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'नहीं दिया ध्यान तो बूंद-बूंद को तरस जाएंगे', इसलिए इस बरसात में करें जल संरक्षण

सीडब्ल्यूएमआई रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक देश में पानी की मांग अभी हो रही आपूर्ति के मुकाबले दोगुनी हो जाएगी. इससे लाखों लोग पानी की समस्या से जूझेंगे. घटते भूजल स्तर को लेकर ईटीवी भारत ने हरियाणा के सिंचाई विभाग के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर डॉ. शिव सिंह रावत से खास बातचीत की.

haryana irrigation department engineer reaction on water level decreasing in delhi ncr
नहीं दिया ध्यान तो बूंद-बूंद को तरस जाएंगे, इसलिए इस बरसात करें जल संरक्षण
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Published : Jun 18, 2020, 10:54 PM IST

नई दिल्ली/गुरुग्राम: देश का आधे से ज्यादा हिस्सा पानी की गंभीर समस्या से जूझ रहा है. बात हरियाणा की करें तो यहां भी भू-जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है. पिछले 1 दशक में लगभग दोगुना भू-जल स्तर का संकट बढ़ा है. लगातार गिर रहे भू-जल स्तर को देखते हुए पिछले साल नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया था कि 2020 तक देश के 21 शहर पीने के पानी के लिए तरस जाएंगे. इन 21 शहरों में जीरो ग्राउंट वाटर का नीति आयोग की ओर से अनुमान लगाया गया था. इन 21 शहरों में दिल्ली-NCR सहित बेंगलुरु, चेन्नई और हैदराबाद जैसे शहर शामिल हैं.

देखिए वीडियो रिपोर्ट

बता दें कि भू-जल स्तर के मामले में दिल्ली-NCR सहित गुरुग्राम रेड डार्क जोन में है. इसे देखते हुए यहां जल संरक्षण आज की सबसे बड़ी जरूरत है. दरअसल, 1980 में गुरुग्राम की जो आबादी 1 लाख के आसपास थी वो अब 26 लाख के पार पहुंच गई है. बढ़ती आबादी, शहरीकरण और औद्योगीकरण के बीच गुरुग्राम में भूमिगत जलस्तर तेजी से प्रभावित हुआ है. तेजी से भू-जल स्तर घटता जा रहा है, जिसका खामियाजा आने वाले कुछ सालों में लोगों को भुगतना पड़ सकता है.

तो पानी की बूंद-बूंद को तरस जाएंगे

सीडब्ल्यूएमआई (कमोजिट वाटर मैनेजमेंट इंडेक्स) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2030 तक देश में पानी की मांग अभी हो रही आपूर्ति के मुकाबले दोगुनी हो जाएगी. इससे लाखों लोग पानी की समस्या से जूझेंगे. वहीं विशेषज्ञों की मानें तो इसमें सुधार के लिए सामूहिक प्रयास का होना जरूरी है. घटते भू-जल स्तर को लेकर ईटीवी भारत ने हरियाणा के सिंचाई विभाग के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर डॉ. शिव सिंह रावत से खास बातचीत की.

लगातार गिर रहे भू-जल स्तर के क्या कारण हैं? कैसे घटते जल स्तर को रोका जा सकता है? इस पर ज्यादा जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने हरियाणा के सिंचाई विभाग के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर डॉ. शिव सिंह रावत से खास बातचीत की. बता दें कि हरियाणा के कैनाल और क्रॉप्स पर डॉ. शिव सिंह रावत ने आईआईटी दिल्ली से पीएचडी की है. वो बीते कई सालों से हरियाणा में घटते जलस्तर पर काम कर रहे हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान डॉ. शिव सिंह रावत ने बताया कि गुरुग्राम ही नहीं पूरे NCR क्षेत्र के लिए भूमिगत जल में गिरावट चिंता का विषय है. भूमिगत जल को रिचार्ज करने के लिए गंभीरता से प्रयास करना बेहद जरूरी है. ऐसा नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में गुरुग्राम समेत हरियाणा के कुछ बड़े जिलों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ेगा.

कैसे बढ़ाया जा सकता है भूजल स्तर?

डॉ. शिव सिंह रावत की मानें तो बारिश के बूंद-बूंद पानी को बचाने के लिए रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को बढ़ावा देने की जरुरत है, क्योंकि मानसून आने वाला है और बारिश का कई लीटर पानी जो नालों के जरिए बेकार जा रहा है. उसका इस्तेमाल करके हम भूजल को रिचार्ज कर सकते हैं. ऐसा करके हम उस पानी को बचा सकते हैं जो हर साल बर्बाद हो जाता है.

उन्होंने कहा कि इसके साथ ही जरूरी है कि शहरीकरण के नाम पर वन क्षेत्रों को खत्म नहीं किया जाए. साथ ही प्राकृतिक नालों को फिर से स्थापित करना होगा. गांव-गांव में बने जोहड़, तालाब और पानी स्रोतों को दोबोरा से जीवित करना होगा.

