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नोएडा: 200 से ज्यादा सुसाइड, लॉकडाउन में हुए 75 फीसद सुसाइड

नोएडा में इस साल तकरीबन 200 से ज़्यादा लोगों ने अपनी ज़िंदगी खत्म कर ली है. शहर में जितनी मौतें कोरोना से नहीं हुई, उससे ज़्यादा मौतें कोरोना के कारण पैदा हुए हालातों से हो रही हैं.

More than 200 people have ended their lives in Noida due to corona condition effect
नोएडा: 200 से ज्यादा सुसाइड, लॉकडाउन में हुए 75 फीसद सुसाइड
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Published : Sep 9, 2020, 8:55 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा: नोएडा शहर उत्तर प्रदेश का शो विंडो कहा जाने वाला शहर है. नोएडा में इस साल तकरीबन 200 से ज़्यादा लोगों ने अपनी ज़िंदगी खत्म कर ली है. अप्रैल से अगस्त तक यानी लॉकडाउन की घोषणा के बाद से महीनों में आत्महत्या के 75% मामले सामने आए हैं.

लॉकडाउन में हुए 75 फीसद सुसाइड

आत्महत्या की वजह निजी कारण, व्यक्तिगत संबंधों में समस्याओं, लॉकडाउन के कारण नौकरी छूट जाने के चलते लोगो ने आत्महत्या की है. नोएडा सुसाइड हब बनता जा रहा है जो काफी चिंताजनक है. शहर में जितनी मौतें कोरोना से नहीं हुई, उससे ज़्यादा मौतें कोरोना के कारण पैदा हुए हालातों से हो रही हैं. गरीब और मजदूर तबका आत्महत्या करने को मजबूर हैं.



ये हैं आत्महत्या के आंकड़े


जनवरी में 16, फरबरी में 19, मार्च में 15, अप्रैल में 25, मई में 31, जून में 34 मामले, जुलाई में खुदकुशी के 30 तो अगस्त में 27 मामले सामने आए हैं. बात करें सितंबर की तो अभी 4 सितंबर तक तकरीबन 8 लोग आत्महत्या कर चुके हैं. ज्यादातर मामलों में आत्महत्या का कारण रोजगार का नहीं होना था. इनके अलावा कुछ लोगों ने इसीलिए खुदकुशी की क्योंकि वे लॉकडाउन में अकेलेपन का शिकार होना पड़ा. आर्थिक तंगी और निजी परेशानियों की वजह से भी खुदखुशी के आकंड़ों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है.


'कोरोना से डरना नहीं, लड़ना है'

डॉक्टरों की मानें तो आत्महत्या के बढ़ते मामलों का मुख्य कारण लॉकडाउन में अकेलापन, आर्थिक तंगी, रोजगार न मिलना और पुलिस भी खुदकुशी के मामलों में कुछ खास कार्य नहीं कर पा रही है. गौतमबुद्ध नगर DIG लव कुमार ने बताया कि अगर जरूरत पड़ी तो लोगों की काउंसिलिंग भी कराई जाएगी.

वहीं CMO डॉक्टर दीपक ओहरी का कहना है कि जिले में कोरोना के डर से किसी ने आत्महत्या नहीं कि लेकिन उससे पैदा हुई समस्याओं के चलते लोगों ने ज़िंदगी खत्म कर ली है, उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि कोरोना से डरना नहीं, लड़ना है.

नई दिल्ली/नोएडा: नोएडा शहर उत्तर प्रदेश का शो विंडो कहा जाने वाला शहर है. नोएडा में इस साल तकरीबन 200 से ज़्यादा लोगों ने अपनी ज़िंदगी खत्म कर ली है. अप्रैल से अगस्त तक यानी लॉकडाउन की घोषणा के बाद से महीनों में आत्महत्या के 75% मामले सामने आए हैं.

लॉकडाउन में हुए 75 फीसद सुसाइड

आत्महत्या की वजह निजी कारण, व्यक्तिगत संबंधों में समस्याओं, लॉकडाउन के कारण नौकरी छूट जाने के चलते लोगो ने आत्महत्या की है. नोएडा सुसाइड हब बनता जा रहा है जो काफी चिंताजनक है. शहर में जितनी मौतें कोरोना से नहीं हुई, उससे ज़्यादा मौतें कोरोना के कारण पैदा हुए हालातों से हो रही हैं. गरीब और मजदूर तबका आत्महत्या करने को मजबूर हैं.



ये हैं आत्महत्या के आंकड़े


जनवरी में 16, फरबरी में 19, मार्च में 15, अप्रैल में 25, मई में 31, जून में 34 मामले, जुलाई में खुदकुशी के 30 तो अगस्त में 27 मामले सामने आए हैं. बात करें सितंबर की तो अभी 4 सितंबर तक तकरीबन 8 लोग आत्महत्या कर चुके हैं. ज्यादातर मामलों में आत्महत्या का कारण रोजगार का नहीं होना था. इनके अलावा कुछ लोगों ने इसीलिए खुदकुशी की क्योंकि वे लॉकडाउन में अकेलेपन का शिकार होना पड़ा. आर्थिक तंगी और निजी परेशानियों की वजह से भी खुदखुशी के आकंड़ों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है.


'कोरोना से डरना नहीं, लड़ना है'

डॉक्टरों की मानें तो आत्महत्या के बढ़ते मामलों का मुख्य कारण लॉकडाउन में अकेलापन, आर्थिक तंगी, रोजगार न मिलना और पुलिस भी खुदकुशी के मामलों में कुछ खास कार्य नहीं कर पा रही है. गौतमबुद्ध नगर DIG लव कुमार ने बताया कि अगर जरूरत पड़ी तो लोगों की काउंसिलिंग भी कराई जाएगी.

वहीं CMO डॉक्टर दीपक ओहरी का कहना है कि जिले में कोरोना के डर से किसी ने आत्महत्या नहीं कि लेकिन उससे पैदा हुई समस्याओं के चलते लोगों ने ज़िंदगी खत्म कर ली है, उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि कोरोना से डरना नहीं, लड़ना है.

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