नई दिल्ली/नोएडा: किसी मशहूर शायर ने खूब लिखा कि 'लिखा परदेश किस्मत में वतन की याद क्या करें, जहां बेदर्द हाकिम है वहां फरियाद क्या करें'. यह शायरी भले ही काफी समय पहले लिखी गई पर इसका जीता-जागता उदाहरण कोविड-19 महामारी के दौरान लगाए गए लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों के ऊपर जरूर चरितार्थ हो रहा है. मजदूर जहां रोजी रोटी कमा रहे थे वहां सब कुछ बंद हो गया, जब अपने घर के लिए निकले तो प्रशासन ने उन्हें जबरन शेल्टर होम में भेज दिया. अब प्रवासी मजदूरों के सामने यह समस्या है कि वह अपनी बात किस से कहें और उनकी कौन सुनेगा. वतन की याद उन्हें जरूर आ रही है पर वतन जाने में उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
नोएडा: अपनी मंजिल की तरफ निकले प्रवासियों को ले जाया गया शेल्टर होम - Delhi migrant labour
लॉकडाउन की मार झेल रहे राजस्थान, सोनीपत और दिल्ली से बिहार जा रहे पैदल मजदूर नोएडा बॉर्डर पर पहुंचे तो उनको शेल्टर होम ले जाया गया. जिनमें से 30 प्रवासी मजदूरों को बस के माध्यम से उनके घर भेजा गया.
नई दिल्ली/नोएडा: किसी मशहूर शायर ने खूब लिखा कि 'लिखा परदेश किस्मत में वतन की याद क्या करें, जहां बेदर्द हाकिम है वहां फरियाद क्या करें'. यह शायरी भले ही काफी समय पहले लिखी गई पर इसका जीता-जागता उदाहरण कोविड-19 महामारी के दौरान लगाए गए लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों के ऊपर जरूर चरितार्थ हो रहा है. मजदूर जहां रोजी रोटी कमा रहे थे वहां सब कुछ बंद हो गया, जब अपने घर के लिए निकले तो प्रशासन ने उन्हें जबरन शेल्टर होम में भेज दिया. अब प्रवासी मजदूरों के सामने यह समस्या है कि वह अपनी बात किस से कहें और उनकी कौन सुनेगा. वतन की याद उन्हें जरूर आ रही है पर वतन जाने में उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.