नई दिल्ली/नोएडा: ठिठुरती सर्द रातों में नोएडा प्राधिकरण ने रैन बसेरों की व्यवस्था की है. जिनमें 150 लोग के सोने की व्यवस्था की गई है. इसके लिए रजिस्टर मेन्टेन होता है. ID चेक कर एंट्री मिल जाती है. लेकिन ईटीवी भारत ने सर्द रातों में व्यवस्था का जायजा लिया और सड़कों पर सो रहे लोगों से भी बात की तो चौकाने वाले बात बताई.
ईटीवी भारत की पड़ताल के दौरान सामने आया कि रैन बसेरे में महिलाओं के सोने की व्यवस्था नहीं है. आधार कार्ड नहीं होने पर रैन बसेरे में एंट्री नहीं मिलती है. सड़कों पर सो रहे लोगों ने बताया की उन्हें कंबल भी नहीं मिले है.
'खुले आसमान में सोने को मजबूर महिलाएं'
यूपी के शोविंडो नोएडा के सेक्टर-21 में प्राधिकरण की तरफ से एक रैन बसेरा बनाया गया। रैन बसेरे में 150 लोगों के सोने की सुविधा की गई लेकिन शायद प्राधिकरण लोगों की गिनती में महिलाओं को भूल गया. रैन बसेरे के केयरटेकर अभिमन्यु का कहना है कि महिलाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा? इसलिए किसी तरीके की व्यवस्था नहीं की गई है.
'NO आधार कार्ड, नो एंट्री'
सेक्टर-16 मेट्रो स्टेशन के पास खुले आसमान में सोने को मजबूर लोगों से जब बात की गई, तो उन्होंने बताया कि रैन बसेरे में एंट्री नहीं मिलती और ऐसा इसलिए क्योंकि उनके पास आधार कार्ड या पहचान पत्र नहीं है. मजदूर ने बताया कि वो फुटपाथ पर सोते हैं. ऐसे में आधार कार्ड और शंका चोरी हो चुका है.
'नहीं मिले कंबल और रजाई'
मजदूरों ने बात करते हुए बताया कि जिला प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिली है. कंबल और अलाव की व्यवस्था भी नहीं की गई है. ऐसे में मजबूरन खुले आसमान में सोना पड़ता है. बिहार के समस्तीपुर के रहने वाली एक महिला ने बताया कि रैन बसेरे को लेकर कोई जानकारी नहीं है? ऐसे में वो खुले में सर्द रातों में सोने को मजबूर हैं.
'व्यवस्था के नाम पर खानापूर्ति'
सैकड़ों की संख्या में लोग सड़कों पर हर रोज रात गुजारते हैं. महज एक रैन बसेरा बनाकर प्राधिकरण की तरफ से भी खानापूर्ति की गई. जिला प्रशासन की तरफ से खुले आसमान में सोने वालों को कोई भी सहायता नहीं मिली. महिलाएं रैन बसेरे में सो नहीं सकती, आधार कार्ड नहीं है, तो एंट्री नहीं है. ऐसे में व्यवस्था के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है.