नई दिल्ली/नाेएडाः नोएडा के सेक्टर 100 स्थित वोडा महादेव मंदिर की पाैराणिक मान्यताएं हैं. सतयुग में कुबेर जी, द्वापर में परशुराम और नंदी महादेव के मुख्य गण ने यहां तपस्या की थी. इस तपोभूमि को आज लोग भूलते जा रहे हैं. जीर्णोद्धार नहीं होने के चलते पौराणिक और ऐतिहासिक तपोभूमि खंडहर में तब्दील होता जा रहा (Noidas Voda Mahadev Temple in bad condition ) है. स्थानीय लाेगाें में इसे लेकर काफी आक्राेश है. इसलिए वे यहां तक कहते हैं कि इस तपोभूमि की बदहाली सिर्फ इसलिए है, क्योंकि इस प्राकृतिक व प्राचीन तीर्थ स्थान का जिक्र राजनीतिक गलियारे में नहीं हुआ है.
वोडा महादेव मंदिर के (Noidas Voda Mahadev Temple) महंत का कहना है कि मंदिर के नाम पर नेता वोट जरूर मांगते हैं, पर मंदिर की देखरेख के नाम पर कभी झांकने भी नहीं आते हैं. मंदिर में लगे सिलापट पर साफ शब्दों में लिखा है यह तीर्थ स्थान प्राकृतिक एवं प्राचीन है. सतयुग में यहां पर श्री कुबेर जी ने तपस्या की थी, द्वापर युग में इस तपोभूमि पर श्री परशुराम जी ने घोर तपस्या की थी. वही मनसा देवी के पुत्र वोडा ने इस महादेव मंदिर की स्थापना की थी.
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इसके साथ ही दूसरी तरफ लिखा हुआ है कि पौराणिक प्रमाणों के अनुसार सिद्ध श्री नंदी जी द्वापर युग कालीन 6000 वर्ष प्राचीन है. प्राचीन और प्राकृतिक इस मंदिर की दुर्दशा के संबंध में मंदिर के महाराज द्वारा ईटीवी भारत से खास बातचीत में महंत बाबा सत्य भारती महाराज ने बताया कि इस मंदिर की मान्यता एक तपोभूमि की रूप में है. इस मंदिर परिसर में बड़े-बड़े महापुरुषों ने तपस्या की है. उन्होंने कहा कि हमारे देश के नेता धर्म और मंदिर के नाम पर राजनीति करते हैं पर पौराणिक मंदिरों के जीर्णोद्धार के संबंध में कभी आगे नहीं आते हैं.
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महंत ने बताया कि मंदिर के साथ ही यहां रहने वाले तमाम साधु संतों के विश्राम की कोई व्यवस्था नहीं है. बरसात में छत टपकती है. यहां बड़ी संख्या में गाय थीं पर गाेशाला की उचित व्यवस्था नहीं होने के चलते सभी गायो को अन्य स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया गया. इस मंदिर की तरफ अगर शासन-प्रशासन से या जनप्रतिनिधि ने जल्द ध्यान नहीं दिया तो यह प्राचीन धरोहर बहुत जल्द खंडहर में तब्दील हो जाएगा.
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