नई दिल्ली/नोएडा : उत्तर प्रदेश का शो विंडो कहा जाने वाला नोएडा शहर और जिला गौतम बुद्ध नगर की पुलिस को हाईटेक माना जाता है. इस साल जनवरी में ही जिला पुलिस में कमिश्नरी सिस्टम लागू किया गया था, पर जमीनी सच्चाई कुछ और ही बयां करती है.
गौतमबुद्ध नगर पुलिस के पास जो संसाधन हैं उससे झगड़े तक की सूचना मिलने पर मौके पर पहुंचना भी मुश्किल है. आम जनता की सुरक्षा और अपराधियों को पकड़ने के लिए पुलिस के पास जो भी वाहन हैं उसमें ज्यादातर वाहन या तो मरम्मत के लिए किसी मैकेनिक के पास हैं या फिर थाने और चौकियों पर खराब हालत में बदहाली के आंसू बहा रहे हैं.
पुलिस पीसीआर नोएडा में करीब 4 दर्जन से अधिक पीसीआर हैं. ये अलग-अलग थाना क्षेत्रों और चौकी क्षेत्रों में चलती हैं. ये पीसीआर सालों पहले नोएडा प्राधिकरण द्वारा नोएडा पुलिस को सुरक्षा व्यवस्था बेहतर बनाए रखने के लिए दी गई थी. इन गाड़ियों पर पहले प्राइवेट चालक रखे गए, जिनका वेतन नोएडा प्राधिकरण देता था. हालांकि 2019 में सभी पीसीआर से प्राइवेट चालक हटा दिए गए और पीसीआर का संचालन नोएडा पुलिस के हाथ में आ गया.
इन पीसीआर का हाल यह है कि आज सही तरीके से देखरेख और अधिकारियों की अनदेखी के चलते ये पीसीआर गाड़ियां बदहाली के आंसू बहा रही हैं. कुछ पीसीआर जुगाड़ से चल रही हैं तो कुछ मैकेनिक के गैराज में खड़ी हैं, या फिर कबाड़ के रूप में थाना परिसर में. इसका एक उदाहरण आपको हरौला चौकी पर खड़ी पीसीआर 4 को देख मिल जाएगा.
इसके अतिरिक्त नोएडा में चलने वाली अन्य पीसीआर को भी देखा जा सकता है कि वह किस हालत में हैं. यही नहीं, पुलिस सूत्रों की मानें तो ज्यादातर पीसीआर 20/22 महीने की तारीख आते ही थानों और चौकियों पर खड़ी होने लगती हैं. इसका कारण पता किया गया तो जानकारी मिली कि तेल के अभाव में ऐसा होता है. पीसीआर और लेपर्ड को पर्याप्त तेल ना मिलने के चलते वह महीने भर क्षेत्र में अपराधियों को पकड़ने में असमर्थ हो जाती हैं. जुर्म को खत्म करने का दावा करने वाली नोएडा पुलिस को क्या आधुनिक वाहनों की सुविधा मिलेगी यह एक बड़ा सवाल है.