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स्वास्थ्य विभाग की अपील, स्वस्थ हुए कोरोना मरीज करें प्लाज्मा डोनेट - nuh health department appeal donate plasma

नूंह में कोरोना से होने वाली मौतों के बढ़ रहे आंकड़ों पर ब्रेक लगाने के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग प्लाज्मा थेरेपी से इलाज करने की योजना बना रहा है. इसके लिए कोरोना से ठीक हुए मरीजों से प्लाज्मा डोनेट करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है.

nuh health department will treat corona patients by plasma therapy
प्लाज्मा डोनेट की अपील
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Published : Jul 22, 2020, 10:27 PM IST

नई दिल्ली/नूंह: जिले में बढ़ते कोरोना के मामलों को देखते हुए जिला स्वास्थ्य विभाग अब कोरोना से ठीक हुए मरीजों का प्लाज्मा लेने की तैयारी कर रहा है. जिससे कोरोना मरीज जल्द ठीक होकर घर लौट सकते हैं. नूंह स्वास्थ्य विभाग ऐसे लोगों को प्लाज्मा डोनेट करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है.

प्लाज्मा डोनेट की अपील

125 युवाओं को चयनित किया गया

जिला नोडल अधिकारी एवं डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. अरविंद कुमार ने बताया कि जिले में अब तक तकरीबन 350 लोग कोरोना बीमारी से ठीक होकर अपने घर लौट चुके हैं. जिनमें 50 साल से अधिक के पुरुष और महिला भी शामिल है, लेकिन इस पूरी सूची में से 18- 45 आयु वर्ग के तकरीबन 125 युवाओं को चयनित किया है. जिनके पास स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अगले एक दो दिन में फोन करने वाले हैं.

डॉ. कुमार ने बताया कि इन सभी लोगों को प्लाज्मा थेरेपी के लिए मोटिवेट किया जाएगा. एक व्यक्ति से सिर्फ 200एमएल प्लाज्मा लिया जाएगा. जरूरत पड़ने पर इस प्लाज्मा से ज्यादा गंभीर मरीजों का इलाज किया जा सकेगा, ताकि उनका जीवन बचाया जा सके.

डॉ. अरविंद ने बताया कि जिले व जिले से बाहर जहां भी किसी गंभीर मरीज को प्लाज्मा की जरूरत पड़ेगी. वहां पर इन लोगों से प्लाज्मा डोनेट कराया जाएगा. कोरोना के चलते लगातार बढ़ रहे मौत के आंकड़ों को कम करने के लिए स्वास्थ्य विभाग दिन रात मेहनत कर रहा है. उम्मीद है कि कोरोना से ठीक हुए मरीज प्लाज्मा डोनेट करने के लिए आगे आएंगे.

क्या है प्लाजमा थेरेपी?

प्लाज्मा थेरेपी में एंडीबॉडी का इस्तेमाल किया जाता है. जब किसी व्यक्ति के शरीर में कोई हानिकार वायरस या बैक्टीरिया दाखिल हो जाता है. तो उसके खिलाफ हमारे शरीर में पहले से मौजूद एंटीबॉडी लड़ता है. अगर मौजूद शरीर में मौजूद एंटीबॉडी वायरस से हार जाता है. तो शरीर बिमार हो जाता है. जब मरीज का इलाज किया जाता है, तो मरीज के शरीर में इस वायरस को खत्म करने वाली एंटीबॉडी बनता है. जो इन वायरस को हराकर मरीज को स्वस्थ कर देती है.

चूंकी कोरोना वायरस का अभी तक कोई इलाज नहीं है. इसलिए जो मरीज कोरोना से ठीक हो गए हैं. उनके शरीर में इस वायरस से लड़ने वाला एंटीबॉडी बना होता है. वहीं एंटीबॉजी स्वस्थ्य हुए कोरोना मरीजों से निकाल कर कोरोना ग्रस्त मरीजों के शरीर में डाल दिया जाता है. जैसे ही वह एंटीबॉडी कोरोना मरीज के शरीर में जाता है. मरीज के शरीर में कोरोना से लड़ने वाले एंटीबॉडी बनने लगता है और वायरस कमजोर हो जाता है. जिससे कोरोना मरीज ठीक हो जाता है.

