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नूंह: सटकपुरी बूचड़खाने में अवैध वसूली को लेकर भिड़े दो गांव के लोग - nuh latest news

सटकपुरी बूचड़खाने को लेकर नूंह में दो गुटों में झगड़ा हो गया. इस झगड़े में कुछ लोगों कों छोटी-मोटी चोट आई है. पुलिस ने मौके पर पहंचकर झगड़े को शांत कराया. पढ़ें पूरी खबर...

two villages clashed over the satkapuri slaughter house in nuh
two villages clashed over the satkapuri slaughter house in nuh
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Published : Mar 15, 2020, 11:22 PM IST

नई दिल्ली/नूंह: सटकपुरी बूचड़खाने का विवादों से गहरा नाता है. दो गांव के लोगों में पशु व्यापारियों से अवैध वसूली के साथ-साथ कमीशन खोरी के नाम पर जंग छिड़ी हुई है. छोटा-मोटा झगड़ा तो यहां एक बार नहीं बल्कि दर्जनों बार हो चुका है और आए दिन होता रहता है. रविवार को सटकपुरी बूचड़खाने के बाहर अगर पुलिस समय पर नहीं पहुंचती तो काफी बड़ा खून खराबा हो सकता था.

अवैध वसूली को लेकर भिड़े दो गांव के लोग

बूचड़खाने को लेकर विवाद

यहां हुए पथराव में कुछ लोगों को छोटी-मोटी चोट आई है. इसके साथ ही कुछ दुकानों में भी तोड़फोड़ हुई है. एक गांव के लोगों ने दूसरे गांव के लोगों पर नकदी लूटने के आरोप भी लगाए. बूचड़खाने प्रबंध के लोग भी गांव के बीच छिड़ी इस जंग तमाशबीन की तरह देखते रहे. पुलिस में शिकायत करने के बजाय बूचड़खाने चलाने वाले लोग ग्रामीणों में गुटबाजी को हवा दे देने का काम कर रहे हैं. झगड़े के कुछ घंटे बाद दोनों गांव के दर्जनों लोग पिनगवां थाने पहुंचे.


इस दौरान लोगों को समझाते हुए एसएचओ रतनलाल ने दोनों ही गांव के लोगों से कहा कि अवैध वसूली किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी. पशु व्यापारियों से छीना झपटी के अलावा मारपीट सहन नहीं की जाएगी. बूचड़खाने के बाहर वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे ग्रामीणों ने अगर झगड़ा किया तो पुलिस सख्ती से निपटेकी. किसी को बख्शा नहीं जाएगा.

पशु बेचने वालों से अवैध वसूली

बता दें की सटकपुरी बूचड़खाने में सैकड़ों पशु रोजाना कटते हैं. हजारों पशु व्यापारी अपने पशुओं को बेचने के लिए यहां आते हैं. कई बार चोरी के पशु काटने का आरोप भी इस बूचड़खाने पर लग चुका है. पशु लाने वाले व्यापारियों से पड़ोसी गांव सटकपुरी बाजिदपुर, तेड, मोहम्मदपुर इत्यादि गांव के लोग जबरन अवैध वसूली करते हैं. कमीशन पर नगद रुपये देकर भी कुछ लोग मोटी कमाई कर रहे हैं.

पशुओं की पेमेंट बूचड़खाने से नगद हाथों-हाथ नहीं होती. पशु व्यापारियों को नगद पशु बेचने के लिए कमीशन खोरों से पेमेंट लेनी पड़ती है. नियमों को दरकिनार कर बूचड़खाना चल रहा है. जिसकी वजह से दो गांवों में अकसर जंग जैसे हालात बने रहते हैं. पुलिस के पास तो मामला कभी-कभार पहुंचा है, लेकिन पंचायतों का दौर बूचड़खाने की अवैध कमाई को लेकर चलता रहता है.

नई दिल्ली/नूंह: सटकपुरी बूचड़खाने का विवादों से गहरा नाता है. दो गांव के लोगों में पशु व्यापारियों से अवैध वसूली के साथ-साथ कमीशन खोरी के नाम पर जंग छिड़ी हुई है. छोटा-मोटा झगड़ा तो यहां एक बार नहीं बल्कि दर्जनों बार हो चुका है और आए दिन होता रहता है. रविवार को सटकपुरी बूचड़खाने के बाहर अगर पुलिस समय पर नहीं पहुंचती तो काफी बड़ा खून खराबा हो सकता था.

अवैध वसूली को लेकर भिड़े दो गांव के लोग

बूचड़खाने को लेकर विवाद

यहां हुए पथराव में कुछ लोगों को छोटी-मोटी चोट आई है. इसके साथ ही कुछ दुकानों में भी तोड़फोड़ हुई है. एक गांव के लोगों ने दूसरे गांव के लोगों पर नकदी लूटने के आरोप भी लगाए. बूचड़खाने प्रबंध के लोग भी गांव के बीच छिड़ी इस जंग तमाशबीन की तरह देखते रहे. पुलिस में शिकायत करने के बजाय बूचड़खाने चलाने वाले लोग ग्रामीणों में गुटबाजी को हवा दे देने का काम कर रहे हैं. झगड़े के कुछ घंटे बाद दोनों गांव के दर्जनों लोग पिनगवां थाने पहुंचे.


इस दौरान लोगों को समझाते हुए एसएचओ रतनलाल ने दोनों ही गांव के लोगों से कहा कि अवैध वसूली किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी. पशु व्यापारियों से छीना झपटी के अलावा मारपीट सहन नहीं की जाएगी. बूचड़खाने के बाहर वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे ग्रामीणों ने अगर झगड़ा किया तो पुलिस सख्ती से निपटेकी. किसी को बख्शा नहीं जाएगा.

पशु बेचने वालों से अवैध वसूली

बता दें की सटकपुरी बूचड़खाने में सैकड़ों पशु रोजाना कटते हैं. हजारों पशु व्यापारी अपने पशुओं को बेचने के लिए यहां आते हैं. कई बार चोरी के पशु काटने का आरोप भी इस बूचड़खाने पर लग चुका है. पशु लाने वाले व्यापारियों से पड़ोसी गांव सटकपुरी बाजिदपुर, तेड, मोहम्मदपुर इत्यादि गांव के लोग जबरन अवैध वसूली करते हैं. कमीशन पर नगद रुपये देकर भी कुछ लोग मोटी कमाई कर रहे हैं.

पशुओं की पेमेंट बूचड़खाने से नगद हाथों-हाथ नहीं होती. पशु व्यापारियों को नगद पशु बेचने के लिए कमीशन खोरों से पेमेंट लेनी पड़ती है. नियमों को दरकिनार कर बूचड़खाना चल रहा है. जिसकी वजह से दो गांवों में अकसर जंग जैसे हालात बने रहते हैं. पुलिस के पास तो मामला कभी-कभार पहुंचा है, लेकिन पंचायतों का दौर बूचड़खाने की अवैध कमाई को लेकर चलता रहता है.

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