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गुरुग्राम: 425 करोड़ के बैंक घोटाले को अंजाम देने वाला आरोपी शिवराज गिरफ्तार

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Published : Nov 15, 2020, 10:48 PM IST

शिवराज पुरी सिटी बैंक में नौकरी करता था. यहीं बैंक घोटाले को अंजाम दे डाला. फिलहाल पुलिस ने शिवराज को दोबारा गिरफ्तार कर लिया है.

Shivraj arrested for executing scam of 425 crore in Citibank
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नई दिल्ली/गुरुग्राम: रविवार को जिला पुलिस ने सिटी बैंक घोटाले के मास्टरमाइंड शिवराज को गिरफ्तार किया. आरोपी ने साल 2010 में 425 करोड़ के घोटाले को अंजाम दिया था. एसीपी क्राइम की माने तो शिवराज पुरी साल 2018 में जमानत पर आने के बाद से फरार चल रहा था.

गुरुग्राम पुलिस ने इस शातिर अपराधी पर 50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था. पुलिस के मुताबिक शिवराज की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने एसआईटी का गठन किया. जिसके बाद शिवराज को देहरादून उत्तराखंड से गिरफ्तार किया गया.

पुलिस की माने तो इसे गुरुग्राम की निचली अदालत के द्वारा 2 साल 6 महीने की सज़ा सुनाई गई थी. 2018 में इसे जमानत भी दे दी गयी थी. तब से ये शातिर नाम बदल-बदल कर ना केवल ठिकाने बदल रहा था, बल्कि गोल्फ के शौकीन लोगों को गोल्फ सिखाने का काम भी करने लगा था.

इस दौरान भी इस शातिर की नीयत में बदलाव नहीं आया. पुलिस की माने तो फरार होने के इन दो सालों में शिवराज पुरी ने आधा दर्जन से ज्यादा लोगों को ठगा और लाखों रुपये उनसे वसूल कर फरार हो गया.

दरअसल शिवराज पुरी सिटी बैंक में नौकरी करता था. यहीं उसने भारत के सबसे बड़े बैंक घोटाले को अंजाम दे डाला. पुलिस की माने तो 2010 में डीएलएफ फेज़ 2 थाने में सिटी बैंक घोटाले की एफआईआर दर्ज कर इस बड़े घोटाले को अंजाम देने वाले शिवराजपुरी और इसमे संलिप्त अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर मामले का खुलासा कर दिया गया था.

नई दिल्ली/गुरुग्राम: रविवार को जिला पुलिस ने सिटी बैंक घोटाले के मास्टरमाइंड शिवराज को गिरफ्तार किया. आरोपी ने साल 2010 में 425 करोड़ के घोटाले को अंजाम दिया था. एसीपी क्राइम की माने तो शिवराज पुरी साल 2018 में जमानत पर आने के बाद से फरार चल रहा था.

गुरुग्राम पुलिस ने इस शातिर अपराधी पर 50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था. पुलिस के मुताबिक शिवराज की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने एसआईटी का गठन किया. जिसके बाद शिवराज को देहरादून उत्तराखंड से गिरफ्तार किया गया.

पुलिस की माने तो इसे गुरुग्राम की निचली अदालत के द्वारा 2 साल 6 महीने की सज़ा सुनाई गई थी. 2018 में इसे जमानत भी दे दी गयी थी. तब से ये शातिर नाम बदल-बदल कर ना केवल ठिकाने बदल रहा था, बल्कि गोल्फ के शौकीन लोगों को गोल्फ सिखाने का काम भी करने लगा था.

इस दौरान भी इस शातिर की नीयत में बदलाव नहीं आया. पुलिस की माने तो फरार होने के इन दो सालों में शिवराज पुरी ने आधा दर्जन से ज्यादा लोगों को ठगा और लाखों रुपये उनसे वसूल कर फरार हो गया.

दरअसल शिवराज पुरी सिटी बैंक में नौकरी करता था. यहीं उसने भारत के सबसे बड़े बैंक घोटाले को अंजाम दे डाला. पुलिस की माने तो 2010 में डीएलएफ फेज़ 2 थाने में सिटी बैंक घोटाले की एफआईआर दर्ज कर इस बड़े घोटाले को अंजाम देने वाले शिवराजपुरी और इसमे संलिप्त अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर मामले का खुलासा कर दिया गया था.

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