नई दिल्ली/नूंह: प्रदेशभर में 15 अप्रैल से सरसों की खरीद शुरू हो गई है. प्रदेश सरकार ने सरसों की फसल खरीद को लेकर जो वायदा किसानों से किया था. उस वायदे पर सरकार ने खरी उतरने का काम किया है. सरसों की फसल को बुधवार से खरीदना शुरू कर दिया है. सरसों की खरीद देखकर किसानों ने राहत की सांस ली. जानकारी के मुताबिक सरसों की फसल 4425 प्रति क्विंटल की दर से खरीदी जा रही है.
नूंह जिले में सरसों की खरीद अन्य जिलों से ज्यादा महत्वपूर्ण माना जा रहा है. क्योंकि प्रदेश में महेंद्रगढ़ के बाद सबसे ज्यादा सरसों की फसल उत्पादन नूंह में किया जाता है. जिले की सरसों की गुणवत्ता और तेल की मात्रा का भी कोई जवाब नहीं है.
मंडियों में सरसों में नमी की मात्रा को मशीन के द्वारा चेक किया जा रहा है. बुधवार को पहले दिन मार्केट कमेटी के अधिकारियों ने 50 किसानों को फोन कर सरसों की फसल बेचने के लिए बुलाया का काम किया. बताया जा रहा है कि ये वो किसान हैं जिन्होंने मेरी फसल मेरा ब्योरा में अपना ऑनलाइन पंजीकरण कराया हुआ था.
मार्केट कमेटी के अधिकारियों के मुताबिक 1 दिन में सुबह और शाम में 25-25 किसानों की सरसों फसल की खरीद की जा जाएगी. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का भी ख्याल रखा जाएगा. अनाज मंडी में टेंट लगाकर उस के नीचे कंप्यूटर इत्यादि रखे दिखाई दिए. तो बाहर सोशल डिस्टेंसिग के लिए गोल दायरा लगाया गया. बता दें कि मार्केट कमेटी अधिकारी भले ही नियमों के हिसाब से फसल खरीद की बात कह रहे हैं. लेकिन किसान को कोरोना काल में सरसों की फसल बेचना किसी झंझट से कम नहीं नजर आ रहा है.
किसानों ने बताया कि उनकी फसल समय पर नहीं खरीदी जा रही है. साथ ही फसल में नमी भी बताई जा रही है. अनाज मंडी में सरसों की फसल भेजते समय सोशल डिस्टेंसिग का पूरा पालन किया जा रहा है. साथ ही अप्रिय घटना को रोकने के लिए पुलिस की तैनाती की गई है. अनाज मंडी में सरसों की फसल बेचने के लिए आए किसानों को लाइन में लग कर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है.
बताया जा रहा है कि जिले में जो गांव कंटेनमेंट और बफर जोन में शामिल किए गए हैं. उन गांव के किसानों को अभी सरसों की फसल बेचने के लिए अनाज मंडी में फोन कर नहीं बुलाया जाएगा. अगले आदेशों के बाद ही उन किसानों को फसल बेचने के लिए मंडी में बुलाया जाएगा. ऐसे गांवों के किसानों को उच्चाधिकारियों के नए आदेश का इंतजार करना पड़ेगा.