नई दिल्ली/नोएडा: ग्रेटर नोएडा के रहने वाले विजेंद्र आर्य यूं तो 70 साल की उम्र पार कर चुके हैं लेकिन इस उम्र में भी उनके काम करने का जज्बा कम नहीं हुआ है. विजेंद्र आर्य कबाड़ के समान को सुंदर-सुंदर कलाकृतियों का रूप देते हैं. पूरे लॉकडाउन में घर पर रहकर उन्होंने अपने समय का बेहतरीन उपयोग किया है. लॉकडाउन के दौरान उन्होंने 500 से अधिक कलाकृतियां बनाई है. इन कलाकृतियों में खास बात ये सभी कबाड़ के सामान से बनी है.
कबाड़ के समान को देते हैं नया रूप
विजेंद्र आर्य यूं तो स्कूल के संस्थापक हैं और अपना सारा समय वो स्कूल में ही देते थे. लेकिन लॉकडाउन के बाद से उनके पास कबाड़ के सामान को नया रूप देने का समय ही समय था. विजेंद्र आर्य ने बताया कि उनको कबाड़ के समान को देखकर ही नई-नई कलाकृतियां बनाने के नए तरीके दिमाग में आ जाते हैं.
'पिता जी से मिली थी प्रेरणा'
विजेंद्र आर्य ने बताया कि उनको कबाड़ के सामान से कलाकृतियां बनाने का उपाय अपने पिताजी से मिला था. क्योंकि उनके पिताजी भी अपना सारा समय प्राकृतिक चीजों को बनाने में लगाते थे. उसी प्रकार विजेंद्र आर्य भी कभी खाली नहीं बैठते. हमेशा कुछ ना कुछ नया काम करते रहते हैं. नए-नए तरीके की कलाकृतियां बनाने में के बारे में विचार करते रहते हैं.
नई उम्र बच्चे मोबाइल से अलग हट दें ध्यान
विजेंद्र आर्य ने बताया कि नई उम्र के बच्चों को खाली समय में सिर्फ मोबाइल पर ही ध्यान नहीं देना चाहिए. बल्कि कबाड़ जैसे सामान से नई-नई तरीके से कलाकृतियां बनाने पर भी ध्यान देना चाहिए. क्योंकि इससे उनका जमीनी जुड़ाव हो जाता है. मोबाइल और लैपटॉप भी आज के दौर में जरूरी हैं तो उतना ही जमीनी कलाकृतियों से जुड़ना भी जरूरी है.