्ज़ किया गया है.
पढ़ें- नोएडा: 24 घंटे में 4 नए संक्रमित मिले, 40 डिस्चार्ज
पिछले हफ्ते के मुकाबले प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. माना जा रहा है हवा की रफ्तार थमने से प्रदूषण का स्तर बढ़ा है.
नोएडा में UPPCB ने 4 स्टेशन ने इंस्टॉल किए हैं. जिसमें सेक्टर-62 स्टेशन का AQI 356, सेक्टर-125 का काम नहीं कर रहा, सेक्टर-1 में 384 AQI और सेक्टर-116 पर 396 AQI दर्ज़ किया गया है.
हवा की रफ्तार थमने से उद्योग और वाहनों से निकलने वाले धुएं का असर धुंध के रूप में देखने को मिल रहा है. ग्रेटर नोएडा और नोएडा में स्मॉग की चादर से शहर ढक जाता है. प्राधिकरण और UPPCB, ग्रेप की अनदेखी पर लगातार कार्रवाई भी कर रही है. प्रदूषण की रोकथाम के लिए कोई ठोस कदम उठाने की जरूरत है.