हर साल तेजी से गिर रहा जलस्तर

डॉ. शिव सिंह रावत के मुताबिक 2009 में जहां गुरुग्राम का जलस्तर 25.74 मीटर था तो वहीं 2018 में ये 36.4 मीटर हो गया है. बीते 10 सालों से गुरुग्राम का जलस्तर 11 मीटर तक घटा है. यानी हर साल 1.1 मीटर (3.5 फीट) जल स्तर घटता जा रहा है.ऐसे में अब सरकार, प्रशासन और आमजन को अपनी विशेष भूमिका निभानी होगी, क्योंकि जल है तो कल है.

नई दिल्ली/गुरुग्राम: देश का आधे से ज्यादा हिस्सा पानी की गंभीर समस्या से जूझ रहा है. बात हरियाणा की करें तो यहां भी भू-जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है. पिछले 1 दशक में लगभग दोगुना भू-जल स्तर का संकट बढ़ा है. लगातार गिर रहे भू-जल स्तर को देखते हुए पिछले साल नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया था कि 2020 तक देश के 21 शहर पीने के पानी के लिए तरस जाएंगे. इन 21 शहरों में जीरो ग्राउंट वाटर का नीति आयोग की ओर से अनुमान लगाया गया था. इन 21 शहरों में दिल्ली-NCR सहित बेंगलुरु, चेन्नई और हैदराबाद जैसे शहर शामिल हैं.

देखिए वीडियो रिपोर्ट

बता दें कि भू-जल स्तर के मामले में दिल्ली-NCR सहित गुरुग्राम रेड डार्क जोन में है. इसे देखते हुए यहां जल संरक्षण आज की सबसे बड़ी जरूरत है. दरअसल, 1980 में गुरुग्राम की जो आबादी 1 लाख के आसपास थी वो अब 26 लाख के पार पहुंच गई है. बढ़ती आबादी, शहरीकरण और औद्योगीकरण के बीच गुरुग्राम में भूमिगत जलस्तर तेजी से प्रभावित हुआ है. तेजी से भू-जल स्तर घटता जा रहा है, जिसका खामियाजा आने वाले कुछ सालों में लोगों को भुगतना पड़ सकता है.

तो पानी की बूंद-बूंद को तरस जाएंगे

सीडब्ल्यूएमआई (कमोजिट वाटर मैनेजमेंट इंडेक्स) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2030 तक देश में पानी की मांग अभी हो रही आपूर्ति के मुकाबले दोगुनी हो जाएगी. इससे लाखों लोग पानी की समस्या से जूझेंगे. वहीं विशेषज्ञों की मानें तो इसमें सुधार के लिए सामूहिक प्रयास का होना जरूरी है. घटते भू-जल स्तर को लेकर ईटीवी भारत ने हरियाणा के सिंचाई विभाग के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर डॉ. शिव सिंह रावत से खास बातचीत की.

लगातार गिर रहे भू-जल स्तर के क्या कारण हैं? कैसे घटते जल स्तर को रोका जा सकता है? इस पर ज्यादा जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने हरियाणा के सिंचाई विभाग के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर डॉ. शिव सिंह रावत से खास बातचीत की. बता दें कि हरियाणा के कैनाल और क्रॉप्स पर डॉ. शिव सिंह रावत ने आईआईटी दिल्ली से पीएचडी की है. वो बीते कई सालों से हरियाणा में घटते जलस्तर पर काम कर रहे हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान डॉ. शिव सिंह रावत ने बताया कि गुरुग्राम ही नहीं पूरे NCR क्षेत्र के लिए भूमिगत जल में गिरावट चिंता का विषय है. भूमिगत जल को रिचार्ज करने के लिए गंभीरता से प्रयास करना बेहद जरूरी है. ऐसा नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में गुरुग्राम समेत हरियाणा के कुछ बड़े जिलों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ेगा.

कैसे बढ़ाया जा सकता है भूजल स्तर?

डॉ. शिव सिंह रावत की मानें तो बारिश के बूंद-बूंद पानी को बचाने के लिए रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को बढ़ावा देने की जरुरत है, क्योंकि मानसून आने वाला है और बारिश का कई लीटर पानी जो नालों के जरिए बेकार जा रहा है. उसका इस्तेमाल करके हम भूजल को रिचार्ज कर सकते हैं. ऐसा करके हम उस पानी को बचा सकते हैं जो हर साल बर्बाद हो जाता है.

उन्होंने कहा कि इसके साथ ही जरूरी है कि शहरीकरण के नाम पर वन क्षेत्रों को खत्म नहीं किया जाए. साथ ही प्राकृतिक नालों को फिर से स्थापित करना होगा. गांव-गांव में बने जोहड़, तालाब और पानी स्रोतों को दोबोरा से जीवित करना होगा.

हर साल तेजी से गिर रहा जलस्तर

डॉ. शिव सिंह रावत के मुताबिक 2009 में जहां गुरुग्राम का जलस्तर 25.74 मीटर था तो वहीं 2018 में ये 36.4 मीटर हो गया है. बीते 10 सालों से गुरुग्राम का जलस्तर 11 मीटर तक घटा है. यानी हर साल 1.1 मीटर (3.5 फीट) जल स्तर घटता जा रहा है.ऐसे में अब सरकार, प्रशासन और आमजन को अपनी विशेष भूमिका निभानी होगी, क्योंकि जल है तो कल है.

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