नई दिल्ली/नोएडा : नोएडा में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के ट्विन टावर्स को गिराने की प्रक्रिया ने रफ्तार पकड़ लिया है. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसले के बाद से नोएडा प्राधिकरण में हलचल मच गई है. कोर्ट ने 72 घंटे के अंदर प्राधिकरण की सीईओ को ट्विन टावर से जुड़े सभी विभागों के साथ बैठक करके फैसला लेने का आदेश दिया है. कोर्ट ने 2 सप्ताह के अंदर 40 मंजिला ट्विन टावर्स को ध्वस्त करने के भी आदेश दिए हैं.
मुंबई की एक कंपनी को इसका टेंडर सुपरटेक बिल्डर ने दिया था. जिसमें 10 विभागों से एनओसी लेने की प्रक्रिया चल रही थी. इसी बीच कोर्ट का फैसला आया है. कोर्ट ने अपने पूर्व फैसले में 30 नवंबर तक टावर्स को ध्वस्त करने का आदेश दिया था. ट्विन टावर्स को तोड़ने के लिए पहला एक्शन प्लान तैयार हो गया और अथॉरिटी को सौंप दिया गया है. टावर्स को तोड़ने के लिए एजेंसी को करीब 10 विभागों से एनओसी भी लेनी होगी. जिसमें प्राधिकरण, बिल्डर, आरडब्लूए, पुलिस, फायर सहित अन्य विभाग शामिल हैं.
ट्विन टावर को लेकर नोएडा प्राधिकरण की सीईओ ऋतु महेश्वरी ने प्रेस नोट जारी करके कहा कि औपचारिक आदेश आना बाकी है. कोर्ट के मौखिक निर्देशों के अनुसार आज से 2 सप्ताह के भीतर विध्वंस की प्रक्रिया शुरू होगी. हितधारकों के साथ 72 घंटे के भीतर बैठक होगी ताकि कोई देरी न हो. ट्विन टावर को लेकर मीडिया में चली खबरों के संबंध में प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी ने कई बातों का खंडन भी किया है.
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ट्विन टावर गिराए जाने के संबंध में कोर्ट ने आदेश दिया था कि बिल्डर ट्विन टावर्स को गिराने का खर्च भी उठाए. मुंबई की एडिफिस कंपनी को 17.55 करोड़ में ठेका दिया गया है. ट्विन टावर्स को तोड़ने पर करीब 13.35 करोड़ रुपए का मलबा निकलेगा. जिसे कंपनी बिल्डर से खरीद लेगी. इसके बाद बिल्डर को कंपनी को महज 4.20 करोड़ रुपए भुगतान करना होगा. टावर को तोड़ने वाली कंपनी ने 180 दिन का समय मांगा है. 90 दिन में ध्वस्तीकरण का सामान पहुंचाने और 90 दिन में मलबा हटाने की बात कही गई है. 40 मंजिला ट्विन टावर्स को गिराने में चंद सेकेंड लगेंगे.