नई दिल्ली/नोएडा: पूरे देश में नए साल का जश्न मनाया गया. इस चकाचौंध रोशनी के बीच एक वर्ग ऐसा भी है. जो इस कड़कड़ाती ठंड में सड़क पर खुले आसमान में रात बिताने को मजबूर है. यह वर्ग रिक्शा चालक, मज़दूर, और बेसहारा लोग है. जो रैन बसेरों के बारे में जानकारी न होने की वजह से इस हाड़ कपा देने वाली ठंड में नोएडा के सड़को पर सोने को मजबूर है.
प्लास्टिक की शीट ओढ़कर गुजरते हैं रात
ईटीवी भारत ने पड़ताल की तो नए साल के जश्न के बीच एक तस्वीर सामने आई. जिसमें नोएडा के सड़को पर लोग खुले आसमान में सर्द हवाओं और कड़ाके की ठंड के बीच सोने को मजबूर दिखाई दिए. खुले आसमान में सो रहे इन लोगों ने हमसे अपना दर्द बयां किया. जिसमें रिक्शा चालकों ने बताया कि वो अपना रिक्शा कहीे और नहीं छोड़ सकते क्योकि रिक्शा ही उनकी कमाई का एक मात्र जरिया है.
ऐसे में मजबूरन उन्हें खुले में सोना पड़ता है. इनके अलावा बहुत से ऐसे लोग है जिन्हें रैन बसेरों के बारे में जानकारी नहीं है. जिसकी वजह से वह अपनी रात सड़कों पर बिताते है. साथ ही लोगों ने बताया कि वह रजाई के ऊपर प्लास्टिक की सीट डालकर रात गुजारते हैं ताकि ओस से रजाई गीली ना हो.
सरकार को देना होगा इस ओर ध्यान
हालांकि यह तस्वीर देख कर किसी भी व्यक्ति की आंखें नम हो सकती हैं. लेकिन अथॉरिटी जिला प्रशासन और सरकारों को इस ओर भी विशेष ध्यान देना होगा. ताकि जो लोग सड़कों पर सोने को मजबूर है उन्हें रैन बसेरा जैसी व्यवस्था पुख्ता की जाए और इस ठंड में उनकी जान बचाई जा सके.साथ ही अधिकारी स्थलीय निरीक्षण कर रैन बसेरे को उचित जगह पर बनाएं. ताकि सड़कों पर सो रहे इन बेघर लोगों की रात उनकी आखरी रात ना हो.