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नोएडा: CEO प्राधिकरण ने LAR को किया निलंबित, गबन का है आरोप

नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी रितु माहेश्वरी ने विधि अधिकारी वीरेंद्र सिंह नागर को निलंबित कर दिया है. प्राधिकरण को करोड़ों रुपये की आर्थिक क्षति पहुंचाने वाले विधि अधिकारी को सस्पेंड कर दिया गया है.

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Published : Jul 29, 2020, 12:06 PM IST

Noida authority Ceo suspended legal officer
CEO प्राधिकरण ने LAR को किया निलंबित

नई दिल्ली/नोएडा: दिल्ली-एनसीआर जिले में नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी रितु माहेश्वरी ने विधि अधिकारी वीरेंद्र सिंह नागर को निलंबित कर दिया है. प्राधिकरण को करोड़ों रुपये की आर्थिक क्षति पहुंचाने वाले विधि अधिकारी को सस्पेंड कर दिया गया है. प्रकरण की जांच औद्योगिक विभाग में तैनात विशेष कार्याधिकारी अवनीश त्रिपाठी को सौंपी गई है.

CEO प्राधिकरण ने LAR को किया निलंबित
'गबन का आरोप'


प्राधिकरण अधिकारियों का कहना है कि मामला 4 से 5 साल पुराना है. अतिरिक्त मुआवजा देने में LAR की गलती को प्राधिकरण से सीएलए ने पकड़ा है. जिसकी रिपोर्ट प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी के पास भेजा गया है. रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि 4-5 साल पहले एक गांव के किसानों को जमीन अधिग्रहण के एवज में मुआवजा दिया जाना था. उसको लेकर किसान जिला अदालत चले गए. इसके बावजूद नियमों को ताक पर रख मुआवजा दिया गया.

ऐसे दो प्रकरण हैं. जिसमें किसानों को करीब 8 करोड़ रुपये का अतिरिक्त मुआवजा दिलाया गया है. इसलिए प्रथम दृष्टया एलएआर को गबन का दोषी माना गया है. इसके साथ ही तत्काल प्रभाव से मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने सस्पेंड कर दिया है.


अधिकारी की सफाई

प्राधिकरण में तैनात एलएआर वीरेंद्र सिंह नागर का कहना है कि किसान मुआवजा मामले पर इस प्रकार के अतिरिक्त मुआवजा कोई नई बात नहीं है. इसमें किसानों से शपथ पत्र लिया जाता है अगर अतिरिक्त भुगतान हो गया है, तो उसको वापस लिए जाने का प्रावधान है.

नई दिल्ली/नोएडा: दिल्ली-एनसीआर जिले में नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी रितु माहेश्वरी ने विधि अधिकारी वीरेंद्र सिंह नागर को निलंबित कर दिया है. प्राधिकरण को करोड़ों रुपये की आर्थिक क्षति पहुंचाने वाले विधि अधिकारी को सस्पेंड कर दिया गया है. प्रकरण की जांच औद्योगिक विभाग में तैनात विशेष कार्याधिकारी अवनीश त्रिपाठी को सौंपी गई है.

CEO प्राधिकरण ने LAR को किया निलंबित
'गबन का आरोप'


प्राधिकरण अधिकारियों का कहना है कि मामला 4 से 5 साल पुराना है. अतिरिक्त मुआवजा देने में LAR की गलती को प्राधिकरण से सीएलए ने पकड़ा है. जिसकी रिपोर्ट प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी के पास भेजा गया है. रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि 4-5 साल पहले एक गांव के किसानों को जमीन अधिग्रहण के एवज में मुआवजा दिया जाना था. उसको लेकर किसान जिला अदालत चले गए. इसके बावजूद नियमों को ताक पर रख मुआवजा दिया गया.

ऐसे दो प्रकरण हैं. जिसमें किसानों को करीब 8 करोड़ रुपये का अतिरिक्त मुआवजा दिलाया गया है. इसलिए प्रथम दृष्टया एलएआर को गबन का दोषी माना गया है. इसके साथ ही तत्काल प्रभाव से मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने सस्पेंड कर दिया है.


अधिकारी की सफाई

प्राधिकरण में तैनात एलएआर वीरेंद्र सिंह नागर का कहना है कि किसान मुआवजा मामले पर इस प्रकार के अतिरिक्त मुआवजा कोई नई बात नहीं है. इसमें किसानों से शपथ पत्र लिया जाता है अगर अतिरिक्त भुगतान हो गया है, तो उसको वापस लिए जाने का प्रावधान है.

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