नई दिल्ली/गाजियाबाद: कृषि कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी की मांग को लेकर किसान नेता राकेश टिकैत की अगुवाई में गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहे किसानों के आंदोलन को तक़रीबन चार महीने पूरे होने जा रहे हैं. सर्दी के मौसम में शुरू हुआ आंदोलन गर्मी के मौसम में पहुंच चुका है. गर्मी से बचने के लिए बॉर्डर पर तमाम इंतजाम किए जा रहे हैं, लेकिन गर्मी के मौसम में बॉर्डर पर किसानों की संख्या काफी कम नजर आ रही है.
फरवरी के पहले हफ्ते से भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता और किसान नेता राकेश टिकैत की महापंचायतों का दौर शुरू हो गया. टिकैत किसान महापंचायतों को संबोधित करने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में जाने लगे. टिकैत की गैरमौजूदगी में बॉर्डर पर किसानों की संख्या काफी कम देखने को मिली. मौजूदा समय में किसान आंदोलन की तस्वीरें साफ कर रही है कि बॉर्डर पर किसानों की संख्या काफी कम है. एक तरफ काफी टेंट खाली पड़े हैं तो वहीं दूसरी वहीं दूसरी तरफ कई टैंटों में इक्का-दुक्का किसान नजर आ रहे हैं.
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हालांकि इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि जिस तरह आंदोलन आगे बढ़ रहा है. उसी तरह किसानों की संख्या पर भी असर पड़ रहा है. बॉर्डर पर किसानों की संख्या में हो रही गिरावट को लेकर ईटीवी भारत ने भारतीय किसान यूनियन के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन से बातचीत की. राजवीर जादौन ने बताया ग़ाज़ीपुर बार्डर पर किसानों की संख्या कम नही है. गांवों में खेती किसानी का काम भी चल रहा है. किसान पर देश की 130 करोड़ जनता का पेट भरने की भी जिम्मेदारी है. किसान आंदोलन और खेत दोनों पर नज़र बनाए हुए है.
बीकेयू प्रदेश अध्यक्ष ने बताया रोटेशन रणनीति के तहत लगातार किसान ग़ाज़ीपुर बार्डर पहुंच रहे हैं. उन्होंने कहा आंदोलन की ताकत संख्या से नही बल्कि विचार से होती है. खाली टेंटों को लेकर जादौन ने कहा जनवरी में आंदोलन स्थल पर किसानों की एक बड़ी संख्या थी.
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उसी के हिसाब बार्डर पर किसानों के टेंट लगवाए गए थे. काफी किसानों को खेती किसानी के कार्यों को पूरा करने के लिए गांव भेजा गया है. बता दें कि पहले मंच और लंगरों में भी किसानों की काफी भीड़ नजर आती थी लेकिन अब मंच के आगे भी किसानों की संख्या काफी कम नजर आ रही है और लंगरों में भी इक्का-दुक्का किसान ही दिखाई दे रहे हैं.