नई दिल्ली/नूंह: जिले में बढ़ते कोरोना के मामलों को देखते हुए जिला स्वास्थ्य विभाग अब कोरोना से ठीक हुए मरीजों का प्लाज्मा लेने की तैयारी कर रहा है. जिससे कोरोना मरीज जल्द ठीक होकर घर लौट सकते हैं. नूंह स्वास्थ्य विभाग ऐसे लोगों को प्लाज्मा डोनेट करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है.

प्लाज्मा डोनेट की अपील

125 युवाओं को चयनित किया गया

जिला नोडल अधिकारी एवं डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. अरविंद कुमार ने बताया कि जिले में अब तक तकरीबन 350 लोग कोरोना बीमारी से ठीक होकर अपने घर लौट चुके हैं. जिनमें 50 साल से अधिक के पुरुष और महिला भी शामिल है, लेकिन इस पूरी सूची में से 18- 45 आयु वर्ग के तकरीबन 125 युवाओं को चयनित किया है. जिनके पास स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अगले एक दो दिन में फोन करने वाले हैं.

डॉ. कुमार ने बताया कि इन सभी लोगों को प्लाज्मा थेरेपी के लिए मोटिवेट किया जाएगा. एक व्यक्ति से सिर्फ 200एमएल प्लाज्मा लिया जाएगा. जरूरत पड़ने पर इस प्लाज्मा से ज्यादा गंभीर मरीजों का इलाज किया जा सकेगा, ताकि उनका जीवन बचाया जा सके.

डॉ. अरविंद ने बताया कि जिले व जिले से बाहर जहां भी किसी गंभीर मरीज को प्लाज्मा की जरूरत पड़ेगी. वहां पर इन लोगों से प्लाज्मा डोनेट कराया जाएगा. कोरोना के चलते लगातार बढ़ रहे मौत के आंकड़ों को कम करने के लिए स्वास्थ्य विभाग दिन रात मेहनत कर रहा है. उम्मीद है कि कोरोना से ठीक हुए मरीज प्लाज्मा डोनेट करने के लिए आगे आएंगे.

क्या है प्लाजमा थेरेपी?

प्लाज्मा थेरेपी में एंडीबॉडी का इस्तेमाल किया जाता है. जब किसी व्यक्ति के शरीर में कोई हानिकार वायरस या बैक्टीरिया दाखिल हो जाता है. तो उसके खिलाफ हमारे शरीर में पहले से मौजूद एंटीबॉडी लड़ता है. अगर मौजूद शरीर में मौजूद एंटीबॉडी वायरस से हार जाता है. तो शरीर बिमार हो जाता है. जब मरीज का इलाज किया जाता है, तो मरीज के शरीर में इस वायरस को खत्म करने वाली एंटीबॉडी बनता है. जो इन वायरस को हराकर मरीज को स्वस्थ कर देती है.

चूंकी कोरोना वायरस का अभी तक कोई इलाज नहीं है. इसलिए जो मरीज कोरोना से ठीक हो गए हैं. उनके शरीर में इस वायरस से लड़ने वाला एंटीबॉडी बना होता है. वहीं एंटीबॉजी स्वस्थ्य हुए कोरोना मरीजों से निकाल कर कोरोना ग्रस्त मरीजों के शरीर में डाल दिया जाता है. जैसे ही वह एंटीबॉडी कोरोना मरीज के शरीर में जाता है. मरीज के शरीर में कोरोना से लड़ने वाले एंटीबॉडी बनने लगता है और वायरस कमजोर हो जाता है. जिससे कोरोना मरीज ठीक हो जाता है.

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