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पर्यावरण नियमों का उल्लंघन पड़ा भारी, NGT ने बिल्डर्स पर लगाया 10 करोड़ का जुर्माना

एनजीटी ने पर्यावरण के नियमों का उल्लंघन करने पर गुड़गांव के 3 बिल्डरों पर 10 करोड़ का जुर्माना लगाया है. एनजीटी ने जुर्माने की ये रकम केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को एक महीने के अंदर जमा करने का निर्देश दिया है.

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Published : Mar 29, 2019, 4:00 AM IST

पर्यावरण नियमों का उल्लंघन पड़ा भारी, NGT ने बिल्डर्स पर लगाया 10 करोड़ का जुर्माना

नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने पर्यावरण कानून का उल्लंघन करने पर गुड़गांव के तीन बिल्डरों पर 10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने इन बिल्डर्स पर फैसला दिया.

बिल्डर्स ने गुड़गांव के सुशांत लोक-2 और सुशांत लोक-3 में वाटर एक्ट के तहत कंसेंट नहीं लिया था.

एनजीटी ने जिन बिल्डरों पर ये जुर्माना लगाया है उनमें अंसल बिल्डवेल लिमिटेड, उसकी सहयोगी बिल्डर कंपनी आधारशिला टावर्स प्राइवेट लिमिटेड और रिगॉस इस्टेट नेटवर्क्स प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं.

एनजीटी ने जुर्माने की ये रकम केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को एक महीने के अंदर जमा करने का निर्देश दिया है. एनजीटी ने कहा कि इन बिल्डरों को अभी तक कंप्लीशन सर्टिफिकेट भी नही मिला था क्योंकि इन्होंने नियमानुसार ग्रीन बेल्ट नहीं बनाया था.

पर्यावरण नियमों का उल्लंघन पड़ा भारी, NGT ने बिल्डर्स पर लगाया 10 करोड़ का जुर्माना

इन बिल्डरों ने न तो वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाया था और न ही सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का कोई प्रभावी सिस्टम था.

एनजीटी ने कहा कि इन बिल्डरों ने अपने प्रोजेक्ट के लिए एनवायरमेंट क्लियरेंस भी नहीं लिया था. एनजीटी ने हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को फटकार लगाते हुए कहा कि वे आश्चर्यचकित हैं कि करीब पांच महीने पहले किसी भी पर्यावरण नियमों का पालन नहीं होने की रिपोर्ट आने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई.

अब हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कानूनों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करे. एनजीटी ने हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को तीन महीने के अंदर पालना रिपोर्ट दाखिल करने की निर्देश दिया.

याचिका राजेंद्र कुमार गोयल और बाला यादव ने दायर की थी. ये गुड़गांव के सुशांत लोक-2 और 3 के निवासी हैं. याचिका में कहा गया है कि इन बिल्डरों ने ग्रीन बेल्ट, पार्क, रोड और दूसरी ओपन एरिया का स्थानीय प्रशासन से मिलकर अतिक्रमण किया.

याचिका में कहा गया है कि इन बिल्डरों ने बिना एनवायरमेंट क्लियरेंस प्राप्त किए ही दो सौ एकड़ में आवासीय टाउनशिप बना डाला. इसमें से 30 फीसदी हिस्सा बेचा जा चुका है. जिसकी कीमत एक हजार करोड़ रुपये के करीब है. वहां पर कचरा निपटान की कोई व्यवस्था नहीं है.

नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने पर्यावरण कानून का उल्लंघन करने पर गुड़गांव के तीन बिल्डरों पर 10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने इन बिल्डर्स पर फैसला दिया.

बिल्डर्स ने गुड़गांव के सुशांत लोक-2 और सुशांत लोक-3 में वाटर एक्ट के तहत कंसेंट नहीं लिया था.

एनजीटी ने जिन बिल्डरों पर ये जुर्माना लगाया है उनमें अंसल बिल्डवेल लिमिटेड, उसकी सहयोगी बिल्डर कंपनी आधारशिला टावर्स प्राइवेट लिमिटेड और रिगॉस इस्टेट नेटवर्क्स प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं.

एनजीटी ने जुर्माने की ये रकम केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को एक महीने के अंदर जमा करने का निर्देश दिया है. एनजीटी ने कहा कि इन बिल्डरों को अभी तक कंप्लीशन सर्टिफिकेट भी नही मिला था क्योंकि इन्होंने नियमानुसार ग्रीन बेल्ट नहीं बनाया था.

