नई दिल्ली/नोएडा: लॉकडाउन के चौथे फेस के शुरू होने के साथ ही प्रवासी मजदूर जहां भी फंसे हुए हैं. वहां से अपने घर के लिए चल दिए हैं, जिसके पास जो साधन हैं. वह उसी से निकल पड़ा है. ऐसा ही एक परिवार दिल्ली के बुराड़ी से रिक्शे पर चल दिया, जिसे ग्रेटर नोएडा में अपने रिलेटिव के पास जाना था और फिर वहां से बदायूं. लेकिन वह ना तो रिलेटिव के पास पहुंचा और ना ही बदायूं पहुंचा बल्कि शेल्टर होम पहुंच गया.
'मर जाऊंगा पर दिल्ली नहीं आऊंगा'
नोएडा के सेक्टर 19 स्थित शेल्टर होम में आए एक युवक का कहना है कि मर जाऊंगा पर दिल्ली अब कभी नहीं आऊंगा. युवक यह सब इसलिए कह रहा है क्योंकि दिल्ली में दिहाड़ी मजदूरी पति-पत्नी करके परिवार का भरण-पोषण कर रहे थे. लॉकडाउन के चलते उसकी आमदनी बंद हो गई, जिसके चलते युवक अपने परिवार को रिक्शे पर बैठाकर ग्रेटर नोएडा में रह रहे अपने चाचा के पास दिल्ली के बुराड़ी से चल दिया.
वहीं नोएडा की सीमा पर पहुंचते ही प्रशासन द्वारा उसके पास जाने का उचित संसाधन न होने के कारण उसका रिक्शा बॉर्डर पर रोक लिया और बस के माध्यम से शेल्टर होम में छोड़ दिया गया. परिवार के साथ अपने घर ना पहुंच पाने का दुख लिए युवक ईटीवी भारत से बात करते समय फूट-फूट कर रोने लगा और प्रशासन से गुहार लगाई कि उसे उसके चाचा के पास या उसके घर बदायूं भेज दिया जाए.
दिन से शेल्टर होम में है युवक
बुराड़ी से आए और बदायूं जाने वाले युवक सतवीर का कहना है कि 3 दिन हो गए शेल्टर होम में रहते हुए, यहां बहुत ज्यादा मच्छर हैं और खाने की उचित व्यवस्था नहीं है. जिसके चलते 9 महीने के बेटे और ढाई साल की बेटी की देखभाल सही से नहीं हो पा रही है. एक तरफ कोरोना वायरस बीमारी परेशान कर रही है, वहीं दूसरी तरफ प्रशासन द्वारा घर नहीं जाने दिया जा रहा है. इससे अच्छा है हमें प्रशासन मार ही डालें.