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GMDA बस में कितनी सुरक्षित हैं महिलाएं और क्या है सुविधाएं? देखिए रिपोर्ट

गुरुग्राम के तमाम इलाकों का दौरा करने के बाद हमने यात्रा के दौरान महिलाओं की सुरक्षा का जायजा लिया. हमारे संवादाता ने गुरुग्राम सिटी बस में सफर करते हुए महिलाओं की सुरक्षा का जायजा लिया. जानिए जीएमडीए की बस में महिलाओं के लिए सुरक्षा के क्या प्रबंध किए गए हैं.

women safety reality check in gmda bus of gurugram haryana
महिला सुरक्षा पर ईटीवी भारत की पड़ताल
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Published : Dec 22, 2019, 11:32 AM IST

नई दिल्ली/गुरुग्रामः देश में महिलाएं लगातार हैवानियत का शिकार हो रही हैं. आए दिन बढ़ रही दुष्कर्म की घटनाओं ने महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

महिला सुरक्षा पर ईटीवी भारत की पड़ताल

ईटीवी भारत के संवाददाता ने अलग-अलग जिलों का जायजा ले रहे हैं. पहली कड़ी में हमने आपको दिखाया कि गुरुग्राम में ई-रिक्शा में यात्रा करने वाली छात्राएं कितनी सुरक्षित हैं. उसके बाद दूसरी कड़ी में आपने देखा कि गुरुग्राम के बसई इलाकों में सुरक्षा इंतजामों के क्या हालात हैं. कॉलेज और सुनसान इलाकों का दौरा करने के बाद हमने जीएमडी बस में महिलाओं की सुरक्षा का जायजा लिया.

शहर के तमाम इलाकों का दौरा करने के बाद हमने यात्रा के दौरान महिलाओं की सुरक्षा का जायजा लिया. हमारे संवाददाता ने गुरुग्राम सिटी बस में सफर करते हुए पड़ताल की. जहां हमने देखा कि बस में सुरक्षा के कुछ इंतजाम जरूर किए गए हैं. हाल ही में शुरू हुई जीएमडीए कि बस सर्विस में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए थे. इसके अलावा बस में एमरजेंसी दरवाजे की भी सुविधा उपलब्ध करवाई गई है.

'बस सुरक्षित लेकिन गुरुग्राम असुरक्षित'
इस दौरान हमने बस में सफर करने वाली महिलाओं से भी बातचीत की. उनका कहना था कि अन्य बसों के मुकाबले ये बस काफी सुरक्षित है. इस बस में सफर करते हुए महिलाएं सुरक्षित महसूस करती हैं. उन्होंने बताया कि जीएमडीए द्वारा चलाई गई ये बसें हर जगह नहीं रूकती. ऐसे में शरारती तत्व बस में नहीं चढ़ पाते और यात्रा में कोई परेशानी नहीं होती. उन्होंने कहा कि बस तो सुरक्षित है लेकिन गुरुग्राम आज भी असुरक्षित है.

'बस में सुरक्षित महसूस करती हूं'
एक अन्य महिला ने बताया कि उन्होंने अभी-अभी इस से सफर करना शुरू किया है. उन्होंने बताया कि इस बस में वे खुद को सुरक्षित महसूस करतीं है. ये बस उन्हें सीधा उनके घर तक बिना किसी परेशानी के पहुंचाने में काफी मददगार साबित हो रही हैं. सुरक्षा उपकरणों को लेकर उन्होंने कहा कि बस में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं. इसके अलावा बस में गार्ड भी मौजूद रहता है. वहीं एमरजेंसी गेट भी इस बस में उपलब्ध है.

'नहीं सुरक्षित हैं महिलाएं'
वहीं एडीसी ऑफिस में काम करने वालीं एक महिला ने कहा कि चाहे बस हो या सड़क हो गुरुग्राम में महिलाएं आज भी सुरक्षित नहीं है. उन्होंने कहा कि भले ही सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध सरकार द्वारा किए गए हों लेकिन उसके बावजूद महिलाएं हैवानियत का शिकार हो ही जाती हैं. उन्होंने बताया कि वे हमेशा 100 से 200 किलोमीटर की दूरी इसी बस से तय करती हैं और इस दौरान ऐसे कई मामलों से उनका सामना होता है.

नई दिल्ली/गुरुग्रामः देश में महिलाएं लगातार हैवानियत का शिकार हो रही हैं. आए दिन बढ़ रही दुष्कर्म की घटनाओं ने महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

महिला सुरक्षा पर ईटीवी भारत की पड़ताल

ईटीवी भारत के संवाददाता ने अलग-अलग जिलों का जायजा ले रहे हैं. पहली कड़ी में हमने आपको दिखाया कि गुरुग्राम में ई-रिक्शा में यात्रा करने वाली छात्राएं कितनी सुरक्षित हैं. उसके बाद दूसरी कड़ी में आपने देखा कि गुरुग्राम के बसई इलाकों में सुरक्षा इंतजामों के क्या हालात हैं. कॉलेज और सुनसान इलाकों का दौरा करने के बाद हमने जीएमडी बस में महिलाओं की सुरक्षा का जायजा लिया.