पर्यावरण नियमों का उल्लंघन पड़ा भारी, NGT ने बिल्डर्स पर लगाया 10 करोड़ का जुर्माना

इन बिल्डरों ने न तो वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाया था और न ही सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का कोई प्रभावी सिस्टम था.

एनजीटी ने कहा कि इन बिल्डरों ने अपने प्रोजेक्ट के लिए एनवायरमेंट क्लियरेंस भी नहीं लिया था. एनजीटी ने हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को फटकार लगाते हुए कहा कि वे आश्चर्यचकित हैं कि करीब पांच महीने पहले किसी भी पर्यावरण नियमों का पालन नहीं होने की रिपोर्ट आने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई.

अब हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कानूनों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करे. एनजीटी ने हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को तीन महीने के अंदर पालना रिपोर्ट दाखिल करने की निर्देश दिया.

याचिका राजेंद्र कुमार गोयल और बाला यादव ने दायर की थी. ये गुड़गांव के सुशांत लोक-2 और 3 के निवासी हैं. याचिका में कहा गया है कि इन बिल्डरों ने ग्रीन बेल्ट, पार्क, रोड और दूसरी ओपन एरिया का स्थानीय प्रशासन से मिलकर अतिक्रमण किया.

याचिका में कहा गया है कि इन बिल्डरों ने बिना एनवायरमेंट क्लियरेंस प्राप्त किए ही दो सौ एकड़ में आवासीय टाउनशिप बना डाला. इसमें से 30 फीसदी हिस्सा बेचा जा चुका है. जिसकी कीमत एक हजार करोड़ रुपये के करीब है. वहां पर कचरा निपटान की कोई व्यवस्था नहीं है.

Intro:नई दिल्ली । नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने पर्यावरण कानून का उल्लंघन करने पर गुड़गांव के तीन बिल्डरों पर 10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने इन बिल्डर्स ने गुड़गांव के सुशांत लोक-2 और सुशांत लोक-3 में वाटर एक्ट के तहत कंसेंट नहीं लिया था।


Body:एनजीटी ने जिन बिल्डरों पर ये जुर्माना लगाया है उनमें अंसल बिल्डवेल लिमिटेड, उसकी सहयोगी बिल्डर कंपनी आधारशिला टावर्स प्राइवेट लिमिटेड और रिगॉस इस्टेट नेटवर्क्स प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं। एनजीटी ने जुर्माने की ये रकम केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को एक महीने के अंदर जमा करने का निर्देश दिया है। एनजीटी ने कहा कि इन बिल्डरों को अभी तक कंप्लीशन सर्टिफिकेट भी नही मिला था क्योंकि इन्होंने नियमानुसार ग्रीन बेल्ट नहीं बनाया था। इन बिल्डरों ने न तो वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाया था और न ही सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का कोई प्रभावी सिस्टम था।

एनजीटी ने कहा कि इन बिल्डरों ने अपने प्रोजेक्ट के लिए एनवायरमेंट क्लियरेंस भी नहीं लिया था। एनजीटी ने हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को फटकार लगाते हुए कहा कि वे आश्चर्यचकित हैं कि करीब पांच महीने पहले किसी भी पर्यावरण नियमों का पालन नहीं होने की रिपोर्ट आने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कानूनों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करे। एनजीटी ने हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को केंद्रीय भूजल प्राधिकरण , टाउन एंड कंट्री प्लानिंग और पर्यावरण विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय के साथ मिलकर समन्वय करे। एनजीटी ने हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को तीन महीने के अंदर पालना रिपोर्ट दाखिल करने की निर्देश दिया।


Conclusion:याचिका राजेंद्र कुमार गोयल और बाला यादव ने दायर की थी। ये गुड़गांव के सुशांत लोक-2 और 3 के निवासी हैं। याचिका में कहा गया है कि इन बिल्डरों ने ग्रीन बेल्ट, पार्क, रोड औऱ दूसरी ओपन एरिया का स्थानीय प्रशासन से मिलकर अतिक्रमण किया । याचिका में कहा गया है कि इन बिल्डरों ने बिना एनवायरमेंट क्लियरेंस प्राप्त किए ही दो सौ एकड़ में आवासीय टाउनशिप बना डाला। इसमें से 30 फीसदी हिस्सा बेचा जा चुका है जिसकी कीमत एक हजार करोड़ रुपये के करीब है। वहां पर कचरा निपटान की कोई व्यवस्था नहीं है।
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