नूंह: हरियाणा के नूंह शहर में पिछले करीब 11 साल से रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. लॉकडाउन के चलते रोहिंग्या रोजमर्रा की मजदूरी पर नहीं जा पा रहे हैं. जिससे उनके भूखे मरने की नौबत आ गई है. घर में जो कुछ राशन बचा हुआ था वो भी खत्म हो गया है. अभी 14 अप्रैल तक लॉकडाउन के आदेश दिए गए हैं वो कैसे अपना गुजारा करेंगे.
इसके अलावा अगर किसी के पास कुछ थोड़ा बहुत पैसा बचा हुआ है, तो उन्हें झुग्गियों से बाहर आकर शहर से जरूरी सामान खरीदने में पुलिस का खौफ सता रहा है. रोहिंग्या के छोटे-छोटे बच्चे इस सबसे बेखबर झुग्गियों से बाहर खेल रहे हैं, लेकिन बड़े लोग झुग्गियों में एक तरफ से कैद होकर रह गए हैं.
जब पत्रकारों ने रोहिंग्या मुस्लिमों से बात की तो उन्होंने कहा कि उनके सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है. 11 साल पहले वर्मा से हिंदुस्तान में आकर शरण ली थी. नूंह शहर में तकरीबन 430 रोहिंग्या परिवार रह रहे हैं. जो मजदूरी कर अपना गुजारा करते हैं. लेकिन अब लॉकडाउन के चलते उन्हें बहुत ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. सरकार और प्रशासन से अभी तक कोई मदद इन रोहिंग्या के लिए नहीं पहुंची है. पीने के पानी के टैंकर जरूर यहां जिला प्रशासन इन परिवारों को मुहैया करा रहा है.
बता दें कि पूरे देश में कोरोना वायरस का संकट मंडराता जा रहा है. लगातार लोग इसका शिकार होते जा रहे हैं. पूरे देश में अबतक करीब 936 लोग कोरोना से पीड़ित हो चुके हैं. वहीं देशभर में 23 लोगों की जान भी जा चुकी है. केंद्र सरकार ने 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा की है. हरियाणा में कुल संदिग्धों की संख्या बढ़कर 18 हो गई है. हरियाणा सरकार ने कोरोना के खतरे को देखते हुए पूरे प्रदेश को लॉकडाउन कर दिया है.