नई दिल्ली/नूंह: लॉकडाउन के कारण रेहड़ी-पटरी लगाने वाले लोगों को सबसे ज्यादा दिक्कत का सामना करना पड़ा. इनकी आजीविका पर सबसे ज्यादा मार पड़ी. सरकार ने ऐसे लोगों के लिए पीएम स्वनिधि योजना शुरू की थी. इसका मकसद रेहड़ी-पटरी और छोटी दुकान चलाने वालों को सस्ता कर्ज देना है.
इस योजना के तहत रेहड़ी-पटरी वाले दुकानदारों को छोटी राशि का कर्ज उपलब्ध कराया जाता है. इस पर ब्याज की दर भी कम है. वहीं नूंह जिले में ये योजना कितनी कारगर सिद्ध हुई, और कितने लोगों को इस योजना का फायदा मिला. ईटीवी भारत की टीम ने इस बात की पड़ताल की.
पीएम स्वनिधि योजना के तहत भारत सरकार ने रेहड़ी-पटरी वाले दुकानदारों को 10,000 रुपये का लोन बिना किसी गारंटी के दिया. लीड बैंक मैनेजर आलोक कुमार ने बताया कि नूंह जिले में इस साल इस योजना का लाभ 369 लोगों ने उठाया. जिन लोगों का रोजगार बंद हो चुका था उनको इस योजना ने काफी राहत देने का काम किया है. हालांकि निजी बैंक एचडीएफसी, आईसीआईसीआई, यस बैंक का काम इतना सराहनीय नहीं रहा, लेकिन इस योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने में सरकारी बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही.
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इस योजना का लाभ उठाने वाले लाभार्थी कमरुद्दीन ने बताया कि जब लॉकडाउन में उनका रोजगार छिन गया था तो उन्होंने इस राशि से अपने कारोबार को बढ़ाया और अपने बच्चों का पेट पालने का काम किया. वहीं कुछ लाभार्थियों का कहना है कि इतना जरूर है कि बैंकों को जितनी तत्परता से लाभार्थियों को लोन देना चाहिए उसमें तेजी देखने को नहीं मिल रही है.
सरकार का मानना है कि इस स्कीम से 50 लाख स्ट्रीट वेंडरों को फायदा पहुंचने की उम्मीद है. बहरहाल एक बात जरुर है कि ये स्कीम ऐसे दुकानदारों की बड़ी मदद कर रही है. आमतौर पर ये लोग सूदखोरों के चंगुल में फंस जाते हैं. सूदखोर छोटी सी रकम के बदले उनसे जमकर ब्याज वसूलते हैं. ये स्कीम जहां छोटे दुकानदारों को सूदखोरों के जाल से बचा रही है. वहीं उन्हें अपना रोजगार फिर से खड़ा करने में मदद कर रही है.
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