नई दिल्ली/नूंह: राजकीय शहीद हसन खान मेवाती मेडिकल कॉलेज नल्हड़ में कोरोना वायरस से संदिग्ध दंपत्ति की झूठी अफवाह फैलाने वाले मेडिकल कॉलेज प्रबंधक पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. गलत अफवाह तथा स्वास्थ्य विभाग में मेडिकल कॉलेज प्रबंधक में आपसी तालमेल की कमी के कारण प्रशासन के न केवल समय-धन का नुकसान हुआ बल्कि संदिग्ध दंपति के अलावा जिले के लाखों लोग इस खबर के बाद से काफी परेशान हो गए.
अस्पताल से भागे थे दंपत्ति
आपको बता दें कि गुरुवार को नूंह खंड के भिरावटी गांव का दंपत्ति खांसी-जुखाम होने पर मेडिकल कॉलेज नल्हड़ में इलाज के लिए आया था, लेकिन वहां पर उन्हें कोरोना का संदिग्ध मरीज मानते हुए वार्ड में भर्ती करने की बात हुई. हालात भांपते हुए दंपत्ति वहां से फरार हो गया. जिसके बाद मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने डीसी नूंह पंकज एवं सिविल सर्जन कार्यालय को संदिग्ध मरीजों को बारे में पत्र लिखा.
पत्र सोशल मीडिया में लीक हुआ तो स्वास्थ्य विभाग से लेकर जिला प्रशासन के अधिकारियों की सांसें फूल गई. आखिरकार देर रात स्वास्थ्य विभाग की टीम भिरावटी गांव पहुंची और दोनों संदिग्धों से मुलाकात करने तथा जांच करने पर पूरी तरह स्वस्थ होने की बात कही गई. कुल मिलाकर कोरोना वायरस से वैसे ही लोग काफी परेशान हैं लेकिन इस तरह की झूठी अफवाहें फैलती रहीं तो लोगं को ज्यादा परेशानी होगी. कुल मिलाकर जिन दो लोगों को संदिग्ध माना जा रहा था, उनमें किसी प्रकार का कोई संक्रमण नहीं मिला है.
जानकारी के मुताबिक जैसे ही कोरोना के संदिग्ध नूंह जिले में मिलने की खबर आई तो भिरावटी गांव के इस दंपति के घर के बाहर सैकड़ों लोग जमा हो गए. एक तरह से दंपति को घर में कैद होने पर मजबूर होना पड़ा. जब स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उनकी जांच की और उन्हें पूरी तरह स्वस्थ पाया. तभी कहीं जाकर उनके घर के बाहर जमा भीड़ अपने घरों को वापस लौटी.