शहर के तमाम इलाकों का दौरा करने के बाद हमने यात्रा के दौरान महिलाओं की सुरक्षा का जायजा लिया. हमारे संवाददाता ने गुरुग्राम सिटी बस में सफर करते हुए पड़ताल की. जहां हमने देखा कि बस में सुरक्षा के कुछ इंतजाम जरूर किए गए हैं. हाल ही में शुरू हुई जीएमडीए कि बस सर्विस में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए थे. इसके अलावा बस में एमरजेंसी दरवाजे की भी सुविधा उपलब्ध करवाई गई है.

'बस सुरक्षित लेकिन गुरुग्राम असुरक्षित'
इस दौरान हमने बस में सफर करने वाली महिलाओं से भी बातचीत की. उनका कहना था कि अन्य बसों के मुकाबले ये बस काफी सुरक्षित है. इस बस में सफर करते हुए महिलाएं सुरक्षित महसूस करती हैं. उन्होंने बताया कि जीएमडीए द्वारा चलाई गई ये बसें हर जगह नहीं रूकती. ऐसे में शरारती तत्व बस में नहीं चढ़ पाते और यात्रा में कोई परेशानी नहीं होती. उन्होंने कहा कि बस तो सुरक्षित है लेकिन गुरुग्राम आज भी असुरक्षित है.

'बस में सुरक्षित महसूस करती हूं'
एक अन्य महिला ने बताया कि उन्होंने अभी-अभी इस से सफर करना शुरू किया है. उन्होंने बताया कि इस बस में वे खुद को सुरक्षित महसूस करतीं है. ये बस उन्हें सीधा उनके घर तक बिना किसी परेशानी के पहुंचाने में काफी मददगार साबित हो रही हैं. सुरक्षा उपकरणों को लेकर उन्होंने कहा कि बस में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं. इसके अलावा बस में गार्ड भी मौजूद रहता है. वहीं एमरजेंसी गेट भी इस बस में उपलब्ध है.

'नहीं सुरक्षित हैं महिलाएं'
वहीं एडीसी ऑफिस में काम करने वालीं एक महिला ने कहा कि चाहे बस हो या सड़क हो गुरुग्राम में महिलाएं आज भी सुरक्षित नहीं है. उन्होंने कहा कि भले ही सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध सरकार द्वारा किए गए हों लेकिन उसके बावजूद महिलाएं हैवानियत का शिकार हो ही जाती हैं. उन्होंने बताया कि वे हमेशा 100 से 200 किलोमीटर की दूरी इसी बस से तय करती हैं और इस दौरान ऐसे कई मामलों से उनका सामना होता है.

Intro: बाली गोल्ड स्र्पोटस एकडेमी के बॉक्सर हरियाणा स्टेट बॉक्सिग चेम्मिपयनशीप में छाए, झटके चार गोल्ड व आठ सिल्वर मैडल, राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिता की म्तैयारियों में जुटे, लक्ष्य हरियाणा का नाम देश स्तर पर छाए। Body:टोहाना के डांगरा रोड़ पर स्थित बाली गोल्ड स्पोर्टस एकडेमी के खिलाडिय़ों ने प्रदेश स्तर पर आयोजित बॉक्सिग चैमिपयनशीप में अपने मुक्के का दम दिखाते हुए पांच गोल्ड व आठ सिल्वर मैडल अपने नाम किए है जिसको लेकर एकडेमी में खुशी का माहौल है पर अभी इन खिलाडिय़ों का लक्ष्य हरियाणा, टोहाना का नाम देश में चमकाना है इसलिए बिना कोई समय गवाए वो लगातार अपने अभयास में जुटे हुए है। राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के लिए खुद को तैयार कर रहे है।

इसके बारे में जानकारी देते हुए एकडेमी कोचख् महेश कुमार ने बताया कि हरियाणा स्टेट बॉक्सिग चेमिपयनशीप आयोजन झज्जर के छुछकवास में हुआ था तीन दिवसीय इस प्रतियोगिता में बाम्ॅली गोल्ड स्र्पोटस एकडेमी के खिलाडिय़ो ने शानदार प्रर्दशन किया इसमें चार खिलाडिय़ों उदित, नीरज, कुशल व मुकल ने गोल्ड मैडल जीता वही हर्षदीप, सौरभ, सुनील, रौनक राज, राहुल, सचिन, रवि व कर्मजोत ने सिल्वर मैडल जीत का टोहाना का नाम रौशन किया है। अब सब खिलाडी राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता की तैयारी में जुटे है।

वही प्रतियोगिता में विजेता खिलाडियों ने बताया कि यह जीत उनके कोच के मार्गदर्शन का परिणाम है वो लगातार मेहनत कर रहे है ताकि राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित प्रतियोगिता में मैडल जीत सके। उनका लक्ष्य ओल्मपिक में मैडल जीतना है। Conclusion:बाईट - महेश कुमार कोच बाडी गोल्ड स्पोर्टस एकडेमी
बाईट - विजेता खिलाडी
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