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चिल्ला बॉर्डर पर 37वें दिन किसानों का धरना जारी, 'भोजन की नहीं है कमी'

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Published : Jan 6, 2021, 5:32 PM IST

नोएडा के चिल्ला बॉर्डर पर किसान धरना प्रदर्शन को 37 दिन हो गए हैं. जिसे देखते हुए किसानों के खाने-पीने की व्यवस्था भी कर ली गई है. किसानों का कहना है कि किसान स्वस्थ और भरपेट भोजन करेंगे, तभी तो लड़ाई लड़ेंगे.

Farmers protest continue on 37th day at chilla border with sufficient food
चिल्ला बॉर्डर पर 37वें दिन किसानों का धरना जारी

नई दिल्ली/नोएडा: 37 दिनों से लगातार नोएडा के सेक्टर 14ए स्थित चिल्ला बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन भानू गुट के बैनर तले किसान धरना प्रदर्शन करने में लगे हुए हैं. अब तक देखा जाए तो लगातार सरकार और किसानों के बीच आठवें दौर की वार्ता हो चुकी है.

चिल्ला बॉर्डर पर 37वें दिन किसानों का धरना जारी

दो स्थानों पर चल कहा किसानों के लिए लंगर

इतनी वार्ता के बाद भी कोई निष्कर्ष नहीं निकला है. किसानों का यह भी कहना है कि किसान स्वस्थ और भरपेट भोजन करेंगे तभी लड़ाई लड़ेंगे, जिसके लिए कई महीने के लिए राशन की व्यवस्था की गई है. चिल्ला बॉर्डर पर किसानों ने दो स्थानों पर लंगर चला रखा है, जहां हजारों लोगों के खाने की व्यवस्था की गई है.


अन्नदाता नहीं रहेगा भूखा, राशन की है पर्याप्त व्यवस्था- किसान

37 दिनों से चिल्ला बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने सरकार से अब तक हुई वार्ता में कोई निष्कर्ष ना निकलने के बाद धरना स्थल पर राशन और खाने-पीने की कई महीने का स्टॉक तैयार रखा गया है. किसानों का कहना है कि अन्नदाता अब भूखा नहीं रहेगा, जो दूसरों को अन्न खिलाता है वह खुद भूखा नहीं रहेगा. सरकार किसानों की मांगें जब तक नहीं मानेगी तब तक आंदोलन जारी रहेगा.


ये भी पढ़ें:- चिल्ला बॉर्डर पर किसानों ने निकाला कृषि कानून का जनाजा

बेहतर भोजन और स्वस्थ रहकर होगी हक की लड़ाई

लंगरों को चलाने वाले किसानों का कहना है कि हर टाइम अलग-अलग पकवान बनाए जा रहे हैं. बेहतर से बेहतर भोजन धरने पर बैठे किसानों को खिलाने का काम किया जा रहा है. ताकि, किसान पूरी तरह स्वस्थ रहें और अपने हक की लड़ाई सरकार से मजबूती के साथ लड़ सके.

अन्नदाता खुद किसी हाल में नहीं रहेगा भूखा

इसी के साथ भोजन व्यवस्थापक का कहना है कि किसान को पल भर के लिए भी एहसास नहीं होने दिया जाएगा कि उसे भोजन की किसी प्रकार की समस्या सामने आ रही है या फिर उसे पेट भरने में कोई कमी हो रही है. दूसरों को अन्न खिलाने वाला अन्नदाता खुद भूखा किसी हाल में नहीं रहेगा. महीनों नहीं सालों अगर धरना प्रदर्शन और हक की लड़ाई चली तो भी राशन की समस्या या भोजन की समस्या उत्पन्न नहीं होने दिया जाएगा.

नई दिल्ली/नोएडा: 37 दिनों से लगातार नोएडा के सेक्टर 14ए स्थित चिल्ला बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन भानू गुट के बैनर तले किसान धरना प्रदर्शन करने में लगे हुए हैं. अब तक देखा जाए तो लगातार सरकार और किसानों के बीच आठवें दौर की वार्ता हो चुकी है.

चिल्ला बॉर्डर पर 37वें दिन किसानों का धरना जारी

दो स्थानों पर चल कहा किसानों के लिए लंगर

इतनी वार्ता के बाद भी कोई निष्कर्ष नहीं निकला है. किसानों का यह भी कहना है कि किसान स्वस्थ और भरपेट भोजन करेंगे तभी लड़ाई लड़ेंगे, जिसके लिए कई महीने के लिए राशन की व्यवस्था की गई है. चिल्ला बॉर्डर पर किसानों ने दो स्थानों पर लंगर चला रखा है, जहां हजारों लोगों के खाने की व्यवस्था की गई है.


अन्नदाता नहीं रहेगा भूखा, राशन की है पर्याप्त व्यवस्था- किसान

37 दिनों से चिल्ला बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने सरकार से अब तक हुई वार्ता में कोई निष्कर्ष ना निकलने के बाद धरना स्थल पर राशन और खाने-पीने की कई महीने का स्टॉक तैयार रखा गया है. किसानों का कहना है कि अन्नदाता अब भूखा नहीं रहेगा, जो दूसरों को अन्न खिलाता है वह खुद भूखा नहीं रहेगा. सरकार किसानों की मांगें जब तक नहीं मानेगी तब तक आंदोलन जारी रहेगा.


ये भी पढ़ें:- चिल्ला बॉर्डर पर किसानों ने निकाला कृषि कानून का जनाजा

बेहतर भोजन और स्वस्थ रहकर होगी हक की लड़ाई

लंगरों को चलाने वाले किसानों का कहना है कि हर टाइम अलग-अलग पकवान बनाए जा रहे हैं. बेहतर से बेहतर भोजन धरने पर बैठे किसानों को खिलाने का काम किया जा रहा है. ताकि, किसान पूरी तरह स्वस्थ रहें और अपने हक की लड़ाई सरकार से मजबूती के साथ लड़ सके.

अन्नदाता खुद किसी हाल में नहीं रहेगा भूखा

इसी के साथ भोजन व्यवस्थापक का कहना है कि किसान को पल भर के लिए भी एहसास नहीं होने दिया जाएगा कि उसे भोजन की किसी प्रकार की समस्या सामने आ रही है या फिर उसे पेट भरने में कोई कमी हो रही है. दूसरों को अन्न खिलाने वाला अन्नदाता खुद भूखा किसी हाल में नहीं रहेगा. महीनों नहीं सालों अगर धरना प्रदर्शन और हक की लड़ाई चली तो भी राशन की समस्या या भोजन की समस्या उत्पन्न नहीं होने दिया जाएगा.

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