नई दिल्ली/ गुरुग्राम: जिले में पुलिस ने RTI एक्टिविस्ट हरिन्द्र ढींगरा को गिरफ्तार किया है. बता दें कि डीएलएफ फेज-1 में प्लाट को दो बैंकों के पास गिरवी रखकर 15 करोड़ रुपये का लोन लेने और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ब्लड रिलेशन में ट्रांसफर डीड करवाने का मामला दर्ज कर पुलिस ने हरिन्द्र ढींगरा, बेटे तरुण और प्रशांत ढींगरा को गिरफ्तार कर लिया है.
बता दें कि पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच के लिए एसीपी क्राइम के नेतृत्व में एसआईटी गठित कर दी है. एसीपी क्राइम की मानें तो हरिंद्र और उनकी पत्नी पूनम ने साल 2001 में यह प्लाट प्रदीप कुमार नामक व्यक्ति से खरीदा था. साल 2003 में पूनम ने अपने बेटे प्रशांत के साथ मिलकर इंडियन ओवरसीज बैंक से अपनी कंपनी मेसर्स एलिगेंस फेब्रिक्स के नाम पर करोड़ों रुपये का लोन ले लिया.
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बता दें कि लोन ना चुकाए जाने पर बैंक ने इस संपत्ति को एनपीए घोषित कर दिया और नीलामी से बचने के लिए प्रशांत ने अपने पिता हरिंद्र और माता पूनम के खिलाफ लोक अदालत में दावा डालकर प्लाट को अपने नाम करवा लिया.
27 नवंबर 2006 को लोक अदालत के आदेश पर अपने नाम हुई संपत्ति को प्रशांत ने साल 2007 में प्लाट पर अपनी कंपनी तरुण एक्सपोर्ट दिखाकर ओबीसी बैंक से 8 करोड़ रुपये का लोन ले लिया.बता दें कि इस लोन को चुकाने में भी प्रशांत असमर्थ रहा.
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बता दें कि इस संपत्ति को बचाने के लिए हरिंद्र और पूनम ने पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में लोक अदालत के आदेश को खारिज करने की याचिका दायर की. इसी बीच दोनों बैंकों ने भी उच्च न्यायालय में संपत्ति को कुर्क कर नीलामी की याचिका दायर कर दी.
आरोप है कि अदालत में मामला विचाराधीन होने के बावजूद भी तीनों आरोपियों ने मिलकर फर्जी दस्तावेज तैयार कर संपत्ति को हरिंद्र के दूसरे बेटे तरुण और प्रशांत के बेटे के नाम पर ट्रांसफर करवा दिया. इस पर दोनों बैंकों ने 16 अप्रैल 2021 को पुलिस को शिकायत दी.