नई दिल्ली/नोएडा: गौतमबुद्ध नगर जिले में देखा जाए तो शासन के आदेश पर 13 जनवरी को कमिश्नरेट सिस्टम लागू किया गया था और 15 जनवरी को पुलिस कमिश्नर गौतमबुद्ध नगर आलोक सिंह ने चार्ज संभाला था. इस 6 महीने में कमिश्नरी में किये गए कामों को जनता और शासन के सामने लाया गया है. चाहे वह अपराध हो या फिर कोरोना काल में पुलिस की भूमिका हो.
इस 6 महीने में कमिश्नर की तरफ से एक प्रोग्रेस रिपोर्ट तैयार की गई की पिछले साल 2019 में अपराध के साथ अन्य मामलों की स्थिति क्या रही. इस सिस्टम को लागू हुए 6 महीने हुए है. इसके बावजूद भी चोरी, लूट, मिहला सुरक्षा, तोड़फोड़ की वारदातों में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है.
कमिश्नरी की 6 महीने की प्रोग्रेस रिपोर्ट
पिछले 180 दिनों में कमिश्नरेट प्रणाली की वजह से जिले में अपराध को नियंत्रित करने में 65 प्रतिशत सफलता हासिल हुई है. आंकड़ों के मुताबिक, इस प्रणाली से डकैती के मामलों को आधा करने में कामयाब मिली है. 2019 और 2020 के जनवरी से जून तक के आंकड़े बताते हैं कि इस साल गौतमबुद्ध नगर में एक भी डकैती और फिरौती नहीं हुई. वहीं पिछले साल इस वक्त तक 94 लूट की वारदातें हुईं जबकि इस साल महज 45 हुईं. बालात्कार की घटनाएं भी पिछले साल इस वक्त तक 54 थीं, जो इस साल महज 21 है.
गैंगस्टर और माफियाओं पर कार्रवाई
यूपी पुलिस ने पिछले 6 महीने में गौतमबुद्ध नगर में गैंगस्टर एक्ट के तहत बड़ी कार्रवाई की. रिपोर्ट में बताया गया है कि गौतमबुद्ध नगर में गैंगस्टर्स की 13 करोड़ की संपत्तियां जब्त हुई हैं. इनमें सुंदर भाटी, सुमित नागर, चंद्रपाल प्रधान आदि जैसे अपराधियों का नाम शामिल है.
महिला सुरक्षा की दिशा में पुलिस ने की बड़ी पहल
उत्तर प्रदेश में महिला सुरक्षा एक महत्वपूर्ण विषय रहा है, ऐसे में महिलाओं के लिए गौतमबुद्ध नगर के हर पुलिस स्टेशन में अलग ब्रांच स्थापित की गई है. महिला पुलिस अधिकारी को ही महिलाओं से संबंधित मामलों की सुनवाई और समाधान का जिम्मा दिया गया. साथ ही महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए मलिन बस्तियों, स्कूल-कॉलेजों और हाउसिंग सोसायटी में महिला चौपाल लगाई गईं.
कोरोना महामारी के दौरान जनता का दिल जीता
कोरोना महामारी के दौरान गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने जरूरतमंदों, गरीबों, बुजुर्गों और अन्य लोगों की मदद की. पुलिस ने हर दिन कोरोना महामारी के दौरान जरूरतमंदों को 1,500 भोजन के पैकेट वितरित किए. साथ ही लॉकडाउन में बढ़े घरेलू हिंसा के मामलों को बेहद संवेदनशीलता से सुलझाया.
6 महीने की प्रोग्रेस रिपोर्ट के संबंध में अधिकारियों का मानना है कि जिले में कमिश्नरी बनने के बाद 3 जोन में अलग-अलग डीसीपी बैठने के बाद से अपराध पर काफी अंकुश लगा है. 6 महीने के अंदर कमिश्नरी में पुलिस ने बेहतर काम करके दिखाया है. अब देखना होगा कि इस महीने की कमिश्नरी जो एक ट्रायल के रूप में थी वह आगे जारी रहेगी या यही तक सीमित हैं, यह आने वाला वक्त बताएगा.