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260 किलोमीटर दूर पैदल ही घर जाने को मजबूर दिव्यांग - lockdown news

लॉकडाउन में एक दिव्यांग पैदल ही घर जाने को मजबूर हैं. दिव्यांग ने जिला प्रशासन पर खाने की गुणवत्ता पर सवाल उठाया है.

diabled man is forced to go home 260 km away during lockdown
diabled man is forced to go home 260 km away during lockdown
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Published : May 1, 2020, 8:34 PM IST

नई दिल्ली/ग्रे.नोएडा: लॉकडाउन के दौरान सभी अपने-अपने घर जाने की कोशिश कर रहे हैं. जबकि सरकार बार-बार जनता से अपील कर रही है कि लॉकडाउन के दौरान सभी लोग जो जहां है वहीं पर रहे, लेकिन मजदूर तबके के लोग सरकार के सिस्टम पर सवाल खड़ा कर रहे हैं कि उनको रुकने की जगह तो दी है लेकिन खाने के लिए जो खाना दिया जा रहा है वह कोई जानवर भी ना खाएं. ऐसे ही एक दिव्यांग गाजियाबाद से मैनपुरी पैदल-पैदल अपने घर जाने के लिए निकल चुका है.

घर जाने को है मजबूर दिव्यांग
'जिला प्रशासन द्वारा दिया गया खाना भी है बेकार'

सर पर तौलिया और मुंह पर मास्क लगाए हुए यह दिव्यांग अपने घर जाने के लिए तपती धूप में निकल चुका है. गाजियाबाद के खोड़ा में रहने वाले चंदन गाजियाबाद में पानी बेचने का काम करते है.
लॉकडाउन में इनका काम बंद हो चुका है. खाने के लिए खाना नहीं और रहने के लिए छत नहीं है लेकिन जेब में पैसे नहीं है. सरकार के द्वारा लोगों को खाना तो दिया जा रहा है लेकिन चंदन का आरोप है कि ऐसा खाना कोई जानवर भी ना खाएं. इसलिए वह पैदल ही 260 किलोमीटर का सफर तय करने के लिए निकल चुका है.

नई दिल्ली/ग्रे.नोएडा: लॉकडाउन के दौरान सभी अपने-अपने घर जाने की कोशिश कर रहे हैं. जबकि सरकार बार-बार जनता से अपील कर रही है कि लॉकडाउन के दौरान सभी लोग जो जहां है वहीं पर रहे, लेकिन मजदूर तबके के लोग सरकार के सिस्टम पर सवाल खड़ा कर रहे हैं कि उनको रुकने की जगह तो दी है लेकिन खाने के लिए जो खाना दिया जा रहा है वह कोई जानवर भी ना खाएं. ऐसे ही एक दिव्यांग गाजियाबाद से मैनपुरी पैदल-पैदल अपने घर जाने के लिए निकल चुका है.

घर जाने को है मजबूर दिव्यांग
'जिला प्रशासन द्वारा दिया गया खाना भी है बेकार'

सर पर तौलिया और मुंह पर मास्क लगाए हुए यह दिव्यांग अपने घर जाने के लिए तपती धूप में निकल चुका है. गाजियाबाद के खोड़ा में रहने वाले चंदन गाजियाबाद में पानी बेचने का काम करते है.
लॉकडाउन में इनका काम बंद हो चुका है. खाने के लिए खाना नहीं और रहने के लिए छत नहीं है लेकिन जेब में पैसे नहीं है. सरकार के द्वारा लोगों को खाना तो दिया जा रहा है लेकिन चंदन का आरोप है कि ऐसा खाना कोई जानवर भी ना खाएं. इसलिए वह पैदल ही 260 किलोमीटर का सफर तय करने के लिए निकल चुका है.
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