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कृषि कानूनों का विरोध: आज पलवल के किसान करेंगे बदरपुर बॉर्डर सील

आज पलवल जिले के किसान दिल्ली की ओर कूच करेंगे. इसके साथ ही किसान बदरपुर बॉर्डर को सील करेंगे. किसानों का कहना है कि वो तब तक बॉर्डर पर डटे रहेंगे, जब तक कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाता.

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कृषि कानूनों का विरोध
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Published : Dec 3, 2020, 9:41 AM IST

नई दिल्ली/पलवल: किसान आंदोलन को लेकर देश के दूसरे प्रदेशों से और हरियाणा के अन्य जिलों से किसान दिल्ली के लिए निकल पड़े हैं. वहीं पलवल जिले के किसानों ने भी आंदोलन में शामिल होने का फैसला कर लिया है. बुधवार को किसानों ने देवीलाल पार्क में एकत्रित होकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और देवीलाल पार्क से लघु सचिवालय तक पैदल चलकर जिला उपायुक्त को देश के प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा.

किसानों ने एकत्रित होकर ये निर्णय लिया कि गुरुवार को पलवल की जाट धर्मशाला में एकत्रित होकर पैदल ही दिल्ली के लिए कूच करेंगे और बदरपुर बॉर्डर को जाम करेंगे. इस मौके पर पलवल के अधिवक्ताओं ने किसानों को अपना समर्थन दिया.

किसान नेता रतन सिंह सौरोत ने कहा कि जब तक किसानों की मांगों को सरकार नहीं मानेगी तब तक वो दिल्ली बॉर्डर पर ही डटे रहेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार के नेता और विधायक भी अपने पदों से इस्तीफा दे रहे हैं. अब धीरे-धीरे सरकार की दीवार से ईंटें गिरने लगी हैं और सरकार अब ज्यादा दिनों की नहीं है.

किसान नेता अरुण जैलदार ने कहा कि सरकार को किसानों के बारे में सोचना चाहिए और किसान की फसल का मूल्य तय करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार को फसल का मूल्य तय करने में कौन सी परेशानी हो रही है. उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों की फसल का मूल्य तय नहीं किया तो सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.

नई दिल्ली/पलवल: किसान आंदोलन को लेकर देश के दूसरे प्रदेशों से और हरियाणा के अन्य जिलों से किसान दिल्ली के लिए निकल पड़े हैं. वहीं पलवल जिले के किसानों ने भी आंदोलन में शामिल होने का फैसला कर लिया है. बुधवार को किसानों ने देवीलाल पार्क में एकत्रित होकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और देवीलाल पार्क से लघु सचिवालय तक पैदल चलकर जिला उपायुक्त को देश के प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा.

किसानों ने एकत्रित होकर ये निर्णय लिया कि गुरुवार को पलवल की जाट धर्मशाला में एकत्रित होकर पैदल ही दिल्ली के लिए कूच करेंगे और बदरपुर बॉर्डर को जाम करेंगे. इस मौके पर पलवल के अधिवक्ताओं ने किसानों को अपना समर्थन दिया.

किसान नेता रतन सिंह सौरोत ने कहा कि जब तक किसानों की मांगों को सरकार नहीं मानेगी तब तक वो दिल्ली बॉर्डर पर ही डटे रहेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार के नेता और विधायक भी अपने पदों से इस्तीफा दे रहे हैं. अब धीरे-धीरे सरकार की दीवार से ईंटें गिरने लगी हैं और सरकार अब ज्यादा दिनों की नहीं है.

किसान नेता अरुण जैलदार ने कहा कि सरकार को किसानों के बारे में सोचना चाहिए और किसान की फसल का मूल्य तय करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार को फसल का मूल्य तय करने में कौन सी परेशानी हो रही है. उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों की फसल का मूल्य तय नहीं किया तो सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.

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