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बायर्स आशियाना लेना चाहता है पर बिल्डर देने की नियत नहीं रखता : नेफोमा अध्यक्ष

बिल्डर और बायर्स के बीच अक्सर अतिरिक्त चार्ज को लेकर तकरार होती रहती है. इस मामले में आम्रपाली बिल्डर ने कोर्ट में कहा कि वह बायर्स को आशियाना देना चाहता है पर बायर्स ही नहीं ले रहे हैं.

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नोएडा में आशियाना
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Published : Jul 14, 2022, 10:47 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा : बिल्डर और बायर्स के बीच अक्सर अतिरिक्त चार्ज को लेकर तकरार होती रहती है. इस मामले में आम्रपाली बिल्डर ने कोर्ट में कहा कि वह बायर्स को आशियाना देना चाहता है पर बायर्स ही नहीं ले रहे हैं. इस संबंध में नेफोमा के अध्यक्ष अन्नू खान का कहना है कि कोई भी बायर्स आशियाना लेने से कभी मना नहीं करता है, पर बिल्डरों की मनमानी और निर्धारित रेट से अधिक मांग की जाती है. लॉकडाउन और कोरोना के दौरान बहुत से बायर्स ऐसे हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर हो गए हैं. उन्होंने फ्लैट बुक कराया तब रेट बिल्डर द्वारा कुछ और रखा गया, जब देने की बात आई तो बिल्डर मनमाने तरीके से रेट मांगा जा रहा है. कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय के अनुसार कोई भी बायर कभी भी आशियाना लेने से मना नहीं कर सकता है. क्योंकि हर किसी का सपना एक अपना घर का होता है, पर आम्रपाली ग्रुप द्वारा बायर्स से ज्यादा पैसे की अधिकता के चलते लोग फ्लैट लेने से बच रहे हैं.

नेफोमा के अध्यक्ष अन्नू खान का कहना है कि अम्रपाली ग्रुप द्वारा महज छत खड़ी करके बायर्स से पैसे लिए गए. उन्हें फ्लैट देने का आश्वासन दिया गया था. बायर्स ने ज्यादातर पैसे बिल्डर को दे दिए है. लेकिन बिल्डर द्वारा पूर्ण रूप से समय पर सोसाइटी को तैयार नहीं कर पाया, जिसके चलते लोगों पर पैसे देने का दबाव बनने लगा. आर्थिक स्थिति लोगों की जब बेहतर नहीं रही तो लोग फ्लैट लेने से बचने लगे. वहीं बिल्डर द्वारा शेष राशि के अतिरिक्त अन्य राशि भी बुकिंग समय के बाद से जोड़ दिए. इसके चलते आज बायर्स परेशान हैं. बिल्डर बायर्स को पूरी तरह से संतुष्ट नहीं कर पा रहा है. वह अपने पक्ष को सही साबित करने की कोशिश कर रहा है. कभी भी कोई बायर्स फ्लैट बुक करके छोड़ने का काम नहीं करता है और न ही करेगा.

नोएडा में आशियाना

होम बायर्स सुशील सैनी का कहना है कि हम लोगों का एक सपना होता है कि हम एक अपना आशियाना बनाएं. इसे पूरा करने के लिए हम अपने मेहनत की कमाई को बिल्डरों को देकर आशियाना लेने की उम्मीद रखते हैं. ज्यादातर बिल्डरों का हाल यह है कि अतिरिक्त पैसा बायर्स के ऊपर डाला जाता है, तो बायर्स विरोध के पक्ष में आता है. इससे बिल्डर घर लेने में परहेज करने लगता है. कोर्ट में आम्रपाली ग्रुप द्वारा दी गई दलील में एक पक्ष यह कहा है कि बिल्डर आशियाना जरूर देना चाहता है. बायर्स के ऊपर पड़ने वाले अतिरिक्त भार के चलते बायर्स अब फ्लैट लेने से बचने लगे हैं.

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नई दिल्ली/नोएडा : बिल्डर और बायर्स के बीच अक्सर अतिरिक्त चार्ज को लेकर तकरार होती रहती है. इस मामले में आम्रपाली बिल्डर ने कोर्ट में कहा कि वह बायर्स को आशियाना देना चाहता है पर बायर्स ही नहीं ले रहे हैं. इस संबंध में नेफोमा के अध्यक्ष अन्नू खान का कहना है कि कोई भी बायर्स आशियाना लेने से कभी मना नहीं करता है, पर बिल्डरों की मनमानी और निर्धारित रेट से अधिक मांग की जाती है. लॉकडाउन और कोरोना के दौरान बहुत से बायर्स ऐसे हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर हो गए हैं. उन्होंने फ्लैट बुक कराया तब रेट बिल्डर द्वारा कुछ और रखा गया, जब देने की बात आई तो बिल्डर मनमाने तरीके से रेट मांगा जा रहा है. कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय के अनुसार कोई भी बायर कभी भी आशियाना लेने से मना नहीं कर सकता है. क्योंकि हर किसी का सपना एक अपना घर का होता है, पर आम्रपाली ग्रुप द्वारा बायर्स से ज्यादा पैसे की अधिकता के चलते लोग फ्लैट लेने से बच रहे हैं.

नेफोमा के अध्यक्ष अन्नू खान का कहना है कि अम्रपाली ग्रुप द्वारा महज छत खड़ी करके बायर्स से पैसे लिए गए. उन्हें फ्लैट देने का आश्वासन दिया गया था. बायर्स ने ज्यादातर पैसे बिल्डर को दे दिए है. लेकिन बिल्डर द्वारा पूर्ण रूप से समय पर सोसाइटी को तैयार नहीं कर पाया, जिसके चलते लोगों पर पैसे देने का दबाव बनने लगा. आर्थिक स्थिति लोगों की जब बेहतर नहीं रही तो लोग फ्लैट लेने से बचने लगे. वहीं बिल्डर द्वारा शेष राशि के अतिरिक्त अन्य राशि भी बुकिंग समय के बाद से जोड़ दिए. इसके चलते आज बायर्स परेशान हैं. बिल्डर बायर्स को पूरी तरह से संतुष्ट नहीं कर पा रहा है. वह अपने पक्ष को सही साबित करने की कोशिश कर रहा है. कभी भी कोई बायर्स फ्लैट बुक करके छोड़ने का काम नहीं करता है और न ही करेगा.

नोएडा में आशियाना

होम बायर्स सुशील सैनी का कहना है कि हम लोगों का एक सपना होता है कि हम एक अपना आशियाना बनाएं. इसे पूरा करने के लिए हम अपने मेहनत की कमाई को बिल्डरों को देकर आशियाना लेने की उम्मीद रखते हैं. ज्यादातर बिल्डरों का हाल यह है कि अतिरिक्त पैसा बायर्स के ऊपर डाला जाता है, तो बायर्स विरोध के पक्ष में आता है. इससे बिल्डर घर लेने में परहेज करने लगता है. कोर्ट में आम्रपाली ग्रुप द्वारा दी गई दलील में एक पक्ष यह कहा है कि बिल्डर आशियाना जरूर देना चाहता है. बायर्स के ऊपर पड़ने वाले अतिरिक्त भार के चलते बायर्स अब फ्लैट लेने से बचने लगे हैं.

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